
नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) ने एक समय पर कहा था कि युवराज सिंह में कोई ख़ास प्रतिभा नहीं है।
उनके पिता योगराज सिंह (Yuvraj Singh) ने इस आलोचना को प्रेरणा में बदल दिया और युवराज को कड़ी मेहनत, अनुशासन और आत्मविश्वास सिखाया।
युवराज ने अपने प्रदर्शन से सबको गलत साबित किया और 2011 वर्ल्ड कप जैसी उपलब्धियों से वे भारत के क्रिकेट इतिहास में अमर हो गए।
क्या बोले थे नवजोत सिंह सिद्धू युवराज सिंह के बैटिंग को देख कर ?
ज़िंदगी में कभी-कभी किसी की कही हुई एक बात इंसान का पूरा रास्ता बदल देती है। क्रिकेट की दुनिया में भी ऐसी ही एक प्रेरक कहानी है युवराज सिंह (Yuvraj Singh) की। एक समय था जब पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) ने कहा था कि उन्हें युवराज में कोई ख़ास प्रतिभा नहीं दिखती। यह बयान कई लोगों के लिए मामूली रहा, लेकिन युवराज और उनके पिता योगराज सिंह के लिए यह एक चुनौती बन गया था।
युवराज के पिता योगराज सिंह (Yograj Singh) खुद एक पूर्व क्रिकेटर रहे हैं। वे जानते थे कि उनके बेटे में दम है, बस सही दिशा दिखाने की देर थी। उन्होंने सिद्धू की टिप्पणी को नकारात्मक रूप में नहीं लिया, बल्कि इसे एक प्रेरणा का रूप दे दिया। योगराज ने युवराज को अनुशासन, मेहनत और आत्मविश्वास का महत्व समझाया। हर सुबह वे युवराज को मैदान पर अभ्यास कराते थे।
उन्होंने अपने पिता की बातों को दिल से अपनाया। धीरे-धीरे उनका खेल निखरता गया। उन्होंने अपने फिटनेस, बल्लेबाज़ी और मानसिक मजबूती पर खास ध्यान दिया। 2002 के बाद उनका खेल भारत के लिए उम्मीद बन गया। 2007 में इंग्लैंड (England) के खिलाफ एक ओवर में छह छक्के मारकर उन्होंने साबित कर दिया कि आलोचना भी किसी को महान बना सकती है।
2011 के वर्ल्ड कप (World Cup) में जब युवराज “मैन ऑफ द टूर्नामेंट” (Man of the Tournament) बने, तो सबने माना कि योगराज की मेहनत और युवराज की लगन ने मिलकर इतिहास रच दिया।
निष्कर्ष
यह कहानी बताती है कि अगर आपके भीतर हिम्मत और आत्मविश्वास है, तो दुनिया की कोई नकारात्मक टिप्पणी (Negative Comment) आपको रोक नहीं सकती। सिद्धू की आलोचना जहाँ एक वक्त पर ताना थी, आज वही कहानी युवराज सिंह के संघर्ष और सफलता की मिसाल बन गई है।
[Rh/SS]