4 हाथ और 4 पैर और 2 दिल के साथ जन्मी बच्ची, जानिए क्या था कारण

एक महिला ने 4 हाथ और 4 पैर वाली बच्ची को जन्म दिया। पूरे अस्पताल में बच्ची के पैदा होते ही इस अजीब मामले की चर्चा चालू हो गई।
4 हाथ और 4 पैर और 2 दिल के साथ जन्मी बच्ची, जानिए क्या था कारण(सांकेतिक/Wikimedia Image)
4 हाथ और 4 पैर और 2 दिल के साथ जन्मी बच्ची, जानिए क्या था कारण(सांकेतिक/Wikimedia Image)

न्यूज़ग्राम हिंदी: बिहार के सारण में अजीबोगरीब मामला सामने आया है। एक महिला ने 4 हाथ और 4 पैर वाली बच्ची को जन्म दिया। पूरे अस्पताल में बच्ची के पैदा होते ही इस अजीब मामले की चर्चा चालू हो गई। हालांकि बच्ची नहीं बची।

अस्पताल के डॉक्टर अनिल कुमार के अनुसार बच्चे की मां के 4 कान और 2 रीढ़ की हड्डी है। संजीवनी नर्सिंग होम की इस घटना के पीछे कई कारण हो सकते हैं। जानिए इस असामान्य जन्म के बारे में।

डॉक्टर ने मीडिया को बताया बच्ची की मां का यह पहला प्रसव था और वह नियमित जांच के लिए आई थी। हालांकि पेट में दर्द होने के बाद उनका ऑपरेशन करना पड़ा जिसमें यह असामान्य बच्ची पैदा हुई। सिजेरियन ऑपरेशन से पैदा हुई इस बच्ची में दो धड़कते दिल पाए गए।

ऐसी दुर्लभ और असामान्य जन्म की घटनाएं जिसमे एक और अंग होता है उसे पॉलीमेलिया (Polymelia)कहते हैं। यह 1 मिलियन जीवों के जन्म में से किसी एक को प्रभावित करती है। इस तरह की असामान्य जन्म की घटनाओं के एक से अधिक कारण होते हैं। इनमें से कुछ कारण हैं भ्रूण का सामान्य रूप से विकसित ना होना या आनुवंशिक उत्परिवर्तन 1। डॉक्टर के अनुसार यह एक ऐसी विसंगति है जिसका इलाज उस बच्चे के शरीर के अतिरिक्त अंगों पर निर्भर करता है। इन बच्चों में अतिरिक्त अंग सक्रिय होता है और साथ ही उसकी मांसपेशियां, हड्डियां और तंत्रिकाएं शामिल रहती हैं।

4 हाथ और 4 पैर और 2 दिल के साथ जन्मी बच्ची, जानिए क्या था कारण(सांकेतिक/Wikimedia Image)
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गर्भावस्था धारण करने के छठे महीने में भ्रूण के अंगों की प्रसव पूर्ण ही जांच कर उनकी असामान्यताओं की पहचान की जा सकती है। इस कारण पॉलीमेलिया की इस बीमारी का इलाज संभव है। प्रसव से पहले जांच कर सही उपायों का इस्तेमाल करने की योजना बनाना इस असामान्य घटना से बचा सकती है।

इसके लिए भ्रूण अल्ट्रासोनोग्राफी एक अच्छा उपाय है। यह अंग दोष और असामान्यताओं का पता लगाता है। इसकी मदद से पॉलीमेलिया जैसी बीमारी का भी पता चल सकता है।

MRI यानि कि चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग का उपयोग भ्रूण की असामान्यताओं का पता लगाया जा सकता है। हालांकि इस तकनीक का इस्तेमाल अंग की असामान्यताओं का पता लगाने में कम किया जाता है।

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