अजमेर रेप केस: अजमेर की पवित्र धरती पर महीनों तक लूटती रही बच्चियों की इज्ज़त!

ये सिर्फ एक या दो लड़कियों की कहानी नहीं थी, बल्कि 100 से भी ज़्यादा स्कूली छात्राएँ इस घिनौने जाल का शिकार बनीं। और चौंकाने वाली बात ये थी कि इसके पीछे कोई अजनबी नहीं, बल्कि वही लोग थे जिन पर समाज को सबसे ज़्यादा भरोसा होता है।
अजमेर रेप केस (Ajmer Rape Case) स्कूल के बच्चों को दिखाती है सांकेतिक तस्वीर
Ajmer Rape Case: स्कूल ड्रेसेज़ पहने लड़कियाँ, हँसी-ठिठोली करतीं मासूम छात्राएँ, किसी को क्या पता था कि वो किस खौफनाक जाल में फँस चुकी हैं। [Sora Ai]
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राजस्थान का शांत और ऐतिहासिक शहर अजमेर, जहां दरगाह की पाक गलियों में हर साल लाखों लोग दुआ माँगने आते हैं। लेकिन इसी शहर की फिजाओं में एक समय ऐसा राज छिपा था, जिसने इंसानियत को शर्मसार कर दिया था। साल 1990 से 1992 के बीच, अजमेर की तंग गलियों में एक ऐसा भयानक खेल खेला गया, जिसकी भनक तक पूरे शहर को तब नहीं लगी जब तक खुद लोगों ने नहीं बताया। स्कूल ड्रेसेज़ पहने लड़कियाँ, हँसी-ठिठोली करतीं मासूम छात्राएँ, किसी को क्या पता था कि वो किस खौफनाक जाल में फँस चुकी हैं। ये सिर्फ एक या दो लड़कियों की कहानी नहीं थी, बल्कि 100 से भी ज़्यादा स्कूली छात्राएँ इस घिनौने जाल का शिकार बनीं। और चौंकाने वाली बात ये थी कि इसके पीछे कोई अजनबी नहीं, बल्कि वही लोग थे जिन पर समाज को सबसे ज़्यादा भरोसा होता है। कैसे रचा गया ये षड्यंत्र? कौन थे इसके पीछे? और क्यों सालों तक इस मामले पर एक साज़िशी चुप्पी छाई रही?

क्या था अजमेर स्कैंडल?

अजमेर रेप केस (Ajmer Rape Case 1992) भारतीय अपराध इतिहास के सबसे शर्मनाक अध्यायों में से एक है। यह कांड 1990 से 1992 के बीच सामने आया, जब यह खुलासा हुआ कि अजमेर में 100 से भी ज़्यादा स्कूली छात्राओं और युवतियों को एक योजनाबद्ध तरीके से ब्लैकमेल कर यौन शोषण का शिकार बनाया गया। इस पूरे मामले के पीछे ख़ादिमों का एक प्रभावशाली गिरोह था, जिनमें शहर के रसूखदार, धार्मिक और सामाजिक चेहरों के नाम शामिल थे। सबसे चौंकाने वाली बात ये थी कि पीड़ित लड़कियाँ पढ़ाई के लिए स्कूल और कॉलेज (School and College Going Girls) जाती थीं, और भरोसे के नाम पर उन्हें पहले प्रेमजाल में फँसाया गया, फिर उनकी अश्लील तस्वीरें खींचकर ब्लैकमेल किया गया।

पीड़ित लड़कियाँ पढ़ाई के लिए स्कूल और कॉलेज (School and College Going Girls) जाती थीं
सबसे चौंकाने वाली बात ये थी कि पीड़ित लड़कियाँ पढ़ाई के लिए स्कूल और कॉलेज (School and College Going Girls) जाती थीं [Sora Ai]

इन तस्वीरों के दम पर लड़कियों को मजबूर किया गया कि वो और लड़कियों को भी इस गिरोह के हवाले करें। इस प्रकार शिकार की संख्या बढ़ती गई। शहर में यह राज सालों तक छिपा रहा, जब तक एक स्थानीय अख़बार ने कुछ तस्वीरों के ज़रिए इस पर से पर्दा नहीं उठाया। इसके बाद पूरे देश में सनसनी फैल गई।

कैसे फँसाई जाती थीं लड़कियाँ?

अजमेर रेप केस (Ajmer Rape Case 1992) में लड़कियों को पहले प्यार और दोस्ती के झूठे जाल में फँसाया जाता था। आरोपी खुद को बड़ा दिलवाला और मददगार दिखाते थे। जब लड़कियाँ भरोसा कर बैठती थीं, तब उन्हें घुमाने-फिराने के बहाने अकेले जगहों पर ले जाया जाता और वहाँ उनकी अश्लील तस्वीरें ली जाती थीं। बाद में उन्हीं तस्वीरों को दिखाकर उन्हें डराया जाता कि अगर बात किसी को बताई तो उन्हें बदनाम कर दिया जाएगा। इसी डर से लड़कियाँ चुप रहीं और मजबूरी में वही करने लगीं जो उनसे कहा जाता था।

अजमेर रेप केस की अश्लीलता सबके सामने कैसे आई?

1992 में एक स्थानीय अख़बार "नवज्योति" (Navjyoti) में जब यह खबर छपी कि अजमेर में एक संगठित सेक्स स्कैंडल (Sex Scandal) चल रहा है, तो पूरे देश में सनसनी फैल गई। ये खुलासा तब हुआ जब कुछ पीड़ित लड़कियों ने साहस जुटाकर इस मामले की शिकायत की। धीरे-धीरे जांच हुई, और पुलिस के हाथ एक एल्बम लगी जिसमें 150 से ज़्यादा लड़कियों की अश्लील तस्वीरें थीं। यही वो सबूत था जिसने इस घिनौने कांड की परतें उधेड़ दीं।

कौन-कौन था इस स्कैंडल में शामिल?

इस पूरे मामले का मुख्य आरोपी था फारूक चिश्ती (Farooq Chishti), जो अजमेर शरीफ दरगाह (Ajmer Sharif Dargah Committee) की कमेटी से जुड़ा हुआ था और प्रभावशाली व्यक्ति माना जाता था। उसके अलावा उसके भाई नफीस चिश्ती (Nafees Chishti) और उसके साथी अनवर, नासिर, और सरवर समेत करीब 18 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ।

रेप केस के आरोपियों की तस्वीर
इस पूरे मामले का मुख्य आरोपी था फारूक चिश्ती (Farooq Chishti), जो अजमेर शरीफ दरगाह (Ajmer Sharif Dargah Committee) की कमेटी से जुड़ा हुआ था[X]

ये सभी आरोपी राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक रूप से मजबूत परिवारों से आते थे, इसी कारण केस को लंबे समय तक दबाने की भी कोशिश की गई। इन आरोपियों ने 1990 से 1992 तक लगातार स्कूल और कॉलेज की लड़कियों को टारगेट किया, उन्हें फँसाया, ब्लैकमेल किया और यौन शोषण करते रहे।

मुझे लिपस्टिक के लिए 200 रुपये मिले, एक पीड़िता की 32 साल पुरानी चीख

बात 1992 की है। राजस्थान के अजमेर में रहने वाली सुषमा तब सिर्फ 18 साल की थीं। एक दिन उनका जानकार एक युवक उन्हें वीडियो टेप दिखाने के बहाने एक सुनसान गोदाम में ले गया। लेकिन वहां पहुंचते ही सुषमा की ज़िंदगी बर्बादी की तरफ मुड़ गई। गोदाम में पहले से मौजूद 6-7 लोगों ने मिलकर उनका बलात्कार किया। उन्होंने सुषमा को बांधा, बलात्कार किया और तस्वीरें खींची, ताकि उन्हें ब्लैकमेल किया जा सके।

बलात्कार के बाद, उनमें से एक व्यक्ति ने सुषमा को कहा,"ये लो 200 रुपये, लिपस्टिक खरीद लेना।" सुषमा ने वो पैसे नहीं लिए, लेकिन उनकी इज़्ज़त, आत्मसम्मान और जिंदगी के कई साल छिन चुके थे। सुषमा ने वर्षों तक समाज से तिरस्कार और बदनामी झेली। उनके दो विवाह हुए, लेकिन जब पतियों को उनके साथ हुई घटना का पता चला तो दोनों ही रिश्ते टूट गए।


कोर्ट में सालों तक लटका रहा केस


पहली FIR दर्ज होने के बाद पुलिस ने कुछ आरोपियों को गिरफ्तार किया, लेकिन दबाव के चलते कई आरोपी जल्दी छूट भी गए। मामला जब कोर्ट में पहुंचा तो उसमें देरी की कई वजहें थीं:

  • पीड़िताएं डर और समाज के तानों की वजह से गवाही देने से पीछे हट रही थीं।

  • आरोपियों के पास पैसे और राजनीतिक पहुँच थी, जिससे वे मुकदमा कमजोर करवा रहे थे।

  • कई दस्तावेजी सबूतों में कमी और फॉरेंसिक तकनीक की उस समय की सीमाओं ने भी केस की गति धीमी कर दी।

सुप्रीम कोर्ट के बाहर खड़े वकीलों की तस्वीर
यहां तक कि 1998 में कुछ लोगों को दोषी ठहराया गया, लेकिन फिर भी मुख्य दोषियों पर कानून की पकड़ ढीली रही। [Pixabay]

यहां तक कि 1998 में कुछ लोगों को दोषी ठहराया गया, लेकिन फिर भी मुख्य दोषियों पर कानून की पकड़ ढीली रही। 2024 में जाकर आखिरकार दो मुख्य अभियुक्तों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई, जब एक पीड़िता ने फिर से न्याय की गुहार लगाई और अदालत ने उसे सुना।

कैसे पलटते गए गवाह?

अजमेर रेप केस में सबसे बड़ी चुनौती थी गवाहों का पलटना। जब लड़कियां पहली बार सामने आईं, तो उन्होंने हिम्मत दिखाते हुए बयान दिए। लेकिन जैसे-जैसे केस आगे बढ़ा, डर, धमकी और सामाजिक बदनामी के कारण कई पीड़िताएं अपने बयान से पीछे हट गईं। कुछ ने कोर्ट में गवाही देने से ही इनकार कर दिया। इसका सबसे बड़ा फायदा आरोपियों को मिला। उन्होंने हर कोशिश की कि केस को कमजोर किया जाए और “बेवकूफ बन गई लड़कियां” वाली छवि समाज में फैलाई जाए। गवाहों के पलटने का नतीजा ये हुआ कि 18 में से ज़्यादातर आरोपी बच निकले और बहुत देर से सजा मिल पाई।

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32 साल बाद मिला इंसाफ: क्या हुआ अजमेर रेप केस के आरोपियों के साथ?

1990 से 1992 के बीच अजमेर रेप केस ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। कई लड़कियों के साथ ब्लैकमेल कर के गैंगरेप किया गया था, और इन सबके पीछे थे अजमेर के एक प्रभावशाली समुदाय अजमेर शरीफ दरगाह से जुड़े कुछ रसूखदार लोग। इस मामले में 18 लोग मुख्य आरोपी बनाए गए थे। इनमें से ज़्यादातर लोग अजमेर शरीफ दरगाह कमेटी के सदस्य थे, जो दरगाह की देखरेख करती है। ये लोग शहर के ताकतवर और पैसे वाले घरों से आते थे, और इसी रुतबे का फायदा उठाकर इन्होंने गरीब और स्कूल में पढ़ने वाली लड़कियों को फंसाया। शुरुआत में मामला दबा दिया गया था क्योंकि पीड़िताएं सामने आने से डरती थीं। लेकिन कुछ बहादुर लड़कियों ने आवाज उठाई और केस कोर्ट तक पहुंचा।

 दो दोषियों फारूक चिश्ती (Farooq Chishti) और नफीस चिश्ती (Nafees Chishti) को आजीवन कारावास (Life Imprisonment) की सजा सुनाई।
कई सालों तक चली सुनवाई के बाद, 2024 में, कोर्ट ने इस केस में दो दोषियों फारूक चिश्ती (Farooq Chishti) और नफीस चिश्ती (Nafees Chishti) को आजीवन कारावास (Life Imprisonment) की सजा सुनाई। [X]

कई सालों तक चली सुनवाई के बाद, 2024 में, कोर्ट ने इस केस में दो दोषियों फारूक चिश्ती (Farooq Chishti) और नफीस चिश्ती (Nafees Chishti) को आजीवन कारावास (Life Imprisonment) की सजा सुनाई। इससे पहले भी कुछ आरोपियों को सज़ा मिली थी, लेकिन कई आरोपी साक्ष्य के अभाव में बरी हो गए या गवाह बदल गए। इस केस में इंसाफ तो मिला, लेकिन 32 साल बाद, जब ज़िंदगी का बहुत कुछ पीछे छूट चुका था। फिर भी यह फ़ैसला दिखाता है कि चाहे देर हो, न्याय कभी मिटता नहीं।

अजमेर रेप केस की कहानी सिर्फ एक अपराध की नहीं, बल्कि भारत के न्याय तंत्र, समाज और महिलाओं की मजबूरी की एक भयावह तस्वीर है।जिस शहर में लड़कियों की अस्मिता को कुचला गया, उसी शहर में लोग चुप रहे, कानून लड़खड़ाता रहा और आरोपियों को तीन दशक तक खुला घूमने दिया गया। लेकिन इस अंधेरे में भी एक किरण थी, हिम्मत की, इंसाफ की। 32 साल बाद जब पीड़िता फिर से अदालत पहुंची, तो उसने न केवल खुद के लिए बल्कि सैकड़ों चुप रह जाने वाली बेटियों के लिए आवाज़ उठाई। [Rh/SP]

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