कैसे हुई थी ‘लालबाग चा राजा’ की शुरुआत? इतिहास से आज तक की पूरी कहानी!

लालबाग चा राजा (Lalbagh Cha Raja) का 90 सालों का इतिहास (History Of Lalbagh Cha Raja) केवल गणेशोत्सव की भव्यता नहीं दिखाता, बल्कि यह भी साबित करता है कि कैसे आस्था समय के साथ और गहरी होती जाती है।
‘लालबाग चा राजा’, जिसे मुंबई का सबसे लोकप्रिय और चमत्कारी गणपति माना जाता है। [Pixabay]
‘लालबाग चा राजा’, जिसे मुंबई का सबसे लोकप्रिय और चमत्कारी गणपति माना जाता है। [Pixabay]
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महाराष्ट्र में गणेश पूजा (Ganesh Puja In Maharashtra) केवल एक धार्मिक पर्व ही नहीं, बल्कि आस्था, उत्साह और एकता का भी सबसे बड़ा प्रतीक माना जाता है। हर साल गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) पर जब ढोल-ताशों की गूंज और "गणपति बप्पा मोरया" के जयकारे सुनाई देते हैं, तो पूरा राज्य भक्ति और उत्सव के रंग में रंग जाता है। इन्हीं पंडालों में सबसे खास पहचान रखता है ‘लालबाग चा राजा’(Lalbagh Cha Raja), जिसे मुंबई का सबसे लोकप्रिय और चमत्कारी गणपति माना जाता है। साल 1934 में इसकी शुरुआत हुई थी और तब से लेकर आज तक यह सिर्फ एक पंडाल नहीं, बल्कि भक्तों की आस्था और उम्मीदों का केंद्र बन चुका है। चाहे आम इंसान हो या बॉलीवुड और राजनीति की बड़ी हस्तियां, हर कोई यहाँ आकर सिर झुकाता है। लालबाग चा राजा का 90 सालों का इतिहास (History Of Lalbagh Cha Raja) केवल गणेशोत्सव की भव्यता नहीं दिखाता, बल्कि यह भी साबित करता है कि कैसे आस्था समय के साथ और गहरी होती जाती है।

कैसे हुई थी ‘लालबाग चा राजा’ की शुरुआत?

मुंबई के लालबाग इलाके में स्थित ‘लालबाग चा राजा’ (Lalbagh Cha Raja) सिर्फ एक गणपति पंडाल नहीं, बल्कि आस्था और विश्वास का प्रतीक है। इसकी शुरुआत 1934 में हुई थी, जब लालबाग क्षेत्र के मजदूर और मछुआरे समुदाय को उनके रोज़गार से जुड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उस समय इलाके की फैक्ट्रियाँ और मार्केट बंद हो गए थे, जिससे लोगों की आजीविका खतरे में पड़ गई। ऐसे हालात में वहाँ के निवासियों और मंडल ने मिलकर गणपति उत्सव शुरू किया और भगवान से प्रार्थना की कि उन्हें स्थायी रोज़गार और शांति मिले।

मुंबई के लालबाग इलाके में स्थित ‘लालबाग चा राजा’ सिर्फ एक गणपति पंडाल नहीं, बल्कि आस्था और विश्वास का प्रतीक है। [X]
मुंबई के लालबाग इलाके में स्थित ‘लालबाग चा राजा’ सिर्फ एक गणपति पंडाल नहीं, बल्कि आस्था और विश्वास का प्रतीक है। [X]

माना जाता है कि इसके बाद धीरे-धीरे लोगों की परिस्थितियाँ सुधरने लगीं, और यहीं से ‘लालबाग चा राजा’ (Lalbagh Cha Raja) लोगों की आस्था का केंद्र बन गया। आज यह गणपति प्रतिमा केवल मुंबई ही नहीं, बल्कि पूरे भारत और विदेशों में भी मशहूर है। यहाँ आने वाले भक्त मानते हैं कि उनकी मनोकामनाएँ जरूर पूरी होती हैं। यही वजह है कि लालबाग चा राजा को ‘नवसाचा गणपति’ यानी "इच्छा पूरी करने वाले गणपति" कहा जाता है। आम हो या खास, हर साल लाखों लोग यहाँ दर्शन के लिए घंटों लंबी कतारों में खड़े रहते हैं।

‘लालबाग चा राजा’ का महत्व

मुंबई का ‘लालबाग चा राजा’ (Lalbagh Cha Raja) केवल एक गणपति प्रतिमा नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र है। इसका महत्व इतना है कि हर साल गणेशोत्सव के दौरान देश-विदेश से लाखों भक्त यहाँ पहुँचते हैं। माना जाता है कि यहाँ दर्शन करने से भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है, इसी वजह से इसे ‘नवसाचा गणपति’ (‘Navasacha Ganpati’) यानी "इच्छा पूरी करने वाले गणपति" कहा जाता है। इस पंडाल की खासियत यह है कि यहाँ भक्तों की भीड़ केवल आम जनता तक सीमित नहीं रहती, बल्कि फिल्मी सितारे, उद्योगपति और राजनीतिक हस्तियाँ भी दर्शन के लिए आते हैं।

मुंबई का ‘लालबाग चा राजा’ केवल एक गणपति प्रतिमा नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र है। [X]
मुंबई का ‘लालबाग चा राजा’ केवल एक गणपति प्रतिमा नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र है। [X]

कई लोग तो घंटों लंबी लाइनों में खड़े होकर सिर्फ एक झलक पाने का इंतज़ार करते हैं। भक्त अपने जीवन की समस्याओं से लेकर सुख-शांति और सफलता की कामना करने यहाँ आते हैं। ‘लालबाग चा राजा’ का महत्व सामाजिक दृष्टि से भी बहुत बड़ा है। यह पंडाल लोगों को एक साथ जोड़ता है, चाहे वे किसी भी वर्ग, जाति या धर्म से हों। यही वजह है कि गणेशोत्सव के दिनों में लालबाग का इलाका एक सांस्कृतिक और धार्मिक मेलजोल का केंद्र बन जाता है।

‘लालबाग चा राजा’ से जुड़ी मान्यताएँ और महाराष्ट्र में पूजा का तरीका

लालबाग चा राजा को लेकर कई गहरी मान्यताएँ जुड़ी हुई हैं। भक्त मानते हैं कि यह गणपति प्रतिमा केवल दर्शनों के लिए नहीं, बल्कि मनोकामनाएँ पूरी करने वाले गणपति हैं। इसीलिए इन्हें ‘नवसाचा गणपति’ कहा जाता है। लाखों लोग यहाँ आकर अपनी इच्छाएँ मन ही मन कहते हैं और मान्यता है कि ‘राजा’ उन्हें जरूर पूरी करते हैं। यही वजह है कि भक्त यहाँ पर विशेष तौर पर मानता (व्रत या संकल्प) बाँधते हैं। उदाहरण के तौर पर कोई स्वास्थ्य, नौकरी, व्यापार या परिवार की खुशहाली की प्रार्थना करता है और पूरी होने पर फिर से गणपति के दर्शन करने आता है।

लालबाग चा राजा को लेकर कई गहरी मान्यताएँ जुड़ी हुई हैं। [X]
लालबाग चा राजा को लेकर कई गहरी मान्यताएँ जुड़ी हुई हैं। [X]

महाराष्ट्र में लालबाग चा राजा की पूजा बेहद भव्य तरीके से होती है। गणेश चतुर्थी पर प्रतिमा की स्थापना विधि-विधान से की जाती है और दस दिनों तक लगातार पूजा, आरती और भजन चलते रहते हैं। रोज़ाना सुबह-शाम आरती में हजारों लोग शामिल होते हैं। भक्त नारियल, फूल, मोदक और मिठाइयाँ चढ़ाते हैं, जिन्हें गणपति का सबसे प्रिय भोग माना जाता है।

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गणेश विसर्जन के दिन लालबाग का राजा एक भव्य शोभायात्रा के साथ निकाला जाता है, जिसमें लाखों लोग शामिल होकर “गणपति बप्पा मोरया” के जयकारे लगाते हैं। यह दृश्य मुंबई ही नहीं, पूरे भारत में देखने वाले को अद्भुत आस्था और एकता का अनुभव कराता है। [Rh/Sp]

‘लालबाग चा राजा’, जिसे मुंबई का सबसे लोकप्रिय और चमत्कारी गणपति माना जाता है। [Pixabay]
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