Theyyam: एक ऐसी परंपरा जब देवता खुद धरती पर आतें हैं!

Theyyam, नाम सुनते ही एक जादुई सा दृश्य सामने आ जाता है, जहां धरती पर देवता उतरते हैं, और वह भक्तों की आस्था और नृत्य में घुल जाते है। Theyyam सिर्फ एक लोकनृत्य नहीं, बल्कि मानव और दिव्य के बीच की दूरी को मिटाने वाला एक पवित्र अनुष्ठान है।
Theyyam Ritual Performed By Someone
TheyyamSora Ai
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Theyyam, नाम सुनते ही एक जादुई सा दृश्य सामने आ जाता है, जहां धरती पर देवता उतरते हैं, और वह भक्तों की आस्था और नृत्य में घुल जाते है। Theyyam सिर्फ एक लोकनृत्य नहीं, बल्कि मानव और दिव्य के बीच की दूरी को मिटाने वाला एक पवित्र अनुष्ठान है। केरल के मलाबार क्षेत्र की यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है, जिसमें कलाकार स्वयं को देवता की आत्मा से जोड़ लेते हैं और भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। पिछले कुछ वर्षों में लोकप्रिय फिल्म Kantara ने इस तरह की परंपराओं और लोकभक्ति को बड़े परदे पर खूबसूरती से पेश किया। फिल्म में दिखाया गया “भूत कोला” या देवता के अवतार का दृश्य, Theyyam की विराट अनुभूति का आभास देता है। दर्शक महसूस करते हैं कि ये सिर्फ नाटक नहीं, बल्कि वह पलों हैं जब आस्था हृदय में धड़कने लगती है। आज हम उसी वेब-संसार की यात्रा करेंगे जहाँ हम जानेंगे, की आखिर यह Theyyam की परंपरा है क्या?

क्या है Theyyam?

Kaliyattam या Thira
Kaliyattam या ThiraWikimedia Commons

Theyyam, जिसे कभी-कभी Kaliyattam या Thira भी कहा जाता है, केरल के उत्तर मलाबार क्षेत्र में प्रचलित एक धर्म-रूप नृत्य-रूपक परंपरा है। यह लोक-आस्था, पुरातन जनजातीय देवपूजा और हिंदू लोककथाओं का मिश्रण है। कलाकार इस अनुष्ठान में देवता के रूप में नज़र आते हैं और ऐसा माना जाता है कि उस समय वह व्यक्ति सिर्फ कलाकार नहीं, बल्कि देवता का माध्यम बन जाता है। Theyyam नाम “देव” या “दैवम” से आया माना जाता है अर्थात “देवता” का आलेख। यह न सिर्फ दृश्य कला है, बल्कि एक जिंदा रीति-रिवाज, लोकश्रद्धा और सामाजिक अस्तित्व का हिस्सा है। आपको बता दें कि लगभग 400 से अधिक प्रकार के Theyyam जाने जाते हैं, हर एक में अपनी विशिष्टता होती है मेकअप, स्वरूप, कथा और मंत्र सभी के अलग अलग होते हैं। ऐसा माना जाता है कि Theyyam एक पुल है, मानव और दिव्य के बीच, कला और आस्था के बीच। यह हमारी लोकधाराओं की जीवंत कहानी है, वह कहानी जो रंगों, आवाज़ों और लोकविश्वास से खुद को व्यक्त करती है।

Theyyam के समय क्या होता है ?

Vellattam या Thottam
Vellattam या ThottamPixabay

Theyyam अनुष्ठान कई चरणों में संपन्न होता है प्रत्येक चरण एक गहरा अर्थ रखता है। पहले कलाकार को शुद्धता और संयम से तैयारी करनी होती है अक्सर तीन, पाँच या सात दिन तक उपवास, और उन्हें गैर-शाकाहारी खाद्य से दूर रहना पड़ता है। दिन तय करने और Kolam (मास्क / देव स्वरूप पहनने की अनुमति) हस्तान्तरण के बाद, कलाकार और संगीतकार शाम को कार्यक्रम स्थल पर पहुँचते हैं। प्रारंभ में Vellattam या Thottam नामक प्रारंभिक रिचुअल होता है, जहाँ हल्का मेकअप और छोटा मुकुट पहनकर भगवान की कथाएँ प्रस्तुत की जाती हैं। बाद में कलाकार पूरी वेशभूषा और मेकअप में प्रवेश करता है। वह मंदिर या कावु (sacred grove) में घूमता है, मंत्र का उच्चारण करता है, नृत्य करता है और भक्तों को आशीर्वाद देता है। यह आशीर्वाद हल्दी, चावल या फूलों के माध्यम से दिया जाता है।

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जब वह मुकुट (headdress) पहन लेता है, तभी उसे पूर्ण देवता माना जाता है। उस समय भक्त उससे अपनी मनोकामनाएँ कह सकते हैं। कुछ Theyyam रचनाएँ अग्नि प्रदर्शन भी करती हैं जैसे कलाकार अग्नि पर चलना या तांडव करना। पूरा अनुष्ठान कई घंटे, कभी-कभी रात भर चलता है और अंत में कलाकार धीरे-धीरे मानव रूप में लौट आता है। ऐसा कहा जाता है कि Theyyam के समय व्यक्ति के अंदर उनके देवता आ जाते हैं जो नृत्य करते हैं और अपने भक्तों की रक्षा करतें हैं।

कहां और कब होती है Theyyam की परंपरा?

Theyyam मुख्य रूप से केरल के उत्तर मलाबार क्षेत्र में पाये जाते हैं
Theyyam मुख्य रूप से केरल के उत्तर मलाबार क्षेत्र में पाये जाते हैं Wikimedia Commons

Theyyam मुख्य रूप से केरल के उत्तर मलाबार क्षेत्र में पाये जाते हैं खासकर Kannur, Kasaragod, Wayanad, Kozhikode जिलों में। कर्नाटक के कुछ सीमावर्ती हिस्सों में भी यह परंपरा मिलती है। Theyyam का सीज़न आमतौर पर नवम्बर से मार्च / अप्रैल तक चलता है, जो मौसम और मंदिरों की कार्यक्रम सूची पर निर्भर करता है। अधिकांश प्रदर्शन देर शाम या सुबह सुबह होते हैं ताकि वातावरण पवित्र और शांत हो। कुछ मंदिर केवल वर्ष में एक बार या हर दो-तीन वर्ष में Theyyam आयोजन करते हैं, यह उस मंदिर की परंपरा पर निर्भर करता है। आपको बता दें कि कुल मिलाकर, 1200 से अधिक मंदिरों/कावुओं में Theyyam समारोह होते हैं।

Theyyam परंपरा से जुड़ी कुछ बातें

Some facts about the Theyyam tradition
Some facts about the Theyyam tradition Wikimedia Commons
  • Theyyam प्रदर्शन रंगीन, जटिल और गूढ़ होता है। कलाकार का मेकअप (chamayam) हल्दी, चूने, कोयला आदि से बनाया जाता है, और चेहरे एवं शरीर पर पैटर्न बनाए जाते हैं।

  • इनकी वेशभूषा भारी होती है कई कपड़े, आभूषण, मुकुट आदि शामिल होते हैं।

  • नृत्य की शुरुआत धीरे होती है, फिर गति बढ़ती है और कलाकार चक्राकार रूप से मंदिर परिसर या मैदान में घूमता है। संगीत में चेंडा (ड्रम), नुक्कलु (wind instrument), Elathalam जैसे उपकरण उपयोग होते हैं।

  • एक महत्वपूर्ण क्षण है जब कलाकार मुकुट पहनता है तभी उसे “देवता” माना जाता है। भक्त उससे आशीर्वाद लेते हैं, पूछते हैं और जीवन की परेशानियों का हल मांगते हैं।

  • कुछ प्रदर्शन आग, रक्त-बलिदान आदि तत्व भी शामिल करते हैं।

  • अंततः कलाकार धीरे-धीरे अपनी देव स्थिति से उतरता है और मानव रूप में लौटता है।

  • यह प्रदर्शन सिर्फ नज़र का आनंद नहीं, बल्कि एक धार्मिक अनुभव है।

कौन होते है यह Theyyam के देवता ?

Theyyam Gods
Theyyam GodsWikimedia Commons
  • Theyyam कलाकार अक्सर उन समुदायों से आते हैं जो परंपरागत रूप से इस कला से जुड़े हैं विशेषकर सामाजिक रूप से निचली जाति के लोग।

  • ये कलाकार (Theyyaakkaran) लंबे समय से परिवार-परंपरा से यह कला सीखते आए हैं। जब कलाकार मुकुट पहनता है, तब उसे देवता माना जाता है भक्त उनसे सलाह लेते हैं, दोष निवारण की बातें कहते हैं और आशीर्वाद भी मांगते हैं।

  • इन कलाकारों की पहचान कभी-कभी गुप्त रखी जाती है। कई कलाकार यह कला पीढ़ी दर पीढ़ी सीखते हैं। उन्हें विगत अनुभव, मंत्र, पारंपरिक नृत्य और धार्मिक कथाओं की जानकारी दी जाती है।

  • ये “god men” न सिर्फ कलाकार हैं, बल्कि लोकधर्म, सामाजिक चेतना और सांस्कृतिक संरचनाओं के संवाहक भी हैं। [Rh/SP]

Theyyam Ritual Performed By Someone
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