आखिर कौन था महाभारत का सबसे श्रेष्ठ और महान योद्धा?(Wikimedia commons)

आखिर कौन था महाभारत का सबसे श्रेष्ठ और महान योद्धा?

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दुर्योधन (Duryodhan)

आखिर कौन था महाभारत का सबसे श्रेष्ठ और महान योद्धा?

लोग कर्ण को इसलिए सर्वश्रेष्ठ मानते हैं क्योंकि वह एकमात्र ऐसे योद्धा थे जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए स्वयं को एक श्रेष्ठ योद्धा के रूप में दिखाया।
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न्यूजग्राम हिंदी: महाभारत (Mahabharat) में योद्धाओं की कमी नहीं थी। महाभारत में एक से बढ़कर एक योद्धा मौजूद था। लेकिन प्रत्येक मनुष्य की नजरों में अलग-अलग योद्धा श्रेष्ठ हो सकते हैं। कुछ लोग अर्जुन (Arjun) को सर्वश्रेष्ठ मानते हैं तो कोई करने को। वही कुछ लोग अश्वत्थामा को सर्वश्रेष्ठ मानेंगे तो कुछ भीम को। कुछ लोग एकलव्य को सर्वश्रेष्ठ बताएंगे तो कुछ द्रोण या भीष्म को।

लेकिन एक तरह से देखा जाए तो ज्यादातर लोग कर्ण को एक योद्धा मानते है।

लोग कर्ण को इसलिए सर्वश्रेष्ठ मानते हैं क्योंकि वह एकमात्र ऐसे योद्धा थे जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए स्वयं को एक श्रेष्ठ योद्धा के रूप में दिखाया। आइए हम आपको कर्ण के बारे में ऐसे तथ्य बताते हैं जिनके कारण उन्हें एक महान योद्धा माना जाता है।

<div class="paragraphs"><p>आखिर कौन था महाभारत का सबसे श्रेष्ठ और महान&nbsp;योद्धा?</p><p>(Wikimedia commons)</p></div>
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• अर्जुन का साथ तो स्वयं जगत के पालनहार श्री कृष्ण दे रहे थे। लेकिन कर्ण के साथ सिर्फ दुर्योधन (Duryodhan) था। वही अर्जुन पूर्ण रूप से श्री कृष्ण पर निर्भर थे तो दुर्योधन कर्ण पर निर्भर थे।

• पांडवों और कौरवों को गुरु द्रोण ने संपूर्ण शिक्षा दी थी लेकिन कर्ण को नहीं। कर्ण ने छल से बची हुई शिक्षा परशुराम से हासिल की थी। यदि कर्ण भी अर्जुन के समान योग्य नहीं होते तो भगवान परशुराम कर्ण को शिक्षा देने के लिए कभी राजी नहीं होते।

• कर्ण एक सच्चा मित्र और दानवीर भी था इस बात की पुष्टि स्वयं श्री कृष्ण ने की है।

• अर्जुन के पिता इंद्र (Indra) ने छल से कर्ण के कवच और कुंडल ले लिए थे। यह जानते हुए भी कर्ण एक योद्धा की तरह लड़ा।

• उन्होंने जरासंध को अकेले हरा दिया था।

<div class="paragraphs"><p>पांडवों और कौरवों को गुरु द्रोण ने संपूर्ण शिक्षा दी </p></div>

पांडवों और कौरवों को गुरु द्रोण ने संपूर्ण शिक्षा दी

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• उनके पास भगवान परशुराम का दिया हुआ शिव का विजय धनुष था जो योद्धा के चारों ओर एक अभेद्य घेरा बना देता था। उसे कोई नहीं भेद सकता था।

• कुंती (Kunti) को दिए वचन के अनुसार कर्ण सिर्फ अर्जुन से युद्ध करना चाहता था। इसीलिए युद्ध भूमि में भीम, युधिष्ठिर, नकुल और सहदेव से सामना होने के बावजूद भी उसने उन्हें नहीं मारा और एक सच्चा योद्धा होने का परिचय दिया।

• उन्होंने अश्वसेन बाण का संधान दोबारा नहीं किया।

• श्री कृष्ण से यह बात पता चलने के बाद कि वह पांडवों के सबसे बड़े भाई हैं कर्ण ने श्री कृष्ण से कहा कि हे कृष्ण मेरी मृत्यु तक पांडवों को यह बात ना बताई जाए कि मैं उनका बड़ा भाई हूं।

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