Gupt Navratri: जानें सातवीं महाविद्या धूमावती के बारे में

माँ धूमवाती देवी अत्यंत अनुशासनशील हैं, अतः इनके भक्तों को सात्विक, नियम-संयम, शराब-मांस से दूर और सत्यनिष्ठ होने के साथ-साथ लोभ लालच से दूर रहना चाहिए।
Gupt Navratri: जानें सातवीं महाविद्या धूमावती के बारे में
Gupt Navratri: जानें सातवीं महाविद्या धूमावती के बारे में महाविद्या धूमावती (IANS)

गुप्त नवरात्रि के अवसर पर हम प्रतिदिन एक महाविद्या के बारे में जान रहे हैं। पिछली कड़ी में हमने जाना था माँ त्रिपुर भैरवी के बारे में। आज हम पढ़ेंगे 10 महाविद्याओं में सातवीं महाविद्या धूमावती के बारे में।

माँ धूमवाती का स्वरूप विधवा का है। ऋग्वेद के रात्रिसूक्त में 'सुतरा' नाम से वर्णित यह माता उग्र देवियों के श्रेणी में आती हैं। माँ के इस स्वरूप का कोई स्वामी नहीं है, इसलिए ये विधवा के रूप में प्रकट होती हैं। इनके इस रूप की पूजा सुहागन स्त्रियाँ नहीं करती हैं। इनके हाथ में सूप है, जिसमें ये समस्त संसार को समेत कर प्रलय कर देती हैं। अथवा इसका एक और भी प्रतीकात्मक अर्थ है, जैसे सूप के माध्यम से अनाज को फटकार कर उससे गंदगी अलग कर दिया जाता है, ठीक वैसे ही माँ अपने बच्चों को भी उनके बुराइयों से उन्हें अलग कर देती हैं। इन देवी को संकट, रोग, अरिष्ट, शत्रुओं अथवा अभाव को समाप्त करने वाली देवी कहा गया है। इनके भक्तों के अंदर अद्भुत आत्मविश्वास, निडरता और निश्चिंतता आती है।

यह देवी अत्यंत अनुशासनशील हैं, अतः इनके भक्तों को सात्विक, नियम-संयम, शराब-मांस से दूर और सत्यनिष्ठ होने के साथ-साथ लोभ लालच से दूर रहना चाहिए।

Gupt Navratri: जानें सातवीं महाविद्या धूमावती के बारे में
Gupt Navratri: जानें छठी महाविद्या त्रिपुर भैरवी के बारे में

माता धूमावती के उत्पत्ति से समबंधित दो कथाएं प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार, एक बार माता पार्वती को अत्यंत भूख लगी। भूख की अग्नि इतनी अधिक थी कि वो भगवान शंकर को ही निगल जाती हैं। भगवान शंकर को निगलने के बाद माँ की भूख शांत हुई और उनके शरीर से धुआँ निकलने लगा। इसके पश्चात भगवान शंकर ने अपने माया द्वारा माता से कहा कि धूम में व्याप्त होने के कारण, देवी के इस स्वरूप को धूमावती कहा जाएगा। अब मुझे आप अपने पेट से बाहर निकालिए।

एक अन्य कथा के अनुसार माता सती ने जब आत्मदाह किया था तब उनके शरीर से जो धुआँ उठा, उसके कारण उनका नाम धूमावती हुआ।

Related Stories

No stories found.
logo
hindi.newsgram.com