वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि का दिन बहुत शुभ माना जाता है। (NewsGramHindi) 
Culture

Akshay Tritiya 2022: जानिए, क्यों खास है अक्षय तृतीय का दिन।

Lakshya Gupta

वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि का दिन बहुत शुभ माना जाता है। इस तिथि के दिन ही अक्षय तृतीया (Akshay Tritiya) का पवन पर्व मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन किया गया हर कार्य शुभ होता है। आखिर क्यों हिन्दू (Hindu) समाज के लिए खास है अक्षय तृतीया आइए जानते हैं?

भगवान परशुराम जयंती

भगवान परशुराम को भगवान विष्णु का छठा अवतार माना जाता है। अक्षय तृतीया (Akshay Tritiya) के दिन ही भगवान परशुराम ने महर्षि जमदग्नि और माता रेणुका देवी के घर जन्म लिया था। इसलिए आज के दिन भगवान परशुराम की पूजा करने का भी विधान है।

महाभारत का लेखन कार्य हुआ प्रारंभ 

माना जाता है कि महर्षि वेदव्यास ने अक्षय तृतीया(Akshay Tritiya) के दिन से ही महाभारत को लिखना का कार्य प्रारंभ कर दिया था। मान्यता है कि इस दिन गीता के 18वें अध्याय का पाठ करना चाहिए जो कि शुभ माना जाता है।

मां गंगा का अवतरण

माता गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिए राजा भागीरथ द्वारा की गई हजारों वर्ष तक तपस्या का परिणाम आज के ही दिन यानि अक्षय तृतीया (Akshay Tritiya) के दिन प्राप्त हुआ था। आज के दिन ही माँ गंगा का अवतरण पृथ्वी पर हुआ था। मान्यता के अनुसार अक्षय तृतीया पर गंगा में डुबकी लगाने से सारे पाप धूल जाते हैं।

मां अन्नपूर्णा का जन्मदिन

अक्षय तृतीया के दिन माता अन्नपूर्णा का जन्मदिन भी मनाया जाता है। इस दिन गरीबों को भोजन कराने की मान्यता भी  है। आपको बता दें, मां अन्नपूर्णा का जन्मदिन होने के कारण आज के दिन देश भर में कई जगह विशाल भंडारे भी कराए जाते हैं।

इसके अलावा इस पावन दिन में ही भगवान कृष्ण और मित्र सुदामा का मिलन भी हुआ था तथा कुबेर देव को संपत्ति का देवता भी आज के दिन ही माना गया था। आपको बता दे, इस दिन (Akshay Tritiya 2022) हिन्दू समाज के लोग दान पुण्य का कार्य करके अपना उद्धार तो करते हैं साथ में गरीबों की सेवा कर समाज में एक संदेश भी देते हैं।

जब न थे डॉक्टर या हॉस्पिटल, तब कैसे हुई थी प्लास्टिक सर्जरी?

आमिर की शादी और मियांदाद का छक्का: एक दिन, दो कहानियां !

क्या मध्य पूर्व (Middle East) में छिड़ने वाली है तीसरी बड़ी जंग ?

एक Sparrow Man की कहानी, जिनकी मेहनत से बचा हजारों गोरैयों का परिवार!

भगवान जगन्नाथ का रथ खींचती हैं जो रस्सियाँ, उनके पीछे छिपा है एक आदिवासी समाज!