कहते हैं 'हाथी के दांत खाने के और दिखाने के और', यह कहावत दिल्ली के वर्तमान मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल पर बिल्कुल सटीक बैठती है। खुद का घर अंधेरे में घिरा पड़ा है और चल दिए हैं दूसरे घर में दिया जलाने। दरअसल बीते दिनों शुक्रवार को केजरीवाल ने सौराष्ट्र क्षेत्र के द्वारका शहर में एक रैली को संबोधित करते हुए नए चुनावी वादे किए। भाई, वादे करने में कोई टैक्स तो लगता नहीं है, फिर कुर्सी पर बैठ कर करते रहो खयाली वादे। जब ये वादे पूरे न हो पाएं तब खड़े हो जाओ केंद्र के आगे कटोरा लेकर। कटोरे में कुछ या गया तो ठीक वरना उनकी योजना अपने नाम से चला दो। इससे भी बात न बने तो एक तकियाकलाम वाला आरोप तो है ही कि केंद्र हमें काम नहीं करने दे रही।
जिसके खुद के राज्य क्षेत्र में यमुना अपने उद्धार को वर्षों से रो रही है। यमुना के स्वच्छीकारण के वादे चुनाव दर चुनाव एक घोषणा पत्र से दूसरे घोषणा पत्र में बस ट्रान्स्फर होते रहते हैं। जिसके खुद के राज्य में यमुना का पानी अब तक सड़ते हुए कूड़ों और कचड़ों में फंसा हुआ है, वो बात करते हैं नर्मदा परियोजना क्षेत्र नहरों को पूरे नर्मदा कमांड क्षेत्र में पूरा करने की।
जो आम आदमी पार्टी पंजाब में अपने किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) देने में विफल रह गई, वो आज गुजरात में वादा कर रही है कि यदि वहाँ की सत्ता में आम आदमी पार्टी (AAP) आती है तो वो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं, चावल, कपास, मूंगफली आदि खरीदेगी। यहाँ बता दें कि पंजाब में 4 लाख क्विंटल मूंग में से 85 प्रतिशत से अधिक मूंग एमएसपी से नीचे, निजी खिलाड़ियों द्वारा खरीदा गया था। वहाँ तो AAP के ही मुख्यमंत्री भगवंत मान सिंह एमएसपी पर मूंग की फसल खरीदने में विफल रह गए। अब वही पार्टी गुजरात के किसानों को ठगने को तैयार है।
दिल्ली का झूठा शिक्षा मॉडल का डंका पीटने वाले केजरीवाल जी गुजरात की जनता को रोजगार देने के झूठे सपने दिखा रहे हैं। यहाँ एक प्रश्न पुनः फिर से सामने है कि जो केजरीवाल मुफ़्तगिरी पर ज्यादा ध्यान देते हैं, क्या वो गुजरात में बेरोजगार युवाओं को स्टाइपेन्ड देने के लिए फिर से केंद्र के आगे कटोरा फैलाएंगे? क्योंकि उन्होंने तो वादा कर दिया है कि वो बेरोजगार युवाओं को स्टाइपेन्ड देंगे, पर वो स्टाइपेन्ड आएगा कहाँ से?