शराब (Liquor) एक ऐसा पेय पदार्थ है। जिससे लाखों जिंदगी यहां तक की लाखों परिवार तबाह हो जाते हैं। शराब पीना हमारे धर्मों में, धन का नाश, स्वास्थ्य का नाश, चरित्र का नाश और बुद्धि का नाश करने वाला बताया गया है। लेकिन फिर भी लोग इसके सेवन में घुत हैं। महात्मा बुध (Mahatma Budh) ने कहा था "शराब से सदा भयभीत रहना, क्योंकि यह पाप तथा अनाचार की जननी है।"
आज शराब की समस्या ने आधुनिक सभ्यता के लिए एक गंभीर खतरा उत्पन्न कर दिया है। शराब की लत में ना जाने कितने युवकों (Youth) ने अपनी जिंदगी को बर्बाद कर डाला है। शराब की लत ने अनगिनत घरों को उजाड़ डाला है। आज सबसे बड़ी समस्या यह है कि, शराब पीना एक फैशन के तौर पर माना जाने लगा है और इस फैशन का सबसे बड़ा शिकार आज का युवा वर्ग है।
देश के कई ऐसे राज्य हैं, जिन्होंने शराबबंदी को लेकर कुछ नियम ज़रूर बनाएं हैं। एक तरफ हमारे नेता, सरकार शराबबंदी की बातें करते थकते नहीं हैं। लेकिन दूसरी ओर अपने राजस्व (Revenue) को बढ़ाने के लिए सबसे पहले शराब की ओर रुख कर लेतें हैं। सरकार की इस हां – ना के बीच शराब बनाने वाला और बेचने वाला दोनों पिसते रहते हैं। यही कारण है कि, बड़े स्तर पर लोग अवैध रूप से शराब बनाते हैं और बेचते हैं। जिस वजह से कई लोगों की जान भी चली जाती है। परन्तु सरकार पूर्ण रूप से इस धंधे को बंद करने के लिए कोई भी ठोस कदम नहीं उठाती है।
शराब से मनुष्य का हृद्यरोग (Heart Disease), यकृत रोग (Liver Disease), मानसिक रोग (Mental Disease) सब पीड़ित होता है और यह धीरे – धीरे शरीर को खोखला बना देती है। शराब हमारे देश में घरेलू हिंसा, सड़क दुर्घटना, झगड़े, दुष्कर्म आदि कई समस्याओं को जन्म देती है। जब शराब इंसान को खत्म कर देने वाला सबसे बड़ा जहर है। तो सरकार अपना राजस्व भरने के लिए यह जहर कैसे बांट सकती है।
यह तो सभी को दृष्टव्य है कि, वैश्विक महामारी के चलते देश भर में लॉकडाउन लगा था। देश की अर्थव्यवस्था (Economy) पूरी तरीके से ठप थी। अर्थवयवस्था को पटरी पर लाने के लिए लॉकडाउन के तीसरे चरण में कई चीजों पर रियायत बरती गई थी। इस दौरान जिस चीज़ की सबसे ज्यादा मारा – मारी थी वो थी शराब। सरकार को सबसे ज्यादा राजस्व शराब, पैट्रोल की बिक्री से मिलता है। जीएसटी ना होने की वजह से अक्सर इनकी कीमतों में उतार – चढ़ाव देखने को मिलता है और इसी वजह से लॉकडाउन (Lockdown) में अपने राजस्व को भरने के लिए सरकार ने शराब की बिक्री को मंजूरी दे दी थी।
शराब पीना एक फैशन के तौर पर माना जाने लगा है और इस फैश का सबसे बड़ा शिकार आज का युवा वर्ग है। (Pexel)
ज़िन्दगी से बढ़कर लोगों के जीवन में शराब है, ये तो लॉकडाउन में फिर एक बार लोगो को बड़े स्तर पर समझ आ गया था। भूखे शेर की भांति लोग सुबह – सुबह शराब की दुकानों के बाहर लंबी लाइनों में लग जाते थे। शराब की प्यास में लोगों ने सोशल डिस्तांसिंग तक कि धज्जियां उड़ा दी थी। जिस वजह से पुलिस को लाठी चार्ज भी करना पड़ गया था। सरकार यह जानती थी की शराब (Liquor) की मारा – मारी में लोग बड़ी संख्या में आयेंगे। जिन्हें संभालना मुश्किल हो जाएगा लेकिन फिर भी सरकार द्वारा कोई भी ठोस कदम नहीं उठाए गए थे। दिल्ली, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल, कर्नाटका, उत्तर प्रदेश आदि कई राज्यों की सरकारों ने अपने राजस्व (Revenue) की पूर्ति के लिए लोगों के जीवन को दांव पर लगा दिया था।
इस बीच दिल्ली की सरकार ने सोचा जहर भी बांटा जाए और बीमारी को भी काटा जाए। तो दिल्ली सरकार ने शराब खरीदने के लिए एक नई वयवस्था कि शुरुआत की। जिसमें उन्होंने ई – टोकन (E- tocken) जारी किए। सरकार की ओर से लिंक भी जारी किए गए। शराब से जुड़ी अर्थव्यवस्था कि बात करें तो दिल्ली अपने राजस्व का करीब 12 फीसदी शराब से कमाती है।
वर्तमान की बात करें तो दिल्ली (Delhi) सरकार ने एक बार फिर अपने राजस्व को बढ़ाने के लिए शराब पर न्यू पॉलिसी ले कर आई है। सरकार ने शराब (Alcohol) की कीमतों को बढ़ाने का फैसला किया है। न्यू एक्साइज पॉलिसी के तहत, राज्यों में अब और अधिक शराब की दुकानें खोली जायेंगी। सरकार ये जानती है कि, शराब के फैशन के दौर में इससे सबसे ज्यादा प्रभावित युवा वर्ग है फिर भी यह दुर्भाग्य से कम नहीं की हमारे देश की राजधानी, दिल्ली में सरकार ने शराब पीने की उम्र को 25 से घटाकर 21 साल कर दिया है। आखिर क्यों? क्यूं सरकार , दिल्ली को नशे का केंद्र बनाना चाहती है। सरकार इस बात से अनभिज्ञ नहीं कि युवाओं से, देश से जुड़े ऐसे कई मुद्दे हैं जिन पर ध्यान देना अत्यंत आवश्यक है। आज रोजगार की मारा – मारी में आधे से ज्यादा युवा वर्ग पीड़ित है। नौकरियों (Jobs) में आरक्षण की खस्ता हालत है। देश में अपराध के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। जहां सरकार को रोजगार के दिशा में उचित कदम उठाने चाहिए। वहीं सरकार, शराब की उम्र कम कर देश के आने वाले कल को बर्बाद कर रही है। इससे केवल महिलाओं पर जुर्म के मामलों में बढ़ोतरी होगी। सरकार इस बात से अनजान नहीं की लोग शराब पीने के लिए ना जाने कितने जुर्मों को अंजाम देते हैं। फिर भी ये कदम आखिर क्यों उठाए गए हैं? जब शराब जनता को खत्म कर देने वाला सबसे बड़ा जहर है। तो सरकार अपना राजस्व भरने के लिए यह जहर कैसे बांट सकती है।
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देश का भविष्य खतरे में है और इसकी सबसे ज्यादा जिम्मेदार वो जनता है, जो फ्री के लालच में, ऐसी सरकार को दिल्ली की गद्दी थमा देती है। जिसे जनता या जनता के मुद्दों से कोई मतलब नहीं। अब भी समय है। इस कानून का विरोध जायज़ है। शराब इंसान को बर्बाद करता है और ये कानून (Law) देश बर्बाद कर देगा। इस कानून को रोकना बहुत जरूरी है। निश्चित रूप से और राष्ट्रीय स्तर पर शराबबंदी को लेकर ठोस कदम उठाना बेहद जरूरी है।