USA में एशियाई मूल के लोगों के साथ नस्लीय भेदभाव गंभीर

चीनी मानवाधिकार अध्ययन संघ ने 15 अप्रैल को एक अध्ययन रिपोर्ट जारी कर इसका जवाब दिया।(IANS)
चीनी मानवाधिकार अध्ययन संघ ने 15 अप्रैल को एक अध्ययन रिपोर्ट जारी कर इसका जवाब दिया।(IANS)

हाल ही में अमेरिकी पेंसिलवानिया विश्वविद्यालय(University of Pennsylvania) की विधि शास्त्र प्रोफेसर ऐमी वैक्स(amy wax) ने फॉक्स न्यूज(Fox News) के एक कार्यक्रम में प्रवासी भारतीयों(NRI) पर हमला करते हुए कहा कि उनका देश तो शौचालय की तरह है। यह चौंकाने वाली बात एशियाई मूल के अमेरिकियों के प्रति नस्लीय भेदभाव की और एक मिसाल है।

यहां यह जानना चाहिए कि वैक्स को इस तरह के नस्लीय भेदभाव का विचार फैलाने का साहस किसने दिया। क्या अमेरिका(USA) में ऐसा नहीं है कि सब समान हैं। चीनी मानवाधिकार अध्ययन संघ ने 15 अप्रैल को एक अध्ययन रिपोर्ट जारी कर इसका जवाब दिया। इस रिपोर्ट का शीर्षक है कि एशियाई मूल वाले अमेरिकियों के साथ भेदभाव से अमेरिकी समाज के नस्लवाद का स्वभाव जाहिर है।

इस रिपोर्ट में ढेर सारे आंकड़ों और उदाहरणों से इसका पदार्फाश किया गया है कि अमेरिका मूल रूप से श्वेत वर्चस्व वाला देश है। एशियाई मूल के अमेरिकी और अन्य अल्पसंख्यक समुदाय एक साथ मानवाधिकार-उल्लंघन के शिकार हैं। रंग अमेरिकियों की किस्मत में अहम भूमिका निभाता है।

कोविड महामारी(COVID-19) पैदा होने के बाद एशियाई मूल वाले अमेरिकियों पर नस्लीय हमला दिन ब दिन बढ़ रहा है। आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2020 में अमेरिका में एशियाई मूल वाले अमेरिकियों के खिलाफ हिंसक अपराधों के मामलों में 149 प्रतिशत बढ़ोतरी दर्ज हुई। इसका मूल कारण है कि अमेरिका में श्वेत लोगों को सर्वोच्च स्थान हासिल है।

चीनी मूल की इतिहास अध्ययनकर्ता एरिक ली ने बताया कि वर्तमान में एशियाई मूल वाले अमेरिकियों के प्रति हिंसक कार्रवाइयां व्यक्तिगत अपराध नहीं हैं, बल्कि व्यवस्थित है और एक राष्ट्र का दुख भी है।

आईएएनएस(DS)

Related Stories

No stories found.
logo
hindi.newsgram.com