हिंदू मंदिर के लिए बौद्ध देशों में हो रही है लड़ाई! जानें क्यों लड़ रहें है थाईलैंड और कंबोडिया?

थाईलैंड (Thailand) और कंबोडिया (Cambodia) युद्ध के बीच के 118 साल पुराने सीमा विवाद में एक हिंदू मंदिर (Hindu Temple In Cambodia) का महत्व बहुत अधिक बढ़ गया है। युद्ध इस हिंदू मंदिर के ऊपर है हो रहा है जिसका इतिहास काफी पुराना है। 1000 साल पुराना एक भव्य हिंदू मंदिर, जिसकी दीवारों पर भगवान शिव (Shiva Temple in Combodia) की अद्भुत मूर्तियाँ उकेरी गई हैं।
एक हिंदू मंदिर के लिए लड़ते दो देश थाईलैंड और कंबोडिया (Thailand and Cambodia)
थाईलैंड और कंबोडिया (Thailand and Cambodia) के बीच कुछ दिनों से युद्ध जारी है [SORA AI]
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"An eye for an eye will leave the whole world blind." यानी "आंख के बदले आंख पूरी दुनिया को अंधा बना देगी।” महात्मा गांधी के द्वारा कहा यह कथन कई हद तक सही है। आज पूरी दुनिया भर में कुछ देश आपस में ही लड़ पड़े हैं और कारण के घेरे में आता है हजार साल पुराना एक मंदिर। थाईलैंड (Thailand) और कंबोडिया (Cambodia) के बीच कुछ दिनों से युद्ध जारी है। थाईलैंड और कंबोडिया युद्ध (Thailand and Cambodia War) के बीच के 118 साल पुराने सीमा विवाद में एक हिंदू मंदिर (Hindu Temple In Cambodia) का महत्व बहुत अधिक बढ़ गया है। युद्ध इस हिंदू मंदिर के ऊपर है हो रहा है जिसका इतिहास काफी पुराना है।

1000 साल पुराना एक भव्य हिंदू मंदिर
1000 साल पुराना एक भव्य हिंदू मंदिर, जिसकी दीवारों पर भगवान शिव की अद्भुत मूर्तियाँ उकेरी गई हैं। [X]

1000 साल पुराना एक भव्य हिंदू मंदिर, जिसकी दीवारों पर भगवान शिव की अद्भुत मूर्तियाँ उकेरी गई हैं। लेकिन अभी हालत ऐसे हैं कि इस मंदिर की हवा में घंटियों की मधुर ध्वनि नहीं, बल्कि बारूद की गंध और सैनिकों के बूटों की आवाज़ गूंज रही हैं। यह कहानी सिर्फ एक मंदिर की नहीं, बल्कि गर्व, विरासत, राजनीति और पहचान की लड़ाई की भी है। आइए जानें इस अनोखे मंदिर की वो कहानी, जो सदियों से शांति की नहीं, बल्कि टकराव की गवाही देती रही है।

कैसे हुई युद्ध ही शुरुआत?

थाईलैंड (Thailand) का कहना है कि कंबोडिया (Cambodia) ने सबसे पहले युद्ध की शुरुआत की है तो वही कंबोडिया का भी यही कहना है कि युद्ध की शुरुआत थाईलैंड ने की है लेकिन आखिरकार यह युद्ध शुरू कैसे हुआ इसके बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है पर यह कह सकते हैं कि युद्ध की शुरुआत हो चुकी है।

थाईलैंड रिपोर्ट्स की माने तो कंबोडिया ने हवाई हमलों के द्वारा थाईलैंड के एक अस्पताल को तहस-नहस कर दिया है और इसके जवाब में थाईलैंड ने उनके सोने अड्डों को बर्बाद कर दिया। वहीं दूसरी तरफ कंबोडिया थाईलैंड पर एक हिन्दू मंदिर पर हमला कर के उसको नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया है और यह मंदिर कोई ऐसा वैसा मंदिर नहीं है बल्कि UNESCO का एक हेरिटेज साइट है।

विदेश की धरती पर कैसे बना एक हिन्दू मंदिर?

प्रीह विहार मंदिर (Preah Vihear Temple) आज भले ही कंबोडिया (Cambodia) में स्थित हो, लेकिन इसका इतिहास भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत से जुड़ा है। यह भव्य मंदिर 9वीं से 12वीं शताब्दी के बीच खमेर साम्राज्य (Khmer Empire) द्वारा बनाया गया था, जो उस समय दक्षिण-पूर्व एशिया में फैला हुआ था। खमेर सम्राट (Khmer Empire) शिवभक्त थे और उन्होंने भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर पहाड़ी की चोटी पर बनवाया। भारत की तरह ही कंबोडिया में भी उस समय हिंदू धर्म का व्यापक प्रभाव था। यह मंदिर उसी विस्तार का परिणाम है।

प्रीह विहार मंदिर (Preah Vihear Temple)
प्रीह विहार मंदिर (Preah Vihear Temple) आज भले ही कंबोडिया में स्थित हो, लेकिन इसका इतिहास भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत से जुड़ा है। [X]

बाद में जैसे-जैसे बौद्ध धर्म (Baudh Dharma) वहां प्रचलित हुआ, मंदिर की पहचान बदलती गई, लेकिन इसकी स्थापत्य कला और हिंदू मान्यताएं आज भी स्पष्ट दिखाई देती हैं। यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित यह मंदिर आज भी यह दर्शाता है कि भारत की आध्यात्मिक संस्कृति सीमाओं से परे फैली थी और कैसे प्राचीन काल में धर्म और वास्तुकला ने विदेशी भूमि को भी अपनी छाया में ले लिया।

शिव के लिए बना मंदिर, विवाद का कारण कैसे बन गया?

9वीं शताब्दी में जब खमेर के सम्राट ने यह मंदिर बनवाया था तब वहां हिन्दू धर्म का प्रचलन था। उस दौर में यह एक ऐसा मंदिर बनाया गया जो सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि वास्तुकला की अद्भुत मिसाल बना। यह मंदिर भगवान शिव (Shiva Temple in Combodia) को समर्पित कर बनवाया गया। इसका निर्माण ऊँची पहाड़ी पर किया गया था, जिससे यह चारों ओर से रणनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बना।

खमेर के सम्राट ने यह प्रीह विहार मंदिर (Preah Vihear Temple) बनवाया था
9वीं शताब्दी में जब खमेर के सम्राट ने यह मंदिर बनवाया था तब वहां हिन्दू धर्म का प्रचलन था। [X]

मंदिर की नक्काशी और गेटवे अंगकोर वाट से मेल खाते हैं, जो खमेर सभ्यता का गौरव था। पर उस समय किसी को क्या पता था कि आने वाले समय में यह मंदिर बम, गोलियों और अंतरराष्ट्रीय अदालतों की चर्चा का हिस्सा बनेगा? यह मंदिर थाईलैंड और कंबोडिया के सीमा क्षेत्र में आता है। थाईलैंड और कंबोडिया (Thailand and Combodia) के 815 किलोमीटर लंबी सीमा विवाद की कहानी आज की नहीं लगभग 118 साल पहले की है। हाल ही में मैं के महीने में दोनों देशों की गोलाबारी के बीच जब एक कंबोडिया के सैनिक की मौत हो गई तब यह मामला और भी ज्यादा उत्तेजित हो गया।

यह वही स्थान है जहां दो देश लड़ रहे हैं।
यह मंदिर थाईलैंड और कंबोडिया के सीमा क्षेत्र में आता है। [X]

आपको बता दे की 1000 साल पुराने दो मंदिर थाईलैंड और कंबोडिया के सीमा पर स्थित है जिसमें से एक मंदिर पर इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस के द्वारा आए फैसले के अनुसार कंबोडिया का हक है और अब दूसरे मंदिर पर हक जमाने के लिए यह दोनों देश एक दूसरे से लड़ रहे हैं।

फ्रांसीसी नक्शा और छुपी हुई चिंगारी

1904 में जब कंबोडिया फ्रांस का उपनिवेश था, तब फ्रांसीसी अधिकारियों ने एक नक्शा तैयार किया। इस नक्शे में प्रीह विहार मंदिर को कंबोडिया का हिस्सा बताया गया। लेकिन कहानी में ट्विस्ट तब आया जब थाईलैंड ने कहा, "ये मंदिर तो हमारी धरती पर है। नक्शा गलत है!" कई दशकों तक ये विवाद दबा रहा, लेकिन जैसे-जैसे राष्ट्रवाद और सीमाओं की भावना बढ़ी, मंदिर की जमीन भी इमोशन और पॉलिटिक्स की ज़मीन बन गई।

मंदिर की जमीन भी इमोशन और पॉलिटिक्स की ज़मीन बन गई।
कई दशकों तक ये विवाद दबा रहा, लेकिन जैसे-जैसे राष्ट्रवाद और सीमाओं की भावना बढ़ी, मंदिर की जमीन भी इमोशन और पॉलिटिक्स की ज़मीन बन गई। [X]

जब मामला पहुंचा कोर्ट, 1962 का ऐतिहासिक फैसला

1959 में कंबोडिया ने थाईलैंड पर आरोप लगाया कि वह मंदिर पर अनाधिकृत रूप से कब्ज़ा जमाए हुए है। मामला गया अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में। 1962 में कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया: मंदिर कंबोडिया की ज़मीन पर है, इसलिए इसपर कंबोडिया का हक़ है और थाईलैंड को तुरंत अपनी सेना हटानी लेनी चाहिए। लेकिन कहानी यहां खत्म नहीं हुई, क्योंकि विवाद अब मंदिर की सीमा रेखा और दूसरे मंदिर पर आकर अटक गया है।



मंदिर बना बारूद, 2008 से 2013 तक की जंग

2008, एक ऐसा साल जब मंदिर फिर से चर्चा में आया। इस बार कारण था UNESCO द्वारा इसे विश्व धरोहर घोषित करना। थाईलैंड भड़क गया! उसने कहा: "कंबोडिया ने बिना हमारी सहमति के मंदिर का नामांकन कराया है!" इस बात ने सीमा पर तनाव बढ़ा दिया। 2008, 2010 और 2011 में सीमा पर गोलीबारी हुई। दोनों तरफ से सैनिक और नागरिकों की मौत हुई। एक ऐतिहासिक मंदिर, अब खून से भीगने लगा।

एक हिंदू मंदिर के लिए लड़ते दो देश थाईलैंड और कंबोडिया (Thailand and Cambodia)
एक ऐतिहासिक मंदिर, अब खून से भीगने लगा। [SORA AI]

2011 में कंबोडिया ने फिर से ICJ का दरवाज़ा खटखटाया। 2013 में कोर्ट ने दोबारा कहा: न सिर्फ मंदिर, बल्कि उसके आसपास का इलाका भी कंबोडिया का हिस्सा है। थाईलैंड को पीछे हटना होगा। या मामला कुछ इस प्रकार से है जिस प्रकार भारत में कश्मीर का मामला जिसको लेकर भारत और पाकिस्तान अक्सर लड़ पड़ते हैं।


यह जमीन का मामला है या सांस्कृतिक पहचान का?

इस पूरे विवाद को सिर्फ जमीन का मामला कहना सरल लेकिन अधूरा सच होगा। कंबोडिया की धरती पर दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर भी उपस्थित है जिसका नाम है अंकोरवाट मंदिर। इस मंदिर को भी खमीर के ही एक राजा ने बनवाया था और इस मंदिर का चित्र कंबोडिया के झंडे में भी दिखाई देता है। थाईलैंड और कंबोडिया दोनों देशों के लिए या लड़ाई केवल एक जमीन या सीमा से जुड़ी नहीं है बल्कि सांस्कृतिक पहचान से जुड़ी है। यह राष्ट्रीय पहचान का सवाल है दोनों देश मानते हैं कि मंदिर उनकी संस्कृति का प्रतीक है। यह धार्मिक उलझन भी है, मंदिर तो शिव का है, लेकिन दोनों देश बौद्ध धर्म को मानते हैं।

कंबोडिया की धरती पर दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर भी उपस्थित है जिसका नाम है अंकोरवाट मंदिर।
कंबोडिया की धरती पर दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर भी उपस्थित है जिसका नाम है अंकोरवाट मंदिर।X

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कभी सोचा था कि भगवान शिव का एक मंदिर, दो बौद्ध देशों की राजनीतिक और सैन्य लड़ाई की जड़ बन जाएगा? प्रीह विहार अब सिर्फ एक मंदिर नहीं, वह बन चुका है संस्कृति, संप्रभुता और स्वाभिमान की जमीन, जिस पर हर कोई अपनी मुहर लगाना चाहता है। [Rh/SP]

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