अगर हम आपसे कहे की नई पीढ़ी में स्कूलों में इंडिया की जगह भारत का इतिहास पढ़ाया जाएगा तो यह सुनने में कैसा लग रहा है? भारत ही हमारे देश की पहचान है भारत से ही हमारी पहचान है और इसी बात को स्वीकार करते हुए एनसीईआरटी ने इस नए बदलाव को अपना लिया है। अब किताबों में इंडिया की जगह भारत पढ़ाया जाएगा आईए जानते हैं कि आखिर इंडिया की जगह भारत करने के पीछे का उद्देश्य क्या है साथ ही वह कहानी भी जानते हैं कि आखिर किन हालातो में देश को भारत की जगह इंडिया नाम दिया गया था।
अब जैसा कि नाम से ही समझ आ रहा होगा की इंडिया शब्द हिंदुस्तानियों या हिंदी भाषी लोगों के द्वारा दिया हुआ नहीं है। तो आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि आखिर यह इंडिया शब्द है किसका? तो आपको बता दें कि अंग्रेज़ जब हमारे देश में आए तो उन्होंने सिंधु घाटी को इंडस वैली कहा और इस आधार पर इस देश का नाम इंडिया कर दिया। यह इसलिए भी माना जाता है क्योंकि भारत या हिंदुस्तान खाने में मुश्किल होती थी अंग्रेज भारतीय हिंदुस्तान ठीक तरीके से प्रोनाउंस नहीं कर पाते थे इसलिए उन्होंने अपनी सुविधा के लिए भारत को इंडिया कहना शुरू कर दिया और तब से भारत का नाम इंडिया पड़ गया।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद एक में भारत को लेकर दी गई जिस परिभाषा में इंडिया था इस भारत यानी इंडिया अर्थात भारत के जिन शब्दों का इस्तेमाल किया गया है उसमें से सरकार इंडिया शब्द को निकाल कर सिर्फ भारत शब्द को ही रहने देने पर विचार कर रही है। साल 2020 में भी इसी तरह की कवायत शुरू हुई थी।
दरअसल इंडिया शब्द गुलामी की निशानी है और इसलिए उसकी जगह भारतीय हिंदुस्तान का इस्तेमाल होना चाहिए ऐसा सभी मानते हैं। अंग्रेजी नाम का हटना भले ही प्रतीकात्मक होगा लेकिन यह हमारी राष्ट्रीयता खास तौर से भावी पीढ़ी में गर्व का बोध भरने वाला होगा इसलिए इंडिया शब्द को हटाकर भारत का इस्तेमाल करने की मांग लगातार बढ़ती जा रही है।
अब एनसीईआरटी पैनल ने भी इंडिया की जगह भारत नाम रखने के सिफारिश की है। पैनल के सदस्यों में से एक सी आई आइजक ने कहा की एनसीईआरटी किताबों के अगले सेट में इंडिया का नाम बदलकर भारत कर दिया जाएगा।
असल में इंडिया शब्द कम तौर पर इस्तेमाल ईस्ट इंडिया कंपनी और 1757 के पलासी के युद्ध के बाद होना शुरू हुआ वहीं भारत शब्द का जिक्र विष्णु पुराण जैसे प्राचीन लेखों में मिलता है। जो 7000 साल पुराने हैं ऐसे में समिति ने आम सहमति से सिफारिश की है कि सभी कक्षाओं की किताबों में भारत के नाम का इस्तेमाल होना चाहिए।