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महान स्वतंत्रता सेनानी रानी गाइडिनल्यू के नाम पर मणिपुर में होगा संग्रहालय

NewsGram Desk

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को मणिपुर के तामेंगलोंग जिला के लुआंगकाओ गांव में रानी गाइडिनल्यू (Rani Gaidinliu) स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय की आधारशिला रखा। इस परियोजना को भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा 15 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से स्वीकृत किया गया है। राज्य मंत्रिमंडल ने तामेंगलोंग जिला के लुआंगकाओ गांव में इस संग्रहालय को स्थापित करने का निर्णय लिया था क्योंकि यह गांव प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी रानी गाइडिनल्यू का जन्मस्थान है।

रानी गाइडिनल्यू (Rani Gaidinliu)का जन्म 26 जनवरी, 1915 को मणिपुर राज्य के तामेंगलोंग जिला के ताओसेम उप-मंडल के लुआंगकाओ गांव में हुआ था। माना जाता है कि वो नागा जनजाति की थी, जो कि जेलियांग्रांग में आती है।13 साल की उम्र में ही वह नगा नेता जादोनाग से जुड़ गयीं थीं और उनके सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक आंदोलन में भाग लेने लगीं।

एक समय आया जब अंग्रेज़ों ने जदोनांग को गिरफ्तार कर लिया और उन्हें 29 अगस्त, 1921 में इम्फाल में फांसी की सजा दे दी गयी। जदोनांग की मृत्यु के बाद आंदोलन की बागडोर रानी के हाथों में आ गई।

जादोनांग के बलिदान के बाद गाइडिनल्यू ने अंग्रेजों के खिलाफ भयंकर विद्रोह शुरू किया , जिसके लिए उन्हें 14 साल के लिए अंग्रेजों ने जेल में डाल दिया। देश की आज़ादी में निर्भीक होकर लड़ने वाली रानी गाइडिनल्यू को 'नागालैंड की रानी लक्ष्मीबाई' भी कहा जाता है।

अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष में उनकी महान भूमिका को देखते हुए लोग उन्हें सम्मान से "रानी" कहने लगे। 1947 में भारत को आजादी मिलने के बाद उन्हें तुरा जेल से रिहा कर दिया गया था, जिसके बाद 17 फरवरी, 1993 को रानी गाइडिनल्यू (Rani Gaidinliu)का उनके पैतृक गांव लुआंगकाओ में निधन हो गया।

उन्हें 1972 में ताम्रपत्र, 1982 में पद्म भूषण, 1983 में विवेकानंद सेवा सम्मान, 1991 में स्त्री शक्ति पुरस्कार और 1996 में भगवान बिरसा मुंडा पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। भारत सरकार ने 1996 में रानी गाइडिनल्यू (Rani Gaidinliu)का एक स्मारक टिकट भी जारी किया था।

वहीं 2015 में उनके जन्म शताब्दी समारोह के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सौ रुपये का सिक्का और पांच रुपये का प्रचलन सिक्का जारी किया। भारतीय तटरक्षक बल ने 19 अक्टूबर, 2016 को उनके सम्मान में एक तेज गश्ती पोत "आईसीजीएस रानी गाइडिनल्यू" को चालू किया।

Source: Panchjanya; Edited By: Manisha Singh

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