Guldar's fear in Tehri: वैसे तो पूरे उत्तराखंड (Uttarakhand) में ही गुलदार का आतंक देखने को मिल रहा है। लेकिन, हम बात कर रहे हैं नई टिहरी (Tihri) जिले की। जहां पर इस कदर गुलदार (Leopard) जगह-जगह सक्रिय हैं कि रात को कर्फ्यू लग जाता है।
टिहरी के प्रतापनगर (Pratapnagar) सहित अन्य जगहों पर गुलदार का आतंक बना हुआ है। प्रतापनगर के गांवों में तो गुलदार के चलते कर्फ्यू लगा हुआ है। घनसाली के कुछ गांवों में भी गुलदार की दहशत बनी है। गुलदार का आतंक इस कदर छाया है कि सूरज ढलते ही घरों के दरवाजे बंद हो जाते हैं। गुलदार के भय से बच्चे भी स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। स्थिति यह हो रखी है कि कई गांवों में शाम होते ही गुलदार को भगाने के लिए ग्रामीणों को रात तक कनस्तर बजाना पड़ रहा है, जिससे बाकी लोग सेफ रहें।
टिहरी जिले के विभिन्न गांवों में गुलदार (Guldar) का भय बना हुआ है। प्रतापनगर के बौंसाड़ी गांव में अभी कुछ दिन पहले शाम को अपने नातियों के साथ आंगन में टहल रही महिला पर गुलदार ने हमला कर दिया। महिला के चिल्लाने पर घर के सदस्य भी बाहर भागे, जिससे गुलदार भाग निकला और बच्चों की जान भी बच गई।
इसी ब्लॉक के भरपूरिया गांव में तो गुलदार दिनदहाड़े आ धमका, जिससे गांव में दहशत बन गई। यहां पर शाम होते ही लोगों के घरों में ताला लग जाता है। इसी तरह भिलंगना ब्लॉक के नैचामी व गोनगढ़ पट्टी में भी गुलदार के आतंक से ग्रामीणों का इधर-उधर जाना मुश्किल हो गया है।
नैचामी में पिछले दो सप्ताह से गुलदार का आतंक बना है। एक जुलाई को स्कूल खुलने के बाद गुलदार के भय से इन गांवों में पचास प्रतिशत से भी कम बच्चे स्कूल गए।
ग्रामीण भी अकेले इधर-उधर नहीं जा पा रहे हैं। महिलाओं ने भी खेतीबाड़ी का काम बंद कर दिया है। लोगों की दिनचर्या बेहद प्रभावित हो रही है। कुल मिलाकर टिहरी में गुलदार के कारण जनजीवन प्रभावित हो रहा है और लोगों के बीच खौफ पसरा हुआ है। (IANS/PS)