Mumbai International Film Festival : 18वें मुंबई इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में जमशेदपुर की संथाली फिल्म ‘आंगेन’ को भी शामिल किया गया है।(Wikimedia Commons) 
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मुंबई इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में पहली बार दिखाया जाएगा संथाली फिल्म

झारखंड की जनजातीय फिल्मों को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाने और पहचान दिलाने का बीड़ा कोल्हान के ही पांच युवाओं ने उठाया है। इनमें रविराज मुर्मू, संजय कुमार टुडू, सेराल मुर्मू, कृष्णा सोरेन और राहुल बिरूली शामिल हैं।

न्यूज़ग्राम डेस्क

Mumbai International Film Festival: 18वें मुंबई इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में जमशेदपुर की संथाली फिल्म ‘आंगेन’ को भी शामिल किया गया है। इस फेस्टिवल का आयोजन 15 से 21 जून तक मुंबई में किया जायेगा। इसमें दिखाई जाने वाली फिल्मों का प्रदर्शन दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और पुणे में भी किया जायेगा। संथाली फिल्म ‘आंगेन’ को 16 जून को दिखाई जायेगी। आपको बता दें मुंबई इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में पहली बार किसी संथाली फिल्म को जगह मिली है। ‘आंगेन’ 12 मिनट की एक शॉर्ट फिल्म है।

इस फिल्म के निर्माता-निर्देशक रविराज मुर्मू हैं। वे फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, पुणे के छात्र रहे हैं। रविराज ने कहा कि “ इस फिल्म की शूटिंग जमशेदपुर से सटे आदिवासी बहुल इलाकों करनडीह, तुरामडीह, छोलागोड़ा और कीनूटोला में की गयी है।” फिल्म में रामचंद्र मार्डी, सलोनी, जितराई व फूलमनी ने बेहतरीन अभिनय किया है। ये सभी कलाकार जमशेदपुर के हैं। साहित्यकार, गीतकार और लोक गायक दुर्गा प्रसाद मुर्मू ने धुन तैयार किया है तथा नूनाराम ने फिल्म को संगीत दिया है। फिल्म के म्यूजिक डायरेक्टर निशांत राम टेके हैं।

झारखंड की जनजातीय फिल्मों को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाने और पहचान दिलाने का बीड़ा कोल्हान के ही पांच युवाओं ने उठाया है। (Wikimedia Commons)

जनजातीय फिल्मों को दिलाना है पहचान

झारखंड की जनजातीय फिल्मों को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाने और पहचान दिलाने का बीड़ा कोल्हान के ही पांच युवाओं ने उठाया है। इनमें रविराज मुर्मू, संजय कुमार टुडू, सेराल मुर्मू, कृष्णा सोरेन और राहुल बिरूली शामिल हैं। फिल्मों के निर्माण के लिए दलमा मोशन पिक्चर्स और सांवता स्टूडियो, इन दोनों कंपनियों के बैनर तले ही संथाली फिल्म ‘आंगेन’ का निर्माण किया गया है।

क्या है इस फिल्म की कहानी

रविराज मुर्मू ने बताया कि गांवों में कई लोक कथाएं प्रचलित हैं। इनमें जनजातीय समुदाय के अनुभव और संघर्ष के सार छिपे होते हैं। इनमें सांस्कृतिक विरासत के साथ ऐतिहासिक तथ्य भी होते हैं। फिल्म की कहानी धरती और देवलोक की है। देवलोक की एक सुंदरी को धरती के एक चरवाहे से प्रेम हो जाता है। वह अपनी दिव्य शक्ति से चरवाहा युवक को सम्मोहित कर लेती है और अपने साथ देवलोक में ले जाती है। लेकिन जब वह युवक सम्मोहन से जागता है, तो महसूस करता है कि वह देवी के प्रेम में बंधकर उसके लोक में चला आया है। फिर वह वहां से धरती लोक पर चला आता है। इस कहानी पर बारीकी से काम किया गया है, जो दर्शकों को बांधे रखता है।

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