बंगाल(Bangla) की पवित्र भूमि ने सुभाष चंद्र बोस, रविंद्र नाथ टैगोर और श्यामा प्रसाद मुखर्जी जैसे अनेक भारत मां के सपूतों को जन्म दिया है। उन्हीं में से एक ऐसा युवा साधु भी है जिसने अपनी अल्प आयु में ऐसे कार्य किए जिसके कारण आज भी भारत के युवा उन्हें अपना आदर्श बताते हैं। जी हां आप लोग ठीक समझे मैं "स्वामी विवेकानंद" (Swami Vivekananda) की बात कर रहा हूं। वही विवेकानंद जिन्होंने शिकागो(Chicago) जैसे बड़े मंच पर भारतीय संस्कृति(Indian Culture) और हिंदुत्व(Hindutva) को समझा दिया। जी हां उसी विवेकानंद को जिनके प्रेरणा से आज हमारे देश को महात्मा गांधी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और ना जाने कितने तमाम भारत माता के पुत्र प्राप्त हुए हैं। मैं उसी नरेन्द्र की बात कर रहा हूं जिसने रामकृष्ण परमहंस के आदर्शों को दुनिया तक पहुंचा हैं।
कौन है नरेंद्र?
"नरेंद्र" स्वामी जी(Swami Vivekananda) के बाल्यकाल का नाम, पर क्या आप लोगों को पता है नरेंद्र के जन्म के पीछे भी एक कहानी है। कहा जाता है कि इनकी माता भुनेश्वरी देवी ने नरेंद्र के जन्म होने से पहले भगवान शंकर से प्रार्थना की थी कि मुझको एक प्यारा सा बेटा वरदान में दे दीजिए। जिसके बाद स्वयं भगवान शंकर इनके सपनों में आकर कहा, मैं आ रहा हूं। जिसके बाद मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर 12 जनवरी 1863 को सूर्योदय के पहले कोलकाता(Kolkata) मैं विश्वनाथ दत्त के परिवार में नरेंद्र का जन्म हुआ। इस वर्ष हम लोग उनकी 158 वी जन्म जयंती मना रहे हैं।
9/11 पर स्वामी जी का दुनिया को संदेश
स्वामी जी(Swami Vivekananda) की यह जन्म जयंती पर 9/11 की बात किए बगैर पूरी नहीं हो सकती। 9/11, हो सकता है कुछ लोग इसे अमेरिका(America) में हुए आतंकवादी हमले से जोड़ रहे हैं, लेकिन मैं आपको बताना चाहता हूं भारतीय संस्कृति में विश्वास रखने वालों के लिए 9/11 का मतलब उस नरेंद्र का संबोधन होना चाहिए जिसके द्वारा पूरे विश्व पटल ने भारतीय संस्कृति को समझा था। जी हां, मैं 1893 में शिकागो(Chicago) में आयोजित धर्म संसद की बात कर रहा हूं। आखिर इस दिन उस युवा साधु ने क्या कहा था? जिसके कारण अमेरिका सहित पूरे पश्चिमी देश हिंदुत्व की तरफ खींचे आ रहे थे। स्वामी जी ने अपने भाषण की शुरुआत प्रिय बहनो और भाइयो से की थी। स्वामी जी के चंद शब्द हम लोगों के लिए शायद चंद शब्द हो सकते हैं। लेकिन जरा सोचिए "ladies and gentlemen" वाले पश्चिम में जहां पर कोई किसी को भाई-बहन नहीं कहता है, लेकिन यह हमारी संस्कृति थी कि सात समुंदर पार बैठे लोगों को भी हम भाई-बहन कहते हैं।
शिकागो धर्म संसद में भाग लेते स्वामी विवेकानंद जी।(Wikimedia Commons)
स्वामी जी(Swami Vivekananda) ने कहा मैं आप सभी को दुनिया की सबसे पुरानी संत परंपरा की ओर से शुक्रिया करता हूं। मैं आपको सभी धर्मों की जननी की तरफ से धन्यवाद देता हूं। उन्होंने कहा, 'मेरा धन्यवाद उन लोगों को भी है जिन्होंने इस मंच का उपयोग करते हुए कहा कि दुनिया में सहनशीलता का विचार भारत से फैला है।' स्वामी विवेकानंद ने आगे बताया था कि उन्हें गर्व है कि वे एक ऐसे धर्म से हैं, जिसने दुनियाभर के लोगों को सहनशीलता और स्वीकृति का पाठ पढ़ाया है। साथ ही साथ स्वामी जी ने दुनिया को बताया था कि, मैं गर्व करता हूं कि मैं एक ऐसे देश से हूं, जिसने इस धरती के सभी देशों और धर्मों के परेशान और सताए गए लोगों को शरण दी है। इसके बाद विवेकानंद ने कुछ श्लोक की पंक्तियां भी सुनाई थीं।
" वैचित्र्यादृजुकुटिलनानापथजुषाम्। नृणामेको गम्यस्त्वमसि पयसामर्णव इव।।"
इस श्लोक का अर्थ है जैसे नदियां अलग अलग स्रोतों से निकलती हैं और आखिर में समुद्र में जाकर मिलती हैं। वैसे ही मनुष्य अपनी इच्छा के अनुरूप अलग-अलग रास्ते चुनता है। लेकिन आज दावे के साथ कहा सकता है कि शिकागो में उस धर्म संसद में स्वामी जी(Swami Vivekananda) ने दुनिया को बता दिया था हिंदू क्या है और हिंदुत्व क्या है?
स्वामी जी का युवाओं के लिए संदेश
आज अनेक युवा यह सोचते होंगे कि हम स्वामी विवेकानंद(Swami Vivekananda) से क्या सीख सकते हैं? अगर आप नेताजी सुभाष चंद्र बोस(Subhas Chandra Bose) की आत्मकथा "An Indian Pilgrim" को पढ़ेंगे तो आप सुभाष बाबू के जीवन से तो जानेंगे ही लेकिन आप यह देखेंगे कि स्वामी विवेकानंद ने किस तरीके एक ज्ञान की खोज में भटकते युवा को ज्ञान का मार्ग दिखाया है। चाहे वह बात प्रकृति से प्रेम की हो, अध्यात्म जगत को जानने की हो, यह फिर गुरु की खोज के लिए हो। इसी तरह सुभाष बाबू जैसे भटक रहे अनेक युवाओं के लिए स्वामी जी उस किरण के समान है जिनके आदर्शों पर चलकर भारत का प्रत्येक युवा अपने जीवन को राष्ट्रहित में लगा सकते हैं।
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गुरु रविंद्र नाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) ने कहा है "अगर आपको भारत को जानना है तो आपको स्वामी विवेकानंद(Swami Vivekananda) को जानना चाहिए"। यह कथन आज भारत के सभी युवाओं से समझना चाहिए कि स्वामी विवेकानंद केवल एक व्यक्ति नहीं है, केवल एक आदर्श नहीं है। वास्तव में स्वामी जी उस प्रकाश के समान है जो अज्ञान रूपी अंधकार में युवाओं के जीवन में आकर ज्ञानरूपी उजियारा फैलाते हैं। आज मैं स्वामी जी को "भारत के सुपर हीरो" कहना चाहूंगा। क्योंकि हमारे देश के अनेक महापुरुष या हीरो के हीरो स्वामी विवेकानंद है।