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क्या आपने कभी सुना है कि किसी जगह पर आज भी लोग अस्पताल या दवाइयों की जगह जादू-टोने से इलाज करवाते हैं? जी हां! फ़िलीपींस (Philippines) में एक ऐसा ‘जादुई द्वीप’ (‘The Magic Island’) है, जहाँ लोग मानते हैं कि हर बीमारी का इलाज दवाओं से नहीं, बल्कि रहस्यमयी टोने-टोटकों और प्राचीन रीति-रिवाजों से होता है। यहाँ के स्थानीय लोग पीढ़ियों से चली आ रही मान्यताओं पर भरोसा करते हैं और मानते हैं कि साधारण बुखार से लेकर गंभीर रोग तक, सबका इलाज ‘फेथ हीलिंग’ (‘Faith Healing’) यानी आस्था और जादुई उपचार से संभव है।
इस द्वीप पर रहने वाले तथाकथित ‘हीलर्स’ या ‘शामन’ (ओझा-तांत्रिक) को लोग भगवान का दूत मानते हैं। उनका विश्वास है कि ये हीलर्स अदृश्य शक्तियों से संवाद करते हैं और उन शक्तियों के जरिए रोगों को ठीक कर देते हैं। कई बार यहाँ पर अजीबोगरीब अनुष्ठान, मंत्रोच्चारण और प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का भी इस्तेमाल किया जाता है। आज की आधुनिक दुनिया में जहाँ लोग अत्याधुनिक चिकित्सा पर निर्भर हैं, वहीं इस द्वीप की ये परंपरा हैरान कर देती है। लेकिन यही इसे रहस्यमयी और दिलचस्प भी बनाता है। आइए जानते हैं इस जादुई द्वीप का इतिहास, यहाँ के उपचारों की अनोखी विधियाँ और इनसे जुड़ी मान्यताओं के बारे में।
सिकिउजोर: फिलीपींस का ‘जादुई द्वीप’
हम आपको ले चलते हैं फ़िलीपींस (Philippines) के उस रहस्यमयी द्वीप पर जिसका नाम है सिकिउजोर (Siquijor)। यह द्वीप अपनी खूबसूरती के साथ-साथ जादू-टोने और हर्बल इलाज (Herbal Cure) की परंपराओं के लिए दुनिया भर में मशहूर है। फिलीपींस में बसे इस द्वीप पर लोग केवल घूमने के लिए ही नहीं, बल्कि बीमारियों और परेशानियों का इलाज ढूँढने भी जाते हैं। यहाँ आने वालों में सिर्फ़ फ़िलीपींस के स्थानीय लोग ही नहीं, बल्कि विदेशी लोग भी शामिल होते हैं।
दरअसल सोलहवीं सदी में जब स्पैनिश यात्री यहाँ पहुँचे, तो उन्होंने स्थानीय परंपराओं और कैथोलिक मान्यताओं को मिलाकर एक अलग तरह की चिकित्सा पद्धति शुरू की। इसमें खास तौर पर जड़ी-बूटियों का प्रयोग, बुरी आत्माओं को दूर करने के लिए अनुष्ठान, धूनी देना और औषधीय रस तैयार करना शामिल था। आज भी सिकिउजोर द्वीप (Siquijor Island) पर ‘हीलर्स’ या स्थानीय वैद्य हैं जो इन प्राचीन तरीकों से लोगों का इलाज करते हैं। लोग विश्वास करते हैं कि यह चिकित्सा न केवल शरीर, बल्कि आत्मा को भी शुद्ध करती है। यही वजह है कि सिकिउजोर को दुनिया का जादुई द्वीप कहा जाता है।
जादू-टोना से बीमारी भगाने वालों का होता है सम्मान
सिकिउजोर द्वीप (Siquijor Island) की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहाँ के लोग जादू-टोना और पारंपरिक उपचार करने वालों को बेहद सम्मान देते हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि ये चिकित्सक साधारण इंसान नहीं, बल्कि ईश्वर का वरदान पाए हुए लोग हैं। वे कहते हैं कि इनकी शक्ति किसी एक वर्ग या चुनिंदा लोगों के लिए नहीं, बल्कि सभी के लिए समान रूप से उपलब्ध है। यही वजह है कि जब भी कोई बीमार होता है तो आधुनिक डॉक्टर की बजाय पहले इन्हीं स्थानीय चिकित्सकों के पास जाता है।
यहाँ के ‘हीलर्स’ यानी वैद्य न सिर्फ जड़ी-बूटियों से बनी दवाएँ देते हैं, बल्कि झरनों, जंगलों और समुद्रों में रहने वाली बुरी आत्माओं को शांत करने के लिए विशेष अनुष्ठान भी करते हैं। मान्यता है कि अगर इन आत्माओं को नाराज़ किया जाए तो वे बीमारी, तकलीफ़ या यहाँ तक कि मौत भी दे सकती हैं। इसलिए लोग इन उपचारकों पर पूरी आस्था रखते हैं। इस द्वीप पर 300 से अधिक प्रकार की जड़ी-बूटियाँ पाई जाती हैं और इन्हीं से दवाएँ बनाकर इलाज किया जाता है। यही कारण है कि यहाँ के निवासी इन चिकित्सकों को केवल डॉक्टर नहीं, बल्कि भक्तों और रोगियों के सच्चे रक्षक मानते हैं। उनकी सेवाओं का सम्मान करते हुए लोग उन्हें अपनी संस्कृति और परंपरा का अहम हिस्सा मानते हैं।
जादू-टोने की परंपरा की शुरुआत कैसे हुई?
सिकिउजोर द्वीप (Siquijor Island) की रहस्यमयी पहचान बहुत पुरानी है। इतिहासकार मानते हैं कि सन 1565 में स्पेनिश यात्री ख़ुवान अगीरे और एस्टेबान रॉड्रिगेज़ जब इस द्वीप पर पहुँचे, तो उन्होंने दूर से चमकती हुई रोशनी को आग समझ लिया और इसका नाम "असला डी फ्यूगो" ("Asala de fuego") (फायर आइलैंड) रख दिया। लेकिन असल में यह चमक जादू नहीं बल्कि जुगनुओं की टिमटिमाती रोशनी थी, जो मुलो नामक पेड़ों के चारों ओर मंडराती थी। यही प्राकृतिक नज़ारा लोगों को रहस्यमयी और जादुई प्रतीत हुआ।
धीरे-धीरे यह धारणा फैल गई कि इस द्वीप पर कोई अलौकिक शक्ति है। यही कारण था कि आसपास के द्वीपों के लोग लंबे समय तक यहाँ आने से डरते थे। इसी दौरान सिकिउजोर में जड़ी-बूटियों और प्राचीन उपचार पद्धतियों का इस्तेमाल बढ़ा और इन्हें जादुई शक्तियों से जोड़ा जाने लगा। हालाँकि 1521 में कैथोलिक धर्म (Catholicism) फिलीपींस में पहुँच चुका था, लेकिन मिशनरी लोग 1700 तक सिकिउजोर नहीं पहुँच पाए। वजह थी यहाँ जादू-टोने की गहरी जड़ें। समय बीतने के साथ, इन परंपराओं ने धर्म के साथ तालमेल बिठा लिया। स्थानीय उपचारक मानने लगे कि उनकी शक्ति ईश्वर की देन है। इस तरह सिकिउजोर में धर्म और जादू दोनों मिलकर एक अनोखी परंपरा बन गए, जिसने इस द्वीप को आज भी "जादुई द्वीप" (‘The Magic Island’) की पहचान दी है।
क्या है मोहब्बत का शरबत और जड़ी-बूटियों का जादू?
सिकिउजोर द्वीप की पहचान सिर्फ जादू-टोने तक सीमित नहीं है, यहाँ जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर होता है। सड़क किनारे दुकानों में ये आसानी से मिल जाती हैं और करीब 100 पीसो में खरीदी जा सकती हैं। इनमें सबसे लोकप्रिय है "मोहब्बत का शरबत", जिसे लगभग 20 प्राकृतिक अवयवों से बनाया जाता है। इन अवयवों में 'पंगामे' नामक एक खास टहनी होती है, जो हाथ की तरह दिखती है और "मेरे पास आओ" का संकेत मानी जाती है।
पिछले तीस साल से यह शरबत बनाने वाली लीलिया आलोम बताती हैं कि यह पेय स्थायी प्रेम नहीं देता, बल्कि कुछ समय के लिए भावनाओं को जगाता है। उनका मानना है कि यह पेय असल में कारोबार और सफलता के लिए ज्यादा कारगर है, क्योंकि यह इंसान को आत्मविश्वास और सकारात्मक सोच प्रदान करता है। यही वजह है कि स्थानीय लोग इसे आज भी बेहद महत्वपूर्ण मानते हैं।
रहस्यमयी ‘मिनासा’ और आत्मा को शांत करने की रस्म
सिकिउजोर द्वीप पर मिनासा नाम का काला एलिक्सिर बेहद खास माना जाता है। इसे बनाने में 200 से अधिक अवयवों का उपयोग होता है, जैसे कीड़े-मकोड़े, फूल, जड़ी-बूटियां, जंगली शहद और यहां तक कि कब्रिस्तान से पिघली हुई मोमबत्तियां। चिकित्सक इसे तैयार करने के लिए लगातार सात शुक्रवार तक विशेष जगहों का दौरा करते हैं। यह साल में सिर्फ ब्लैक सैटरडे को बनाया जाता है, जिसे ईसा मसीह के दफन होने का दिन माना जाता है।
इसके अलावा यहां टिगी नामक एक अनोखी रस्म होती है। मान्यता है कि कभी-कभी मृतक रिश्तेदार की आत्मा बीमारी का कारण बनती है। इस स्थिति में चिकित्सक एक छड़ी के सहारे आत्मा की पहचान करते हैं। बीमार व्यक्ति स्थानीय पादरी को उपहार देता है और मृतक के नाम पर प्रार्थना कर आत्मा को शांत किया जाता है। लोगों का विश्वास है कि इससे न केवल बीमारी दूर होती है बल्कि आत्मा को भी शांति मिलती है।
क्या है रहस्यमयी ‘बोलो-बोलो’ चिकित्सा पद्धति?
सिकिउजोर की परंपराओं में ‘बोलो-बोलो’ नाम की एक अनोखी चिकित्सा पद्धति आज भी मौजूद है। इसे करने वाले अब गिने-चुने चिकित्सक ही बचे हैं। इस उपचार में एक मर्तबान, ताज़ा पानी, भूसा और एक जादुई पत्थर का इस्तेमाल किया जाता है। चिकित्सक मर्तबान को रोगी के ऊपर रखते हैं और उसमें पानी भरकर बुलबुले उड़ाते हैं। मान्यता है कि जादुई पत्थर आत्मा या बुरी शक्ति को खींचकर पानी में उतार देता है, जिसकी वजह से पानी धुंधला और गंदा हो जाता है।
यह प्रक्रिया तब तक दोहराई जाती है जब तक पानी फिर से साफ न हो जाए, और पानी का साफ होना रोगी के स्वस्थ होने का संकेत माना जाता है। दिलचस्प बात यह है कि ये चिकित्सक इलाज के बदले कोई फीस नहीं लेते, बल्कि छोटे-छोटे उपहार स्वीकार करते हैं। उनका मानना है कि यह काम लाभ कमाने के लिए नहीं, बल्कि गुज़ारा करने और दूसरों की मदद करने के लिए है। हालांकि समय के साथ इन चिकित्सकों की संख्या कम होती जा रही है। इसी परंपरा को बचाने के लिए साल 2006 से हर पवित्र सप्ताह में ‘सिकिउजोर हीलिंग फेस्टिवल’ आयोजित किया जाता है, जिसमें स्थानीय लोग और पर्यटक दोनों शामिल होकर इस रहस्यमयी चिकित्सा का अनुभव करते हैं। [Rh/SP]