रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह(Rajnath Singh) ने सोमवार को नई दिल्ली में बांग्लादेश(Bagladesh) के सशस्त्र सेना दिवस के अवसर पर बांग्लादेश उच्चायोग का दौरा किया। यह कार्यक्रम बांग्लादेश उच्चायोग द्वारा आयोजित किया गया था। राजनाथ सिंह ने सर्वप्रथम बांग्लादेश उच्चायोग में 'बंगबंधु' शेख मुजीबुर रहमान(mujibur rahman) को भावभीनी श्रद्धांजलि दी। यहां पर राजनाथ सिंह ने कहा कि बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति का प्रेरक नेतृत्व देश के लोगों के लिए स्वतंत्रता के संघर्ष में मार्गदर्शक था। मंत्री ने कहा, "यह अन्याय, अत्याचार और उत्पीड़न के खिलाफ एक नैतिक लड़ाई थी। आम लोगों को बेरहमी से अपंग किया गया और उनकी हत्याएं की गई। ऑपरेशन सर्चलाइट के बर्बर अत्याचारों ने दुनिया की अंतरात्मा को झकझोर कर दिया।"
राजनाथ सिंह ने भारतीय सशस्त्र बलों की ओर से बांग्लादेश के सशस्त्र बलों को बधाई दी(Bangladesh Armed Force) और शांति और सुरक्षा की दिशा में उनकी कोशिशों के लिए शुभकामनाएं दीं। उन्होन कहा "यह साल भारत-बांग्लादेश संबंधों के लिए असाधारण महत्व का है क्योंकि हम बांग्लादेश की मुक्ति की स्वर्ण जयंती, पचास साल के भारत-बांग्लादेश राजनयिक संबंधों और 'बंगबंधु' शेख मुजीबुर रहमान(mujibur rahman) की जन्म शताब्दी मना रहे हैं। इस महत्वपूर्ण समय में, मैं 1971 में मुक्तिजुद्धो-मुक्ति संग्राम में मुक्तिबाहिनी के बहादुर संघर्ष को सलाम करता हूं। मुक्तिजुद्धा की भावना बांग्लादेश के आज के सशस्त्र बलों का मूल है।"
इस कार्यक्रम में रक्षा मंत्री ने ना केवल बांग्लादेश सैनिकों की प्रशंसा कभी बल्कि भारतीय सैनिकों को भी श्रद्धांजलि अर्पित की, जो मुक्ति संग्राम(bangladesh liberation war) के दौरान बांग्लादेश(bangladesh) के साथ खड़े रहे, उन्होंने कहा कि यह 20वीं शताब्दी में विश्व इतिहास में एक सुनहरा अध्याय है। उन्होंने भारत में असाधारण नेतृत्व को भी याद किया, जो 1971 में अन्याय और अत्याचारों के खिलाफ लड़ने वाले राष्ट्र के समर्थन में सभी बाधाओं और सीमाओं के खिलाफ इस अवसर पर पहुंचा। उन्होंने कहा कि 1971 की घटनाओं के प्रति भारत की प्रतिक्रिया एक सभ्यता का प्रतिबिंब थी।
यह भी पढ़े – उत्तर प्रदेश के 35 प्रतिशत विधायकों के ऊपर आपराधिक मामले दर्ज, एडीआर रिपोर्ट में खुलासा
राजनाथ सिंह ने 'मुक्ति संग्राम(bangladesh liberation war)' की भावना को युवा पीढ़ी, विशेष रूप से सशस्त्र बलों में शामिल होने वालों के मन में जीवित रखने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, "भारत का पूरा समर्थन स्वाभाविक रूप से ऐतिहासिक अनुभव और गहरे भावनात्मक, सांस्कृतिक, भाषाई और भ्रातृ संबंधों से आया है जो भारत और बांग्लादेश के लोगों को एक साथ बांधते हैं। हमें इस बात पर गर्व है कि साझा बलिदान में स्थापित यह मित्रता कई गुना समृद्ध हुई है।"
input : आईएएनएस ; Edited by Lakshya Gupta