
राजस्थान में तीन ऐसे मंदिर हैं, जहां मां भगवती (Bhagwati) की कृपा से लकवे के मरीज पूरी तरह से स्वस्थ हो जाते हैं। राजस्थान में बिजासन माता का मंदिर है, जो टोंक जिले के देवली शहर के पास बसे गांव कुचलवाड़ा में है। मंदिर की मान्यता है कि यहां आने से लकवा जैसे गंभीर रोग से पीड़ित व्यक्ति भी स्वस्थ हो जाते हैं। लकवे से ग्रसित लोग दूर-दूर से अपनी बीमारी से निजात पाने के लिए यहां आते हैं और ठीक होकर घर जाते हैं। मंदिर की लोकप्रियता की वजह से श्रद्धालुओं की संख्या भी बढ़ने लगी है।
वहीं राजस्थान (Rajasthan) के चित्तौड़गढ़ में बसा आवरी माता का मंदिर भी लकवे के इलाज के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर चित्तौड़गढ़ के पास बसे गांव आसावरा में है। मंदिर 750 साल से ज्यादा पुराना है। कहा जाता है, जो भी लकवे से ग्रस्त मरीज मां आवारी के दर्शन करता है, वह मंदिर से वापस घर अपने पैरों पर जाता है। इस मान्यता की वजह से ही श्रद्धालुओं का मां आवरी पर विश्वास आज तक बना हुआ है।
राजस्थान में हीं उदयपुर (Udaipur) शहर से 60 किमी दूर अरावली की पहाड़ियों में स्थित है ईडाणा माता मंदिर, जो अपने चमत्कार के लिए प्रसिद्ध है। खास बात ये है कि यहां माता ईडाणा खुद अग्निस्नान करती हैं और उनके इस रूप को देखने के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं। ये अग्नि कौन प्रज्वलित करता है…ये किसी को नहीं पता। मां अग्निस्नान महीने में 2 से 3 बार करती हैं और उसका कोई सीमित समय नहीं होता। इतना ही नहीं, मां अग्निस्नान करके, खुद-ब-खुद शांत हो जाती हैं। मां ईडाणा भी भक्तों को शारीरिक रोगों से मुक्त करती हैं। भक्त लकवे की बीमारी से निजात पाने के लिए इस मंदिर में आते हैं। इस मंदिर को उदयपुर मेवल की महारानी के नाम पर रखा गया है।
(BA)