ब्लॉग

राष्ट्रहित से ज्यादा प्राथमिकता अपनी विचारधारा को देना गलत: पीएम मोदी

NewsGram Desk

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार शाम जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का अनावरण किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रवाद और राष्ट्रहित से जुड़े विचारों पर बल दिया। उन्होंने कहा कि अपनी विचारधारा को राष्ट्रहित से ज्यादा महत्व देना गलत है। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रों एवं शिक्षकों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "एक बात जिसने हमारे लोकतंत्र व्यवस्था को बड़ा नुकसान पहुंचाया वह है राष्ट्रहित से ज्यादा प्राथमिकता अपनी विचारधारा को देना। अगर कोई विचारधारा यह कहती है कि देशहित के मामलों में भी मैं इसी दायरे में काम करूंगा तो यह रास्ता सही नहीं है। दोस्तों यह गलत है। आज हर कोई अपनी विचारधारा पर गर्व करता है। यह स्वाभाविक भी है, लेकिन फिर भी हमारी विचारधारा राष्ट्रहित के विषयों में राष्ट्र के साथ नजर आनी चाहिए। राष्ट्र के खिलाफ कतई नहीं। आप देश के इतिहास में देखिए जब -जब देश के सामने कोई कठिन समस्या आई है हर विचारधारा के लोग राष्ट्रहित में एक साथ आए हैं। आजादी की लड़ाई में महात्मा गांधी के नेतृत्व में हर विचारधारा के लोग एक साथ आए थे। उन्होंने देश के लिए एक साथ संघर्ष किया था।"

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "आपातकाल के खिलाफ आंदोलन में कई राजनीतिक दलों के नेता, कार्यकर्ता, आरएसएस के स्वयंसेवक और संगठन के लोग भी थे। समाजवादी लोग भी थे, कम्युनिस्ट भी थे, जेएनयू से जुड़े कितने ही लोग थे जिन्होंने एक साथ आकर इमरजेंसी के खिलाफ संघर्ष किया था। इस लड़ाई में किसी को अपनी विचारधारा से समझौता नहीं करना पड़ा था। पर सब सबसे ऊपर राष्ट्रहित का उद्देश्य था। इसलिए साथियों जब राष्ट्र की एकता, अखंडता का प्रश्न हो तो एक साथ आना चाहिए।"

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "हां मैं मानता हूं स्वार्थ के लिए, अवसरवाद के लिए, अपनी विचारधारा से समझौता करना भी गलत है। इस तरह का अवसरवाद सफल नहीं होता। हमें अवसरवाद से दूर रहना है।"

प्रधानमंत्री मोदी ने जेएनयू के छात्रों को संबोधित करते हुए जेएनयू के साबरमती ढाबे का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा, "एक स्वास्थ संवाद को लोकतंत्र में जिंदा रखना है। आपके यहां तो आपके हॉस्टल्स के नाम भी गंगा, साबरमती, गोदावरी, ताप्ती, कावेरी, नर्मदा, झेलम, सतलुज जैसी नदियों के नाम पर हैं। इन नदियों की तरह ही आप सभी देश के अलग-अलग हिस्सों से आते हैं। अलग-अलग विचार लेकर लाते हैं। विचार मिलते हैं, आइडिया की शेयरिंग को नए नए विचारों के इस प्रभाव को अविरल बनाए रखना है। कभी सूखने नहीं देना है। हमारा देश महान भूमि है जहां अलग-अलग विचारों के बीज विकसित होते हैं। विकसित होते रहे हैं और फलते भी हैं, फूलते भी हैं। इस परंपरा को मजबूत करना आप जैसे युवाओं के लिए तो खासतौर पर बहुत आवश्यक है। इसी परंपरा के कारण भारत दुनिया का सबसे वाइब्रेंट लोकतंत्र है। मैं चाहता हूं कि हमारे देश का युवा कभी भी किसी भी 'स्टेटस-को' को ऐसे ही स्वीकार न करें। कोई यह कह रहा है, यह मान लो नहीं होना चाहिए। आप तर्क कीजिए, बात कीजिए, विवाद कीजिए, स्वस्थ चर्चा कीजिए, मनन, मंथन, संवाद कीजिए और फिर किसी परिणाम पर पहुंचे। स्वामी विवेकानंद जी ने भी कभी 'स्टेटस-को' स्वीकार नहीं किया। एक चीज जिस पर में खासतौर पर बात करना चाहता हूं और वह है आपस में हंसी मजाक। अपने भीतर ह्यूमर को जरूर जिंदा रखिए। कभी-कभी मैं नौजवानों को देखता हूं इतना बोझ लेकर दबे होते हैं। कई बार हम अपनी कैंपस लाइफ में कैंपस पॉलिटिक्स में ह्यूमर को ही भूल जाते हैं। हमें इसे बचा कर रखना है। अपने सेंस ऑफ ह्यूमर को खोने नहीं देना है।"

अंत में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में लगी स्वामी विवेकानंद की यह प्रतिमा राष्ट्र निर्माण और राष्ट्रप्रेम के प्रति यहां आने वाले हर युवा को प्रेरित करती रहेगी, इसी कामना के साथ आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।(आईएएनएस)

डॉ. मुनीश रायज़ादा ने बिजली के बढ़े हुए बिलों के मुद्दे को हल करने में विफल रहने के लिए आप सरकार की आलोचना की

भारतीय लिबरल पार्टी (बीएलपी) दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में सभी 70 विधानसभाओं पर चुनाव लड़ेगी

कभी रहे खास मित्र, अब लड़ रहे केजरीवाल के खिलाफ चुनाव। कौन हैं मुनीश रायज़ादा?

नई दिल्ली विधानसभा (AC - 40) से केजरीवाल के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे डा मुनीश रायज़ादा

भारतीय लिबरल पार्टी (बीएलपी) के अध्यक्ष डॉ. मुनीश रायज़ादा ने शहर में प्रदूषण के मुद्दे को हल करने में विफलता के लिए आप सरकार को ठहराया जिम्मेदार।