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“रेत माफियाओं” से लोहा लेने से नहीं कतराती है यह महिला।

Swati Mishra

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के मुरैना जिले में वन विभाग की टीम पर रेत माफियाओं का हमला मानों आम बात हो गई है। ये रेत माफिया अपने अवैध कारोबारों को अंजाम तक पहुंचाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार रहते हैं। ऐसे में इन माफियाओं को रोकना बेहद जरूरी हो गया था और इस दिशा में एक महिला वन अधिकारी इन माफियाओं के लिए एक चुनौती सी बन गई हैं। 

एसडीओ के पद पर कार्यरत और एक महिला वन अधिकारी श्रद्धा पांडे (lady forest officer Shraddha Pandey) इन माफियाओं के खिलाफ बेखौफ अपनी ड्यूटी निभा रही हैं। अपनी काबिलियत और सूझ – बुझ से इन्होनें रेत माफियाओं के नाक मे दम कर रखा है। हालांकि उनका एक डेढ़ साल का बेटा भी है। जिसे वह अपने घर और अपने नौकर के भरोसे छोड़कर आती हैं और दिन रात अपनी ड्यूटी निभाती हैं। वह रेत माफियाओं से लौहा लेने से बिल्कुल नहीं डरती हैं। यही वजह है कि आज उन अवैध रेत माफियाओं में श्रद्धा पांडे का डर बैठा हुआ है। 

आपको बता दें कि वन विभाग की टीम पर हमले की शुरुआत आज से डेढ़ महीने पहले यानी 24 अप्रैल को आरटीओ कैरियर व वन चौकी के बीच सोलंकी पेट्रोल पंप के पास हुआ था। उस वक्त अवैध रेत के ट्रैक्टर ट्रॉली को पकड़ लिया गया था। जिसके बाद ट्रैक्टर पर सवार एक माफिया ने कट्टा निकाल एसडीओ श्रद्धा पांडे की गाड़ी पर हमला किया था। 

मध्य प्रदेश में रेत माफिया हर उस आदमी को उसकी आवाज को बेदर्दी से कुचल देता है जो इनके कारोबार में रुकावट पैदा करते हैं। (सांकेतिक चित्र, Wikimedia Commons)

इसके बाद दूसरा हमला 22 मई को रजिस्ट्रा ऑफिस के पास हुआ था। इस हमले में ट्रैक्टर सवार ने श्रद्धा पांडे पर फिर एक बार हमला कर उन पर ट्रैक्टर चढ़ाने का प्रयास किया था। हालांकि वह बच गई थीं। इसके बाद लगातार 8 बार उन रेत माफियाओं ने वन विभाग की टीम और श्रद्धा पांडे पर हमला किया। लेकिन श्रद्धा पांडे ने साहस के साथ उन लोगों को सामना किया|

रेत माफियाओं की दहशत से पूरा मध्य प्रदेश ही परेशान है। वन कर्मियों पर हमला कर अपने अवैध रेत के ट्रैक्टर्स को अलग – अलग जगह पहुंचाना इन माफियाओं का धंधा हो गया है। मध्य प्रदेश में रेत माफिया हर उस आदमी को उसकी आवाज को बेदर्दी से कुचल देता है जो इनके कारोबार में रुकावट पैदा करते हैं। अब तक न जाने कितने मासूम लोगों को इन माफियाओं ने मौत के घाट उतार दिया है। ऐसे में एक महिला वन अधिकारी द्वारा इन माफियाओं के अंदर खोफ पैदा करना अपने आप में एक मिसाल कायम करती है। 

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