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एक ऐसा अरबपति जिसकी इच्छा है ‘निर्धन मरने की’

Shantanoo Mishra

पैसा हमारे जीवन में अहम महत्व रखता है। बिना पैसे के समाज में कोई आप की तरफ देखता भी नहीं क्योंकि उन्हें अपने रुतबे और धन का अहंकार का घमंड होता है। किन्तु विश्व में कुछ ऐसे भी व्यक्ति हैं जिन्हे पैसे और संपत्ति का कोई मोह नहीं। दान देना उनके लिए सर्वोपरि कर्त्तव्य है, चक फीनी यही सोच रखने वाले व्यक्ति हैं। चक ने अपनी सारी जमा-पूंजी जो कि अरबों में थी वह दान कर दी। उन्होंने अपने कमाए हुए पैसों को इसलिए दान कर दिया क्योंकि उन्हें निर्धन मरना था।

संत कबीर लिखते हैं कि "मन लागो मेरो यार फकीरी में।" और इसी पंक्ति के सटीक उदाहरण हैं चक फीनी। उन्होंने न कभी महंगे कपड़े पहने, न ही महँगी घड़ियाँ पहनी और न ही लम्बी 'आलीशान' गाड़ियों में घूमे। किन्तु पैसा कमाने का जूनून और दान करने का भाव उनमे भरपूर मात्रा में मौजूद है। चक फीनी ने लगभग $8 बिलियन डॉलर दान कर दिए जो कि उनकी कुल सम्पत्ति है।

चक द्वारा किए गए दान:

चक ने $588 मिलियन कॉर्नेल विश्वविद्यालय को दान किए, $125 मिलियन कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय और $60 मिलियन स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय को दान में दिए। चक ने करीब $1 बिलियन डॉलर आयरलैंड में 7 विश्वविद्यालय के निर्माण और पुनर्निर्माण के लिए दान किए। उन्होंने कई देशों में बच्चों के लिए क्लिफ्ट लिप (खण्‍डोष्‍ठ)सर्जरी प्रदान करने के उद्देश्य से एक चैरिटी फंड की भी स्थापना की।

ना नाम चाहिए न ही प्रशंसा

किन्तु इन सब योगदानों के बावजूद भी चक ने कभी भी अपना नाम उजागर नहीं किया क्योंकि उन्होंने कभी भी दान के लिए प्रशंसा नहीं चाहिए थी।

जब मीडिया में उनके विषय में लिखा गया तब लोगों को उनके योगदान के विषय में पता चला और चक भी खुलकर मीडिया के सामने आए। तब उनसे पूछा गया कि "आपने अपने पूरी कमाई को दान करने का फैसला क्यों लिया?" तब चक ने बड़ा सीधा किन्तु सटीक जवाब दिया कि "क्योंकि लाश के साथ पैसा साथ नहीं जाता।"

चक फीनी 'ड्यूटी फ्री शॉपर ग्रुप' के सह-संस्थापक हैं और 'अटलांटिक फिलेन्ट्रोपीस' के संस्थापक हैं। चक के बाद विश्व के दो सबसे बड़े कारोबारियों ने उनके नक़्शे-कदम पर चलने का फैसला किया है। एक हैं अमेरिका के सबसे सफल कारोबारी 'वॉरेन बफे' और दूसरे हैं विश्व के सबसे अमीर व्यक्ति में गिने जाने वाले 'बिल गेट्स'। और यह दोनों भी योगदान देने में पीछे नहीं रहते।

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