स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर हो चुके बच्चों के सामने कोविड-19 महामारी की वजह से आ रही चुनौतियों को कम करने के लिए शिक्षा मंत्रालय ने दिशा-निर्देश तैयार किए हैं। शिक्षा मंत्रालय ने कहा है कि प्रत्येक राज्य स्कूल छोड़ने की दर (ड्रॉप आउट) में वृद्धि को रोकने के लिए एक उचित कार्यनीति तैयार करें। इसके लिए शिक्षा मंत्रालय ने प्रवासी बच्चों की पहचान, नामांकन और उनकी शिक्षा जारी रखने के लिए कहा है।
राज्य यह सुनिश्चित करेंगे कि स्कूल जाने वाले बच्चों को गुणवत्तापूर्ण और समान शिक्षा की सुविधा प्राप्त हो। देशभर में स्कूली शिक्षा पर महामारी के प्रभाव को कम किया जा सके। शिक्षा मंत्रालय ने स्कूल की बंदी के दौरान और स्कूल के फिर से खुलने पर राज्यों द्वारा उठाए जाने वाले कदमों के बारे में विस्तृत दिशा-निर्देश तैयार किए और जारी किए हैं।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने आधिकारिक जानकारी देते हुए कहा, "दिशा-निर्देशों के मुताबिक, स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर हुए बच्चों (ओओएससी) तथा विशिष्ट आवश्यकताओं वाले बच्चे (सीडब्ल्यूएसएन) के लिए शिक्षा जारी रखने का प्रयास किया जाएगा। स्कूल से बाहर हुए चिन्हित बच्चों के लिए स्वयंसेवकों, स्थानीय शिक्षकों और सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से गैर-आवासीय प्रशिक्षण जारी रखा जाएगा। स्वयंसेवकों, विशेष शिक्षकों के माध्यम से सीडब्ल्यूएसएन बच्चों के लिए गृह आधारित शिक्षा को जारी रखा जाए।"
स्कूल से बाहर हुए चिन्हित बच्चों के लिए सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से गैर-आवासीय प्रशिक्षण जारी रखा जाएगा।(Pixabay)
स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर हुए बच्चों की पहचान के लिए हर घर जाकर एक व्यापक सर्वेक्षण किया जाएगा। इसके जरिए 6 से 18 वर्ष के आयु समूह के लिए ओओएससी की समुचित पहचान की जाएगी और राज्य उनके नामांकन के लिए एक कार्य योजना तैयार करेंगे।
शिक्षा मंत्रालय ने रविवार को जानकारी देते हुए कहा, "नामांकन मुहिम शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत में प्रवेशोत्सव, स्कूल चलो आदि अभियान आरंभ किया जा सकता है। बच्चों के नामांकन और उपस्थिति के लिए माता-पिता और समुदाय को जागरूक करना। कोरोना से संबंधित 3 उपयुक्त व्यवहारों- मास्क पहनने, छह फीट की दूरी बनाए रखने और साबुन से हाथ धोने-के अभ्यास करने के बारे में जागरूकता पैदा की जाएगी। इसके लिए आईईसी सामग्री 6 नवंबर, 2020 को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ साझा की गई है।"
जब स्कूल बंद हों तब छात्रों को परामर्श, बड़े स्तर पर जागरूकता और उनके घरों का दौरा करना सहित सहायता प्रदान की जाएगी। परामर्श सेवाओं और मनो-सामाजिक सहायता के लिए मनोदर्पण वेब पोर्टल और टेली-काउंसलिंग नंबर का उपयोग किया जाएगा।(आईएएनएस)