न्यूजग्राम हिंदी: जब भी कोई शुभ काम होता हैं जैसे शादी, त्योहार, बच्चे का जन्म तो किन्नर (Kinnara) आशीर्वाद देने आते हैं। किन्नरों को दक्षिणा देना और उनसे दुआएं मिलना बेहद ही शुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि किन्नरों के आशीर्वाद और दुआओं में बहुत ताकत होती है। मान्यता यह भी है कि मरणासन्न किन्नर की दुआएं और आशीर्वाद बहुत असरदार होती हैं। ऐसा बताया जाता है कि किन्नरों को पहले से पता चल जाता है कि उनकी मृत्यु होने वाली है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि किन्नरों का अंतिम संस्कार (Funeral) कैसे होता है? आज के इस लेख में हम आपको बताएंगे कि किन्नरों का अंतिम संस्कार कैसे होता है?
जब किन्नरों को यह आभास हो जाता हैं कि उनकी मृत्यु होने वाली होती है तो वह कहीं बाहर आना जाना बंद कर देते हैं इसके साथ ही वह भोजन करना भी बंद कर देते हैं। अपने अंतिम समय में वह ईश्वर का ध्यान करते हैं और वह अपने साथ ही दूसरे किन्नरों के लिए भी यह प्रार्थना करते हैं कि अगले जन्म में ईश्वर उन्हें किन्नर न बनाएं। किन्नरों की मृत्यु के बाद उनका अंतिम संस्कार हमेशा रात के वक्त में किया जाता है ताकि सिवाय किन्नर समुदाय के कोई भी व्यक्ति यह न देख सके। यदि हम किन्नर का अंतिम संस्कार किन्नर समुदाय के अलावा कोई और व्यक्ति देख लेता हैं तो वह मृतक किन्नर अगले जन्म में फिर से किन्नर बनता है। ऐसा मानते हैं कि जब भी किन्नर समाज में किसी की मृत्यु होती है तो उसकी मृत्यु का शोक नहीं मनाया जाता बल्कि जश्न मनाया जाता है।
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