Dangerous Experiment : तस्वीर में दिख रहे इस बच्चे के साथ उसके ही माता पिता ने इसका इस्तेमाल एक्सपेरिमेंट के लिए किया गया था। उसे एक चिंपांजी के साथ बड़ा किया गया। इन दोनों के ही अजीबोगरीब टेस्ट लिए जाते थे। इसके बाद डोनाल्ड नाम का ये बच्चा अजीब व्यवहार करने लगा था। उसने लोगों को काटना, चिंपाजी की तरह उछलना और खाना छीनना शुरू कर दिया। एक्सपेरिमेंट 9 महीने बाद बंद कर दिया गया लेकिन तब तक साफ था कि डोनाल्ड इंसान से ज्यादा जानवरों जैसा व्यवहार कर रहा है। उसका बाद में दर्दनाक अंत भी हुआ।
डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार, इस अजीब एक्सपेरिमेंट की शुरुआत साल 1931 में हुई। डोनाल्ड के पिता विन्थ्रोप और मां लुएला केलॉग मनोवैज्ञानिक थे। ये एक बेबी चिंपाजी को अपने घर लेकर आए। इसे गुआ नाम दिया। इसे उन्होंने बेटे डोनाल्ड की बहन कहा। इन दोनों के साथ अब एक्सपेरिमेंट किया जाना था। यह एक्सपेरिमेंट पांच साल तक चलेगा। दोनों को ही इंसानों की तरह साथ में पाला गया। एक्सपेरिमेंट का उद्देश्य ये पता लगाना था कि चिंपाजी इंसान की तरह किस हद तक व्यवहार कर पाएगा लेकिन इसका उलटा हुआ। जब प्रोजेक्ट शुरू हुआ तो गुआ यानी चिंपाजी 7 महीने का था और डोनाल्ड 10 महीने का था।
एक्सपेरिमेंट के तहत चिंपाजी और डोनाल्ड के साथ एक जैसा व्यवहार होता था। इनके साथ बच्चों जैसी बात की जाती और एक ही तरीके से सुलाया जाता । यहां तक कि खेलने के लिए एक जैसे खिलौने दिए गए, एक साथ एक ही तरह का खाना दिया जाता, एक जैसे कपड़े पहनाए जाते। इनके साथ हुए कुछ टेस्ट बेहद घातक थे। एक में इन्हें साथ में खिलौने वाली गाड़ी पर बिठाकर गोल गोल घुमाया गया। जिसका वीडियो आज भी वायरल है।
टेस्ट बिना रुके दिन के 12 घंटे और हफ्ते के सात दिन तक होते थे। फिर इस पर डोनाल्ड के पिता ने 1933 तक एक किताब लिखी। एक्सपेरिमेंट 28 मार्च, 1932 को बंद हुआ। जब गुआ को पुनर्वास प्रक्रिया के जरिए ऑरेंज पार्क प्राइमेट कॉलोनी में वापस भेज दिया गया। बच्चा डोनाल्ड जानवरों जैसा व्यवहार ज्यादा करने लगा था। डोनाल्ड के माता पिता की 1972 में मौत हो गई। एक साल बाद 43 साल की उम्र में डोनाल्ड ने भी आत्महत्या कर ली।