छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के उत्तर-पश्चिम में स्थित नवगठित जिला मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर में घुमंतू और कचरा बीनने वाले बच्चों की बे-रंग जिन्दगी में रंग भरने और उनके अंधकारमय भविष्य को रोशन करने का प्रयास अब धीरे-धीरे परवान चढ़ने लगा है। यहां जो बच्चे कचरा बिनते थे अब वे स्कूल में न केवल नजर आने लगे हैं बल्कि उनके हाथ में कलम है।
मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिला प्रशासन द्वारा संचालित 'बाल जतन अभियान' के अंतर्गत तीन बच्चों का स्कूलों में दाखिला कराकर उनके शिक्षा-दीक्षा का प्रबंध सुनिश्चित किया गया है। कलेक्टर पी.एस. ध्रुव ने बताया कि बीते 20 दिनों से जिले में इस अभियान के तहत घुमंतू और कचरा बीनने वाले बच्चों के सर्वेक्षण में 10 और बच्चे मिले है, जिनका दाखिला 15 दिसंबर को उनके रहवास के समीप के स्कूलों में कराया जाएगा। इन बच्चों के लिए पुस्तक-कॉपी, बस्ता, यूनिफार्म एवं अन्य आवश्यक सामग्रियों का प्रबंध जिला प्रशासन ने किया है।
गौरतलब है कि कलेक्टर पी.एस.ध्रुव के मार्गदर्शन में मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में घुमंतू और कचरा बीनने वाले बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए 'बाल जतन अभियान' बीते 19 नवंबर से शुरू किया गया है। इस अभियान के तहत दस वर्षीय प्रिंस पनिका एवं कुमारी तनीषा का कक्षा चौथी में तथा 11 वर्षीय बालक कान्हा कुमार कौशिक का दाखिला कक्षा पांचवी में शासकीय प्राथमिक शाला बड़ा बाजार में कराया गया है।
कलेक्टर ध्रुव ने बाल जतन अभियान के तहत प्रवेशित तीनों बच्चों की पढ़ाई-लिखाई का हाल जानने आकस्मिक रूप से चिरमिरी स्थित प्राथमिक शाला बड़ाबाजार पहुंचे। उन्होंने बच्चों से बातचीत की और उन्हें नियमित रूप से स्कूल आने की समझाईश दी।
कलेक्टर ने प्रिंस पनिका से अंग्रेजी में उसका नाम पूछा,जिसका बिना झिझक उसने उत्तर दिया-'माय नेम इज प्रिंस पनिका'। कलेक्टर ने इस पर प्रसन्नता जतायी और उसे शाबाशी देते हुए उपहार स्वरूप प्रिंस पनिका को पेन प्रदान किया।
कलेक्टर ध्रुव ने बताया कि इस अभियान के तहत अब तक कुल 13 घुमंतू और कचरा बीनने वाले बच्चे का सर्वेक्षण में पता चला, जिनमें से तीन का दाखिला करा दिया गया है। अभी 15 दिसंबर को मुस्कान, आर्या, शिवा, प्रिंस, नीतू, आरती, मनीषा आदि का एडमिशन कराया जाएगा। इन बच्चों को पालकों से संपर्क कर उन्हें बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए स्कूल भेजने की समझाईश भी दी गई है।
उन्होंने कहा कि स्कूलों में प्रवेशित बच्चों की मॉनिटरिंग की जा रही है। सप्ताह में एक दिन अधिकारी इन बच्चों के अध्ययन की जानकारी लेकर मूल्यांकन चार्ट भी तैयार कर रहे हैं।
आईएएनएस/PT