भारतीय ओलंपकि संघ (आईओसी) के उपाध्यक्ष और भारतीय खो खो संघ के अध्यक्ष सुधांशु मित्तल ने देश में स्वदेशी परम्परागत खेलों में जागरूकता लाने और इनके प्रचार-प्रसार के लिए फिजिकल एजुकेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पेफी) द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय स्तर की ई कांफ्रेंस का सोमवार को ऑनलाइन शुभारंभ किया। यह कॉन्फ्रेंस 'अपने स्वदेशी खेलों को जाने और पहचाने' विषय पर आयोजित की जा रही है। सुधांशु ने कॉन्फ्रेंस का उदघाटन करने के बाद कहा कि स्वदेशी खेल, वह खेल है जो मनोरंजन की दृष्टि से उत्तम है ही अपितु यह खेल स्वस्थता प्रदान कर सीमित संसाधनों के साथ सहजता से खेले जा सकते है।
उन्होंने कहा, "हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी व कर्तव्य बनता है कि हम अपने स्वदेशी खेलों को इतिहास न बनने दें और इसे गली गली, शहर शहर होते हुए अंर्तराष्ट्रीय पटल तक पहुंचाने में आपना सहयोग दें।"
इस अवसर पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री श्रीनिवासन ने स्वदेशी खेलों पर विशेष ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि अनुशासनिक नागरिकों का निर्माण करने के लिए स्वदेशी खेलों का विकास करना परम आवश्यक है।
स्वदेशी एवं प्रसिद्ध खेल खो-खो। (Wikimedia Commons)
उन्होंने कहा, "अब वक्त आ गया है कि हम अपने सभी परंपरागत एवं स्वदेशी खेलो में से कुछ खेलों को चिन्हित कर 'एक खेल एक प्रांत' की नीति को अपनाएं एवं उस खेल के द्वारा आधुनिक खेलों के कौशल में कैसे विकास किया जा सकता है उस पर ध्यान केंद्रित करें।"
कार्यक्रम के विशेष अतिथि मल्लखम्ब खेल द्रोणाचार्य विजेता 2020 योगेश मालवीय ने कहा की भारत सरकार के द्वारा मल्लखम्ब खेल में पहली बार द्रोणाचार्य अवार्ड मिलने से एक स्वदेशी खेल को आगे बढाने में मदद मिलेगी। उन्होंने सभी लोगो से आग्रह किया कि परम्परागत खेलों को फिर से जन जीवन का हिस्सा बनाने में सभी को पेफी की मुहीम का समर्थन करना चाहिए।
कार्यक्रम में विशिष्ठ अतिथि के रूप में क्रीड़ा भारती दिल्ली से अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी राकेश गोस्वामी, भारतीय खो-खो संघ के महासचिव एम एस त्यागी जी और पेफी के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. अरुण कुमार उप्पल जी ने स्वदेशी खेल पर अपने विचार दिए।(आईएएनएस)