Citizenship Amendment Act : देश में पहली बार 14 लोगों को नागरिकता संशोधन अधिनियम की अधिसूचना जारी होने के बाद सिटीजनशिप सर्टिफिकेट दिए गए। इसके तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान और अफगानिस्तान से प्रताड़ित गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारत की नागरिकता देने की प्रक्रिया शुरू हो गई। पीटीआई के आधार पर एक आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने एक पोर्टल के माध्यम से उनके आवेदन ऑनलाइन संसाधित होने के बाद 14 लोगों को प्रमाण पत्र सौंपे। इसके साथ ही आवेदकों को नागरिकता संशोधन अधिनियम की महत्वपूर्ण बातें भी बताईं गई। इस मौके पर सचिव, डाक और भारत के रजिस्ट्रार जनरल सहित कई वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।
14 लोगों जिसमें से 9 आदर्श नगर शिविर से और 5 मजनू का टीला को बुधवार को नागरिकता संशोधन अधिनियम के तहत भारतीय नागरिकता दे दी गई। पाकिस्तान में उनके साथ कैसे-कैसे अत्याचार हुए, कोई सोच भी नहीं सकता। अब जब उन्हें भारत की नागरिकता मिली तो उनके चेहरे पर एक अलग खुशी का भाव है। एक दशक से ज्यादा समय से किसी देश के नागरिक ना होने के बाद, इन शिविरों के निवासियों को जब अपने सपनों को पूरा होते हुए देखा तो वो बहुत खुश हुए।
लक्ष्मी ने अपना नागरिकता प्रमाण पत्र दिखाते हुए कहा कि जब मैं भारत आई थी तो मेरी उम्र 12 या 13 साल थी और मैं कभी स्कूल नहीं गई थी। मुझे खुशी है कि मेरी बेटी का भविष्य बेहतर होगा। वो बिना किसी डर के स्कल जा सकेगी। उन्होंने बताया कि उनके पिता को अपने परिवार की सुरक्षा की चिंता थी और उन्हें अपनी दो बेटियों के जबरन धर्म परिवर्तन का डर था। इसी वजह से 2013 में वो पाकिस्तान के मीरपुर खास से भाग निकले। उनका परिवार भारत तीर्थ यात्रा पर आया था और गुजरात में कुछ रिश्तेदारों ने उन्हें थोड़े समय के लिए शरण दी। इसके बाद उन्हें पता चला कि दिल्ली में भी पाकिस्तानी हिंदू परिवार रहते हैं, फिर वो दिल्ली आ गए।
झूले राम ने बताया कि 2009-10 में उनके इलाके में धार्मिक तनाव के चलते वो सिंध के हैदराबाद से एक छोटे से गांव में चले गए थे। लेकिन गांव में भी उन्हें राहत नहीं मिली। यही वो वक्त था जब उनके परिवार ने पाकिस्तान छोड़ने का फैसला किया और 2013 में 17 साल की उम्र में सीमा पार करने के बाद वो दिल्ली आए। नागरिकता मिलने का सबसे अच्छा फायदा ये है कि अब हमारे लिए नए रास्ते खुल गए हैं।
बावना के नागरिकता प्रमाण पत्र में लिखा है कि वो 22 मार्च 2014 को वाघा बॉर्डर से भारत आई थी, उस वक्त उसकी उम्र आठ साल थी। पाकिस्तान में, उसे स्कूल में बड़ी बहन के साथ बुर्का पहनकर जाना पड़ता था और हिंदू होने की वजह से स्कूल के हैंडपंप से पानी पीने से भी मना कर दिया जाता था। नागरिकता पाने वाले लोगों में बावना सबसे कम उम्र की है।