गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए नमामि गंगे (Namami Gange) सरकार की बड़ी योजना है। (Pixabay)  
ब्लॉग

गंगा की लहरों से लेकर उसके घाटों की निगरानी अब ड्रोन करेंगे।

NewsGram Desk

गंगा (Ganga) की लहरों से लेकर उसके घाटों की निगरानी अब ड्रोन करेंगे। गंगा नदी में होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार ने यह रणनीति अपनाई है। इसके अलावा काशी (Kashi) में गंगा के घाटों पर आने वाले पर्यटकों की सुरक्षा में भी ये ड्रोन अहम भूमिका अदा करेंगे। गंगा नदी के संरक्षण के लिए इस्तेमाल होने वाले आकाशवाणी ड्रोन से गंगा नदी के लंबे क्षेत्र व घाटों तक आवश्यक सूचनाएं पहुंचाने में भी 'आकाशवाणी' ड्रोन मददगार साबित होगा।

प्रदेश की योगी सरकार गंगा नदी के संरक्षण और उसकी धारा को निर्मल और अविरल बनाने के लिए कई परियोजनाओं पर काम कर रही है। गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए नमामि गंगे (Namami Gange) सरकार की बड़ी योजना है। गंगा नदी में होने वाले प्रदूषण (Pollution) को रोकने व पर्यटकों की सुरक्षा के लिए सरकार ने एक अनूठा तरीका अपनाया है। सरकार अब आकाशवाणी ड्रोन के जरिए गंगा नदी की धारा व घाटों पर निगरानी करेगा। इससे गंगा में प्रदूषण कौन और कहां से फैला रहा है, इसकी सटीक जानकारी सरकार को हो सकेगी। इसके बाद गंगा में कूड़ा फेकने ,नाले ,कचड़े बहाने वालों और गंगा में शव प्रवाहित करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जा सकेगी।

अब ड्रोन की निगाह में दोषी के आ जाने से कड़ी कार्यवाई भी हो सकेंगी। शाम की आरती के समय घाटों पर देशी व विदेशी सैलानियों की भी भीड़ होती है। ऐसे में असमाजिक तत्वों पर निगाह रखने में भी मदद मलेगी। करीब 8 किलोमीटर तक फैले अर्धचन्द्राकार 84 घाटों की ड्रोन से निगरानी करना काफी आसान होगा। आकाशवाणी ड्रोन रिकॉडिर्ंग के साथ ही सजीव तस्वीरें कंट्रोल रूम तक समय-समय पर भेजता रहेगा।

ड्रोन का इस्तेमाल शहरी क्षेत्रों के साथ नगर निगम में नए शामिल 84 गांवों में किया जाएगा। (Pixabay)

स्मार्ट सिटी (Smart City) के सीईओ व नगर आयुक्त गौरांग राठी ने बताया "पहले तरह के आकाशवाणी ड्रोन में पब्लिक एड्रेस सिस्टम लगा है। जिससे कम समय में घने इलाकों व ग्रामीण क्षेत्रों में दूर दूर तक-उड़ कर ड्रोन कोविड से सम्बंधित जानकारी दे सकता है। दूसरे ड्रोन कोरोना किलर का इस्तेमाल सैनीटाइजेशन के लिए किया जायेगा। तीसरे तरह का ड्रोन बेहद खास है। यह ड्रोन होम आइसोलेटेड मरीजों को घर तक दवा के साथ आवश्यक सामग्री पहुंचाने काम करेगा। इस ड्रोन (Drone) का इस्तेमाल खास तौर पर कैंटोनमेंट जोन में होगा। जिससे फ्रंट लाइन वर्कर कोविड मरीजों के संपर्क में आने से बचेंगे। चौथे प्रकार का ड्रोन चप्पे-चप्पे की निगरानी करेगा व कोरोना प्रोटोकॉल का पालन कराएगा।"

उन्होंने बताया कि ड्रोन का इस्तेमाल शहरी क्षेत्रों के साथ नगर निगम में नए शामिल 84 गांवों में किया जाएगा। इसके बाद इसका दायरा और बढ़ाया जाएगा। आगे चलकर नगर निगम के बेड़े में 8 ड्रोन और शामिल हो जाएंगे।

गरुड़ एयरोस्पेस कंपनी के प्रेसिडेंट संजीव शर्मा ने डेमो देने के बाद बताया कि वाइट नाईट ड्रोन करीब 100 फिट की उचाई तक उड़ कर एक जगह से दूसरी जगह जा सकता है। यह 12 किलो तक की सामग्री को लेकर आसानी से उड़ सकने में सक्षम है। एक बार में करीब 20 से 25 मिनट तक लगातार हवा में उड़ सकता है। इसकी स्पीड 10 से 12 मीटर प्रति सेकेंड है । ड्रोन में 24 मेगापिक्सल का कैमरा लगा है,जो साफ तस्वीरें व वीडियो के साथ रिकाडिर्ंग की भी सुविधा है। ड्रोन कंट्रोल रूम में लाइव तस्वीरें भी भेजता रहता है। (आईएएनएस-SM)

एक Sparrow Man की कहानी, जिनकी मेहनत से बचा हजारों गोरैयों का परिवार!

भगवान जगन्नाथ का रथ खींचती हैं जो रस्सियाँ, उनके पीछे छिपा है एक आदिवासी समाज!

मोहम्मद शमी को कोर्ट से बड़ा झटका : पत्नी-बेटी को हर महीने देने होंगे 4 लाख रुपये !

जिसे घरों में काम करना पड़ा, आज उसकी कला को दुनिया सलाम करती है – कहानी दुलारी देवी की

सफलता की दौड़ या साइलेंट स्ट्रगल? कोरिया में डिप्रेशन की असली वजह