
उत्तर प्रदेश के रामपुर (Rampur) जिले से एक ऐसी भावनात्मक और सच्ची कहानी सामने आई है जो यह साबित करती है कि सच्चा प्यार कभी खत्म नहीं होता, भले ही हालात कैसे भी क्यों न हो जाएं। यह कहानी है अफसर अली और उनकी पत्नी की, जो एक-दूसरे से 12 साल पहले तलाक लेकर अलग हो गए थे, लेकिन फिर एक संयोग ने उन्हें फिर से मिलवा दिया। मुलाकात हुई, आंखें नम हुईं, दिल पसीजे और फिर एक नया अध्याय शुरू हुआ, दोबारा से निकाह।
शादी और फिर बिछड़ने की कहानी
यह कहानी रामपुर जिले के अजीमनगर थाना क्षेत्र के इमरता गांव निवासी अफसर अली की है। अफसर अली का निकाह वर्ष 2004 में रामपुर (Rampur) की ही एक युवती से हुआ था। शुरुआती साल अच्छे गुज़रे, दोनों ने साथ मिलकर ज़िंदगी को संवारने की कोशिश की। शादी के आठ वर्षों में उनके चार बच्चे हुए, तीन बेटियां और एक बेटा। लेकिन वक्त हमेशा एक जैसा नहीं होता। अफसर अली और उनकी पत्नी के बीच समय के साथ कुछ मतभेद होने लगे। बात-बात पर झगड़े और तकरार ने रिश्ते को खोखला कर दिया। हालात इतने बिगड़ गए कि 2012 में दोनों ने तलाक लेने का फैसला कर लिया। यह फैसला गुस्से और अहंकार में लिया गया फैसला था, जिसका दोनों को बाद में पछतावा हुआ।
तलाक के बाद दोनों अपनी-अपनी राहों पर चल पड़े। लेकिन दिल के किसी कोने में एक-दूसरे के लिए प्यार बाकी था, जो समय के साथ दब तो गया, लेकिन खत्म नहीं हुआ। तलाक के बाद बच्चों की जिम्मेदारी दोनों ने बांट ली। पत्नी एक बेटी को अपने साथ ले गई, जबकि दो बेटियां और एक बेटा अफसर अली के पास रह गए। दिलचस्प बात यह थी कि तलाक के बाद न तो अफसर अली ने दोबारा निकाह किया और न ही उनकी पूर्व पत्नी ने। दोनों अपनी-अपनी दुनिया में बच्चों की परवरिश में व्यस्त हो गए। शायद उनके दिल के किसी कोने में यह उम्मीद बाकी थी कि कभी न कभी हालात बदलेंगे। कहते हैं कि जिंदगी में कुछ भी अचानक नहीं होता। हर मुलाकात के पीछे कोई न कोई वजह होती है। ऐसा ही कुछ हुआ अफसर अली और उनकी पूर्व पत्नी के साथ। एक शादी समारोह (Wedding ceremony) में दोनों की अचानक मुलाकात हो गई। 12 साल बाद (Reunion after 12 years) जब दोनों की नजरें मिलीं, तो पुरानी यादें ताज़ा हो गईं। दोनों की आंखों में आंसू थे, पर इन दोनों में कोई ग़ुस्सा नहीं था, बल्कि पछतावे और अधूरेपन की नमी थी।
शादी के शोरगुल के बीच, दोनों एक-दूसरे को बस देखते रहे। वक्त कुछ पल के लिए थम गया। इसके बाद दोनों ने एक-दूसरे से संपर्क में रहने का फैसला किया। उन्होंने एक-दूसरे का फोन नंबर लिया और धीरे-धीरे बातचीत शुरू की। फोन पर बातचीत ने दोनों के दिलों को फिर से करीब लाना शुरू किया। जो शिकायतें थीं, वो धीर-धीरे खत्म होने लगीं। अफसर अली और उनकी पत्नी ने यह महसूस किया कि उन्होंने गुस्से में आकर जो फैसला लिया था, वो सही नहीं था। उन्होंने अपने-अपने गिले शिकवे दूर किए और फिर से साथ जीने की चाह जताई। बातचीत के दौरान ही दोनों ने यह स्वीकार किया कि गुस्से और घमंड के कारण लिया गया तलाक का फैसला आज भी उन्हें सालता है। उनके बच्चों की ज़िंदगी भी अधूरी थी। इसी अधूरेपन को पूरा करने के लिए दोनों ने फिर से साथ आने का फैसला कर लिया।
फिर से बंधे निकाह के बंधन में
बीते दिनों अफसर अली और उनकी पूर्व पत्नी ने दोबारा निकाह कर लिया। निकाह के इस मौके पर न सिर्फ दोनों परिवार भावुक हुए, बल्कि आस-पास के लोग भी इस मिलन को देखकर भावुक हो उठे। यह निकाह सिर्फ दो लोगों का नहीं, बल्कि दो टूटे दिलों और बंटे हुए परिवार का पुनर्मिलन था। निकाह के बाद सबसे खास बात ये रही कि अब उनके चारों बच्चे एक ही घर में रहेंगे। यह कदम सिर्फ पति-पत्नी के लिए ही नहीं, बल्कि उनके बच्चों के लिए भी बड़ी राहत और खुशी लेकर आया। निकाह के कुछ घंटों बाद ही अफसर अली ने अपनी पत्नी, तीन बेटियों और बेटे के साथ उत्तराखंड की यात्रा पर निकलने का फैसला लिया। यह एक तरह से उनके ‘नए जीवन’ की शुरुआत थी। इस यात्रा ने उनके रिश्ते को फिर से मजबूती दी और परिवार को एकजुट करने का मौका भी दिया।
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इस कहानी में सिर्फ एक भावनात्मक मिलन ही नहीं, बल्कि एक बड़ा संदेश भी छिपा है, गुस्से में लिया गया कोई भी फैसला ज़िंदगी भर पछतावा बन सकता है। अफसर अली और उनकी पत्नी ने यह माना कि अगर वे थोड़ी समझदारी और धैर्य दिखाते, तो शायद उनका परिवार इतने सालों तक बंटा न रहता। इस कहानी से यह भी सिखने को मिलता है कि किसी रिश्ते को खत्म करने से बेहतर है, उस पर काम करना। गलतफहमियाँ चाहे जितनी भी हों, बातचीत से उन्हें सुलझाया जा सकता है। और अगर कहीं कोई दरार आ भी जाए, तो माफी और प्रेम से उसे भरा जा सकता है।
निष्कर्ष
रामपुर (Rampur) की यह कहानी एक मिसाल बन चुकी है। यह बताती है कि सच्चे रिश्ते वक्त के थपेड़ों से टूटते नहीं, बस कुछ समय के लिए खो जाते हैं। जब दिलों में प्यार बाकी हो और गलती का एहसास हो जाए, तो पुराने रिश्तों को फिर से जीया जा सकता है। अफसर अली और उनकी पत्नी ने न सिर्फ एक-दूसरे को माफ किया, बल्कि एक नई शुरुआत करके अपने बच्चों को भी साथ रहने की खुशी दी। यह कहानी सिर्फ एक परिवार की नहीं, हर उस इंसान के लिए प्रेरणा है, जिसने कभी गुस्से में कोई रिश्ता तोड़ा हो और आज भी उसका मलाल हो। [Rh/PS]