ब्रिटेन की पहली सिख महिला बॉक्सर : चरण कौर ढेसी ने तानों को मात देकर रचा इतिहास

भाई का इंतज़ार करती साधारण लड़की बनी ब्रिटेन (Britain) की पहली सिख महिला प्रोफेशनल बॉक्सर (Sikh female boxer), तानों और मुश्किलों को नॉकआउट कर रचा इतिहास, चरण कौर ढेसी (Charan Kaur Dhesi) ने आज हिम्मत, संघर्ष और सपनों पर विश्वास की मिसाल बनकर हर लड़की को आगे बढ़ने की प्रेरणा दे रही हैं। ब्रिटेन की पहली सिख महिला बॉक्सर
चरण कौर ढेसी का बचपन दो भाइयों के साथ बीता है। उनके परिवार के लोग खेलों से बेहद प्यार करते थे।
चरण कौर ढेसी का बचपन दो भाइयों के साथ बीता है। उनके परिवार के लोग खेलों से बेहद प्यार करते थे।(AI)
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इंग्लैंड के हल शहर का एक छोटा सा जिम और उसके बाहर इंतज़ार करती 13 साल की एक लड़की जिसका नाम है चरण कौर ढेसी। वह अपने छोटे भाई को बॉक्सिंग सेशन खत्म करने का इंतज़ार कर रही थी। चरण कौर ढेसी के पास न तो ग्लव्स थे और न ही बॉक्सिंग करने का कोई इरादा। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था। उस दिन कोच ने उसे रिंग में उतरने के लिए कहा और वहीं से उसकी ज़िंदगी की दिशा बदल गई। वही लड़की आज ब्रिटेन की पहली सिख महिला प्रोफ़ेशनल बॉक्सर बन चुकी है।

शुरुआती जीवन और परिवार का असर

चरण कौर ढेसी (Sikh female boxer) का बचपन दो भाइयों के साथ बीता है। उनके परिवार के लोग खेलों से बेहद प्यार करते थे। उनके पिता की सोच भी अनोखी थी वह पढ़ाई से ज़्यादा बच्चों को शारीरिक गतिविधियों में व्यस्त देखना चाहते थे। यही वजह रही कि ढेसी और उनके भाइयों को बचपन से खेलों की ओर प्रोत्साहन मिला।

शुरुआत में ढेसी (Charan Kaur Dhesi) कराटे सीख रही थीं, लेकिन जब छोटे भाई ने जिम जॉइन किया तो वह उसके साथ वहां जाने लगीं। दरवाज़े पर खड़ी रहने वाली उस लड़की को एक दिन कोच ने रिंग में बुला लिया। ढेसी ने पहले मना किया, लेकिन जब उन्होंने मौका आज़माया तो सबने उनकी प्रतिभा की तारीफ़ की फिर उन्हें एहसास हुआ कि बॉक्सिंग ही उनका रास्ता है। यहीं से उनकी यात्रा शुरू हुई।

एक बार जब ढेसी ने बॉक्सिंग को अपनाया, तो फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। यूथ अमेचर बॉक्सर के तौर पर उन्होंने तीन राष्ट्रीय खिताब, एक यूरोपियन सिल्वर मेडल और तीन इंटरनेशनल क्राउन जीते। इन उपलब्धियों ने उन्हें इंग्लैंड की टीम तक पहुंचा दिया। उनकी मेहनत और जुनून लोगों को साफ दिखने लगा है। लेकिन उनके लिए बॉक्सिंग केवल मेडल जीतने का ज़रिया नहीं था। यह उनके लिए रूढ़िवादी प्रथाओं को तोड़ने और अपने समुदाय की महिलाओं के लिए नई राह खोलने का एक साधन था।

21 साल की उम्र में चरण कौर ढेसी (Sikh female boxer) ने प्रोफ़ेशनल बॉक्सिंग में कदम रखा था। यह फ़ैसला उनके लिए आसान नहीं था, क्योकि इस बॉक्सिंग के सफर में उन्हें कई सामाजिक सवालों और आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। लोग हमेशा ताने मारते थे "अगर चोट लग गई तो शादी कौन करेगा ?" लोग तो ये तक कहते थे की "क्या तुम्हें किचन में नहीं होना चाहिए ?" और वो एक सवाल हमेशा करते थे "तुम्हारा प्लान बी क्या है ?" इन सवालों से वो हार नहीं मानीं बल्कि उन्होंने मज़बूती से लोगों के सवालों का जवाब दिया। उन्होंने कहा "मेरा प्लान ए बॉक्सिंग है और मेरा प्लान बी भी बॉक्सिंग ही है।" उनकी यह सोच बताती है कि ढेसी केवल खिलाड़ी ही नहीं, बल्कि प्रेरणा का स्रोत भी हैं।

एक बार जब ढेसी ने बॉक्सिंग को अपनाया, तो फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। यूथ अमेचर बॉक्सर के तौर पर उन्होंने तीन राष्ट्रीय खिताब, एक यूरोपियन सिल्वर मेडल और तीन इंटरनेशनल क्राउन जीते।
एक बार जब ढेसी ने बॉक्सिंग को अपनाया, तो फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। यूथ अमेचर बॉक्सर के तौर पर उन्होंने तीन राष्ट्रीय खिताब, एक यूरोपियन सिल्वर मेडल और तीन इंटरनेशनल क्राउन जीते। (AI)

पहला मुक़ाबला और नॉकआउट जीत

मई महीने में जब उन्होंने अपना पहला प्रोफ़ेशनल मुकाबला खेला, तो सबकी नज़र उन पर ही थी। ढेसी (Charan Kaur Dhesi) ने शानदार प्रदर्शन करते हुए अपने प्रतिद्वंद्वी को नॉकआउट कर दिया। उनकी इस जीत की क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। यही लोग जो पहले उनकी आलोचना करते थे, अब गर्व से कहने लगे कि उन्होंने पंजाबी और सिख समुदाय को गौरवान्वित किया है। ढेसी ने अपने मुक्कों से यह साबित कर दिया कि बॉक्सिंग केवल उनका शौक़ नहीं, बल्कि उनका जीवन भी है।

ढेसी के जीवन की कहानी में उनकी सफलता जितनी प्रेरणादायक है, उतनी ही चुनौतियों से भरी हुई भी है। आज भी उन्हें स्पॉन्सरशिप की कमी का सामना करना पड़ता है। उनके करियर का पूरा खर्च उनके माता-पिता उठा रहे हैं। वह कहती हैं, "मैं काम नहीं करती क्योंकि पूरा ध्यान ट्रेनिंग पर रहता है। इसलिए बहुत मुश्किल होती है। कई बार तो अच्छे ट्रेनिंग कैंप और किट्स भी नहीं मिल पाते हैं। लेकिन मेरे लिए बॉक्सिंग सिर्फ़ इनाम जीतने तक सीमित नहीं है , बल्कि मेरी पहचान और मेरी जड़ों पर गर्व दिखाने का एक तरीका है।"

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ढेसी केवल खुद के लिए नहीं खेलती हैं, बल्कि अपनी कहानी से और लड़कियों को आगे बढ़ाने का सपना रखती हैं वो चाहती हैं की वो केवल सिख लड़कियों के लिए ही प्रेरणा न बने बल्कि सभी लड़कियों के लिए प्रेरणा बनें। उनसे कई सिख लड़कियां पूछती हैं कि डर को कैसे दूर किया जाए। तब वो कहती हैं की मैं तुम्हें रास्ता दिखाऊंगी और पूरा सहयोग दूंगी। सभी लड़कियों को आगे बढ़ाने की सोच ने उन्हें और भी महान बना दिया। उनका मानना है कि जितनी ज़्यादा से ज्यादा संख्यां में लड़कियां बॉक्सिंग में आएंगी, उतनी ही लोगों की मानसिकता भी बदलेगी। ढेसी चाहती हैं कि आने वाली पीढ़ी बिना डर और झिझक के अपने सपनों को पूरा करे।

भविष्य में ढेसी मिडलैंड्स में अपना जिम खोलने का सपना देखती हैं। वह चाहती हैं कि वहां लड़कियों और लड़कों को बेहतर ट्रेनिंग मिले और उन्हें वो वही सहयोग देना चाहतीं है, जिसकी हमेशा उन्हें कमी महसूस हुई थी। उनका संदेश साफ है, वो कहती हैं, "बस इसे कर डालो। आप जो चाहें कर सकते हैं। जब तक आप खुद पर विश्वास रखते हैं, वही सबसे अहम होता है। दूसरे क्या सोचते हैं, उससे क्या फर्क पड़ता है।"

ढेसी जीवन की कहानी  में उनकी सफलता जितनी प्रेरणादायक है, उतनी ही चुनौतियों से भरी हुई भी है। आज भी उन्हें स्पॉन्सरशिप की कमी का सामना करना पड़ता है। उनके करियर का पूरा खर्च उनके माता-पिता उठा रहे हैं।
ढेसी जीवन की कहानी में उनकी सफलता जितनी प्रेरणादायक है, उतनी ही चुनौतियों से भरी हुई भी है। आज भी उन्हें स्पॉन्सरशिप की कमी का सामना करना पड़ता है। उनके करियर का पूरा खर्च उनके माता-पिता उठा रहे हैं। (AI)

निष्कर्ष

चरण कौर ढेसी (Charan Kaur Dhesi) की कहानी किसी फिल्म की तरह लगती है लेकिन यह कहानी एक साधारण लड़की की कहानी है, जो अपने भाई का इंतज़ार करते हुए जिम के बाहर खड़ी रहती थी, वो जो आज ब्रिटेन (Britain) की पहली सिख महिला प्रोफ़ेशनल बॉक्सर है। यह कहानी संघर्ष की है, साहस की है और अपने सपनों पर अटूट भरोसे की है। ढेसी ने यह साबित कर दिया कि हीरा दबाव में ही चमकता है। उनकी यात्रा उन सभी लड़कियों के लिए प्रेरणा है जो समाज की पाबंदियों से डरती हैं। चाहे रिंग के अंदर हो या बाहर, उन्होंने हर चुनौती को नॉकआउट किया है। [Rh/PS]

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