बिहार चुनाव 2025: अपराध और पैसा, जनता किसे चुनेगी?

अपराधी नेताओं से भरे मैदान और करोड़पतियों की राजनीति, क्या इस बार बिहार बदलेगा या फिर वही पुराना चेहरा लौटेगा?
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Summary
  • बिहार चुनाव 2025 के पहले चरण में कितने उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले हैं।

  • किन पार्टियों के सबसे ज़्यादा “दागी” और अमीर उम्मीदवार हैं।

  • जनता के सामने खड़ा असली सवाल, क्या इस बार अपराध और पैसे की राजनीति खत्म होगी?

बिहार की सियासत में अपराध और पैसा फिर से चर्चा में

बिहार (Bihar) की चुनावी ज़मीन एक बार फिर से गरम हो चुकी है। पोस्टर, भाषण और वादों के बीच अब जो बात सबसे ज़्यादा चर्चा में है, वह है उम्मीदवारों का आपराधिक रिकॉर्ड और उनकी दौलत। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की नई रिपोर्ट ने चौंकाने वाले आंकड़े पेश किए हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, पहले चरण में चुनाव लड़ने वाले लगभग हर तीन में से एक उम्मीदवार पर अपराध का मामला दर्ज है। यानी राजनीति और अपराध का रिश्ता अब भी उतना ही मज़बूत है जितना सालों पहले था।

हर तीसरा उम्मीदवार अपराधी पृष्ठभूमि वाला

एडीआर (ADR) रिपोर्ट के अनुसार, पहले चरण में 32% उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं, और 27% पर गंभीर आरोप हैं। ये गंभीर मामले हत्या, हत्या के प्रयास और महिलाओं के खिलाफ अपराधों से जुड़े हैं। रिपोर्ट बताती है कि 33 उम्मीदवार हत्या के आरोप में, 86 उम्मीदवार हत्या के प्रयास के आरोप में, और 42 उम्मीदवार महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में आरोपी हैं, जिनमें 2 पर बलात्कार के भी आरोप हैं।

यह आंकड़े यह दिखाते हैं कि बिहार की राजनीति में अपराधियों की मौजूदगी अब एक “सामान्य” बात बन चुकी है। जनता के सामने विकल्पों की कमी है, एक ही सीट से कई ऐसे उम्मीदवार मैदान में हैं जिन पर गंभीर केस चल रहे हैं। यही कारण है कि 91 में से 121 सीटें अब “रेड अलर्ट ज़ोन” (Red Alert Zone) घोषित की गई हैं, यानी जहां तीन या उससे ज़्यादा आरोपी प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं।

कौन सी पार्टी कहां खड़ी है?

जब बात आती है पार्टियों की, तो लगभग हर बड़ा दल इस सूची में शामिल है। CPI और CPI(M) यानी वामपंथी दलों के सभी उम्मीदवारों पर आपराधिक केस दर्ज हैं। RJD (राष्ट्रीय जनता दल) में ऐसे 76% उम्मीदवार हैं जिन पर आपराधिक मामले हैं। वहीं BJP (भारतीय जनता पार्टी) भी बहुत पीछे नहीं, उसके 65% उम्मीदवारों पर गंभीर केस हैं। JD(U) और कांग्रेस (Congress) के भी कई प्रत्याशियों का नाम इस सूची में शामिल है।

एडीआर की रिपोर्ट
एडीआर (ADR) रिपोर्ट के अनुसार, पहले चरण में 32% उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं, और 27% पर गंभीर आरोप हैंADR

यह स्थिति दिखाती है कि किसी भी पार्टी ने “साफ-सुथरी राजनीति” की बात को गंभीरता से नहीं लिया। हर दल ने ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिया जो किसी न किसी केस में आरोपी हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि ऐसे “ताकतवर” नेता ही जीत सकते हैं।

राजनीति में दौलत का खेल: करोड़पतियों की भरमार

बिहार चुनाव 2025 (Bihar Election 2025) में सिर्फ अपराध नहीं, बल्कि पैसा भी एक बड़ा फैक्टर बन गया है। एडीआर (ADR) रिपोर्ट बताती है कि करीब 40% उम्मीदवार करोड़पति हैं। सबसे आगे है आरजेडी (RJD), जिसके 97% उम्मीदवार करोड़पति हैं। इसके बाद भाजपा (BJP) और जेडीयू (JDU) का नंबर आता है। इससे साफ झलकता है कि बिहार की राजनीति अब गरीब या आम आदमी के बस की बात नहीं रही। चुनाव लड़ना अब एक “महंगा सौदा” बन चुका है, टिकट पाने से लेकर प्रचार तक सब कुछ पैसे से जुड़ा है।

जहां कभी राजनीति सेवा का माध्यम थी, अब वह धनबल और बाहुबल का खेल बन गई है। ADR की चेतावनी: अपराधी और अमीर उम्मीदवारों की बढ़ती ताकत ADR का कहना है कि हर चुनाव में अपराधी पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों की संख्या बढ़ रही है। इसका कारण सिर्फ राजनीतिक दल नहीं, बल्कि मतदाता भी हैं। कई बार लोग जाति, धर्म या इलाके के प्रभाव में ऐसे उम्मीदवारों को वोट दे देते हैं जिनका रिकॉर्ड साफ नहीं होता।

कुछ लोगों को लगता है कि “सख्त” या “दमदार” नेता ही उनके इलाके में काम करवा सकते हैं।लेकिन यही सोच धीरे-धीरे पूरे सिस्टम को भ्रष्ट बना रही है। जनता के सामने बड़ा सवाल: अपराध, पैसा या बदलाव? अब सबसे बड़ा सवाल यही है, क्या बिहार की जनता इस बार अपराध और पैसे की राजनीति को नकारेगी? या फिर वही पुराने चेहरे, वही पुराने खेल दोहराए जाएंगे? जनता के पास अब मौका है कि वह तय करे कि राजनीति का असली चेहरा कैसा होना चाहिए, अपराध और पैसा, या फिर ईमानदारी और बदलाव।

निष्कर्ष

बिहार चुनाव 2025 (Bihar Election) एक बार फिर साबित कर रहे हैं कि राज्य की राजनीति में अपराध और धन का दबदबा खत्म नहीं हुआ है। हर दल “साफ छवि” की बात करता है, लेकिन टिकट उन्हीं को मिलता है जिनके पास ताकत और पैसा है।

अब यह जनता के हाथ में है कि वह इस चक्र को तोड़े और ऐसे नेताओं को चुने जो सच में जनता के लिए काम करें, न कि अपने हित के लिए। अगर इस बार बिहार ने अपराध और पैसे पर नहीं, बल्कि ईमानदारी और बदलाव पर वोट दिया, तो यह सिर्फ एक चुनाव नहीं, बल्कि बदलाव की शुरुआत होगी।

RH

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