भारतीय राजनीति के ऐसे राजनेता जिनके रहे Extra Marital Affairs!

भारतीय राजनीति सिर्फ सत्ता की लड़ाई और विकास के वादों तक सीमित नहीं रही, बल्कि कई बार नेताओं का निजी जीवन भी सुर्खियों का केंद्र बना है।
भारतीय राजनीति सिर्फ सत्ता की लड़ाई और विकास के वादों तक सीमित नहीं रही, बल्कि कई बार नेताओं का निजी जीवन भी सुर्खियों का केंद्र बना है।
भारतीय राजनीति सिर्फ सत्ता की लड़ाई और विकास के वादों तक सीमित नहीं रही, बल्कि कई बार नेताओं का निजी जीवन भी सुर्खियों का केंद्र बना है। SoraAi
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भारतीय राजनीति सिर्फ सत्ता की लड़ाई और विकास के वादों तक सीमित नहीं रही, बल्कि कई बार नेताओं का निजी जीवन भी सुर्खियों का केंद्र बना है। राजनीति में जब प्यार और रिश्तों की कहानियाँ सामने आती हैं, तो वे आम लोगों से कहीं ज्यादा चर्चा और विवाद को जन्म देती हैं। खासकर तब, जब इन रिश्तों का संबंध विवाहेतर संबंधों (extra marital affairs) से हो। ऐसे कई बड़े नेताओं के नाम इतिहास में दर्ज हैं, जिनके प्रेम प्रसंगों ने उनकी राजनीतिक छवि को गहरा धक्का पहुँचाया। इन किस्सों में कहीं गुप्त रिश्तों का खुलासा हुआ, तो कहीं प्रेमिका की हत्या ने सनसनी फैला दी। इन विवादित प्रेम कहानियों ने न केवल व्यक्तिगत जीवन बल्कि राजनीति को भी गहराई से प्रभावित किया। आज हम जानेंगे उन पाँच प्रमुख राजनीतिक प्रेम कहानियों के बारे में, जो हमेशा विवादों में रहीं। इन मामलों में प्यार, राजनीति और स्कैंडल का ऐसा संगम देखने को मिला, जिसने समाज और मीडिया को लंबे समय तक चर्चा का विषय दिया। यह कहानियाँ यह भी बताती हैं कि सत्ता और प्यार का रिश्ता अक्सर कितना जटिल और खतरनाक हो सकता है।

चंदर मोहन और अनुराधा बाली (चाँद-फ़िज़ा का विवादित रिश्ता)

2008 में हरियाणा की राजनीति तब हिल गई जब तत्कालीन उप-मुख्यमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के बेटे चंदर मोहन अचानक गायब हो गए। कुछ समय बाद वे तब चर्चा में आए जब उनकी शादी अनुराधा बाली, जो राज्य की असिस्टेंट एडवोकेट जनरल थीं, के साथ सामने आई। चंदर मोहन पहले से विवाहित थे, इसलिए इस विवाह को संभव बनाने के लिए दोनों ने इस्लाम धर्म अपनाया और नए नाम चाँद और फ़िज़ा रखे। शुरुआत में यह रिश्ता बेहद चर्चित रहा, लेकिन जल्द ही इसमें दरार आ गई। शादी के कुछ ही महीनों बाद चंदर मोहन ने शिकायत करना शुरू कर दिया और जुलाई 2009 तक यह रिश्ता टूट गया। अनुराधा बाली ने आरोप लगाया कि उन्हें धोखा दिया गया और इस शादी ने उनका जीवन बर्बाद कर दिया। यह प्रेम कहानी न सिर्फ राजनीति में सनसनी बन गई बल्कि इसने नेताओं के निजी जीवन और सत्ता की महत्वाकांक्षाओं पर भी कई सवाल खड़े किए।

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एन.टी. रामाराव और लक्ष्मी पार्वती (एक प्रेम जिसने राजनीति बदली)

Nandamuri Taraka Rama Rao
Nandamuri Taraka Rama RaoSora Ai

आंध्र प्रदेश के करिश्माई नेता और तीन बार के मुख्यमंत्री नंदमुरी तारक रामाराव (Nandamuri Taraka Rama Rao) ने 1993 में 70 साल की उम्र में अपने परिवार और समर्थकों को चौंका दिया जब उन्होंने लेखिका लक्ष्मी पार्वती से विवाह की घोषणा की। लक्ष्मी पार्वती उनकी जीवनी लिख रही थीं और इसी दौरान दोनों एक-दूसरे के करीब आए। हालाँकि, यह रिश्ता कभी उनके परिवार द्वारा स्वीकार नहीं किया गया। एनटीआर की मृत्यु के बाद, लक्ष्मी पार्वती को परिवार से अलग-थलग कर दिया गया। इस प्रेम प्रसंग ने राजनीति में भी असर डाला। एनटीआर की राजनीतिक विरासत पर विवाद खड़ा हो गया और उनके बेटे-बहुओं ने लक्ष्मी पार्वती को परिवार से बाहर कर दिया। इस कहानी ने यह साबित किया कि निजी रिश्ते कई बार राजनीतिक समीकरणों को गहराई से प्रभावित कर सकते हैं।

नारायण दत्त तिवारी और उज्ज्वला शर्मा

Narayan Dutt Tiwari
Narayan Dutt TiwariWikimedia Commons

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी (Narayan Dutt Tiwari) का नाम भी एक बड़े विवाद से जुड़ा है। 2008 में रोहित शेखर नामक युवक ने दावा किया कि तिवारी उनके जैविक पिता हैं। कोर्ट ने डीएनए टेस्ट का आदेश दिया और 2012 में नतीजे आए, जिनमें साबित हुआ कि रोहित शेखर, तिवारी और उज्ज्वला शर्मा के बेटे हैं। कहानी की शुरुआत 1960 के दशक में हुई जब युवा नेता तिवारी, उज्ज्वला शर्मा के पिता और अनुभवी राजनेता प्रोफेसर शेर सिंह से मार्गदर्शन लेने गए थे। उसी दौरान तिवारी और उज्ज्वला के बीच नजदीकियाँ बढ़ीं और उनका रिश्ता सात साल तक चला। हालांकि बाद में तिवारी ने उनसे दूरी बना ली और यह रिश्ता टूट गया। लेकिन वर्षों बाद यह मामला अदालत तक पहुँचा और तिवारी को सार्वजनिक रूप से स्वीकार करना पड़ा।

कैप्टन अमरिंदर सिंह और अरोसा आलम (सीमापार की दोस्ती)

Captain Amarinder Singh
Captain Amarinder SinghWikimedia Commons

2007 में पंजाब की राजनीति तब गरमा गई जब पाकिस्तान की वरिष्ठ पत्रकार अरोसा आलम का नाम पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) से जोड़ा गया। अरोसा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सफाई दी कि दोनों सिर्फ अच्छे दोस्त हैं और आगे भी रहेंगे। दरअसल, दोनों की मुलाकात 2004 में हुई थी, जब कैप्टन अमरिंदर पाकिस्तान यात्रा पर गए थे। अरोसा, पाकिस्तान की चर्चित हस्ती रानी जनरल (अकलीन अख्तर) की बेटी हैं, जिनका 1970 के दशक में पाक राजनीति पर गहरा प्रभाव था। इस रिश्ते पर काफी विवाद हुआ और विरोधियों ने इसे राजनीति का मुद्दा बना दिया। हालाँकि, अमरिंदर सिंह ने इस मामले को कभी खुलकर स्वीकार नहीं किया। यह रिश्ता आज भी राजनीतिक हलकों में चर्चाओं का हिस्सा बना रहता है।


शशि थरूर और सुनंदा पुष्कर (प्रेम, विवाद और त्रासदी)

Shashi Tharoor and Sunanda Pushkar
Shashi Tharoor and Sunanda PushkarX

कांग्रेस नेता और केंद्रीय मंत्री शशि थरूर का प्रेम प्रसंग और विवाह सुनंदा पुष्कर (Shashi Tharoor and Sunanda Pushkar) के साथ भारतीय राजनीति की सबसे चर्चित कहानियों में से एक है। दोनों का रिश्ता शुरू से ही विवादों से घिरा रहा। सुनंदा एक सफल बिज़नेसवुमन थीं और थरूर के साथ उनकी नजदीकियाँ सुर्खियाँ बटोरती रहीं। 2010 में दोनों ने विवाह किया, लेकिन कुछ साल बाद सुनंदा ने थरूर और पाकिस्तानी पत्रकार मेहर तारार के रिश्ते पर सार्वजनिक सवाल उठाए। जनवरी 2014 में सुनंदा पुष्कर की संदिग्ध परिस्थितियों में दिल्ली के एक होटल में मौत हो गई। यह घटना आज भी रहस्य बनी हुई है और भारतीय राजनीति के सबसे बड़े स्कैंडलों में गिनी जाती है।

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भारतीय राजनीति में इन पाँचों प्रेम कहानियों ने यह साबित कर दिया कि नेताओं की निजी ज़िंदगी भी जनता और मीडिया के लिए उतनी ही मायने रखती है जितनी उनकी नीतियाँ। चंदर मोहन और अनुराधा बाली का रिश्ता धर्म परिवर्तन और सत्ता के खेल से जुड़ा विवाद बन गया, तो एन.टी. रामाराव और लक्ष्मी पार्वती की शादी ने पारिवारिक और राजनीतिक समीकरण बदल दिए। वहीं, नारायण दत्त तिवारी का पितृत्व विवाद न्यायालय तक जा पहुँचा और उनकी छवि पर स्थायी दाग छोड़ गया। कैप्टन अमरिंदर सिंह और अरोसा आलम की दोस्ती ने सीमाओं के पार रिश्तों को राजनीतिक मुद्दा बना दिया। शशि थरूर और सुनंदा पुष्कर की कहानी तो एक त्रासदी में बदल गई, जिसने देश को झकझोर दिया। इन घटनाओं से साफ है कि नेताओं का व्यक्तिगत जीवन उनकी राजनीतिक यात्रा से अलग नहीं रह पाता। एक तरफ ये रिश्ते उन्हें मानवीय और संवेदनशील दिखाते हैं, तो दूसरी तरफ विवाद और आलोचना उनके करियर पर भारी पड़ते हैं। जनता और मीडिया की नजरों में नेता सिर्फ नीतियों के निर्माता नहीं बल्कि सामाजिक आदर्श भी होते हैं। ऐसे में उनकी प्रेम कहानियाँ और निजी विवाद हमेशा राजनीतिक इतिहास का हिस्सा बन जाते हैं। [Rh/SP]

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