महक परवेज़ कर रही है मोमबत्ती संस्कृति को फिर से जीवंत

26 वर्षीय महक परवेज़ ने कश्मीर घाटी में मोमबत्ती संस्कृति को फिर से जीवंत करने की पहल की है।
कश्मीर घाटी
कश्मीर घाटीWikimedia

पुराने दिनों में जब बिजली नहीं होती थी, मोमबत्तियों की रोशनी में बिताए वो पल याद आते हैं। लेकिन आधुनिक युग में नए आविष्कारों के आगमन के साथ मोमबत्तियों का दैनिक उपयोग गायब हो रहा है। हालांकि, 26 वर्षीय महक परवेज़ ने कश्मीर (Kashmir) घाटी में मोमबत्ती संस्कृति को फिर से जीवंत करने की पहल की है।

श्रीनगर (Shri Nagar) के इलाही बाग की इंजीनियरिंग की छात्रा महक न केवल मोमबत्तियों के विशिष्ट, रमणीय और आकर्षक डिजाइन बनाकर संस्कृति को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही हैं, बल्कि इसे व्यावसायिक स्तर पर ले जाने की भी कोशिश कर रही हैं।

हालांकि शुरुआत में महक को इस काम के लिए जरूरी सामग्री जुटाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा, लेकिन सकारात्मक सोच के साथ वह अपनी पहल पर आगे बढ़ीं।

अलग-अलग रंगों और डिजाइनों में बनी ये मोमबत्तियां घाटी में लोकप्रियता हासिल कर रही हैं और महक को रोजाना औसतन दो से तीन ऑर्डर मिल रहे हैं।

महक परवेज़ कर रही है मोमबत्ती संस्कृति को फिर से जीवंत
महक परवेज़ कर रही है मोमबत्ती संस्कृति को फिर से जीवंतIANS

महक का कहना है कि कीमत मोमबत्ती (candles) के प्रकार के अनुसार बदलती रहती है। उदाहरण के लिए, यदि वह मोमबत्ती बनाने में बाहर से मंगाए रंगों का उपयोग करती हैं, तो यह बाकी की तुलना में थोड़ा अधिक महंगा हो सकता है।

वह जम्मू-कश्मीर (Jammu & Kashmir) के बाहर से आवश्यक उपकरण आयात करती हैं, क्योंकि विभिन्न डिजाइनों की मोमबत्तियां विदेशों से बनाई जाती हैं।

प्रतिभावान लोगों की रुचि को देखते हुए इस व्यवसाय का विस्तार करने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि अधिक से अधिक महिलाएं इससे जुड़ सकें।

महक फिलहाल अपना बिजनेस (Business) फ्रॉम होम चलाती हैं और सोशल मीडिया के जरिए उसका प्रमोशन करती हैं।

उन्हें हाल ही में पर्यटन (Tourism) विभाग द्वारा व्यापार महिलाओं के लिए आयोजित एक प्रदर्शनी में भी आमंत्रित किया गया था, जिसमें उनकी अनूठी पहल की काफी सराहना की गई थी।

कश्मीर घाटी
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एक समय था, जब लड़कियों की शिक्षा और उनके कौशल के विकास में शायद लड़कों की तुलना में कम ध्यान दिया जाता था, लेकिन जीवन के हर क्षेत्र में लड़कियों का उत्कृष्ट प्रदर्शन इस पुरानी सोच को बदल रहा है।

ऐसे में अब माता-पिता लड़कियों को लड़कों के बराबर मानते हैं और उन्हें हर क्षेत्र में आगे बढ़ते देखना चाहते हैं।

कश्मीर की महिलाओं ने खेल (sports), शिक्षा (education), स्वास्थ्य (health), कला, साहित्य, व्यापार, कला, विज्ञान (science) और प्रौद्योगिकी (technology) में अपनी योग्यता साबित की है।

आईएएनएस/RS

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