अंटार्कटिका की बर्फीली सतह पर अचानक एक विशाल गड्ढा देखा गया।  (AI)
पर्यावरण

धरती पर अचानक बना विशाल गड्ढा ! वैज्ञानिक भी रह गए दंग

अंटार्कटिका की बर्फीली सतह पर अचानक एक विशाल गड्ढा देखा गया, जिसका आकार धीरे-धीरे इतना बड़ा हो गया कि उसका क्षेत्रफल भारत के हरियाणा राज्य जितना हो गया। इस गड्ढे ने वैज्ञानिकों को कई दिनों तक हैरानी में डाल दिया। अब नासा और अन्य वैज्ञानिक संस्थानों के विशेषज्ञों ने इस रहस्यमय गड्ढे के पीछे की वजह का पता लगा लिया है।

Author : Priyanka Singh

अंटार्कटिका की बर्फीली सतह पर अचानक एक विशाल गड्ढा देखा गया, जिसका आकार धीरे-धीरे इतना बड़ा हो गया कि उसका क्षेत्रफल भारत के हरियाणा राज्य जितना हो गया। इस गड्ढे ने वैज्ञानिकों को कई दिनों तक हैरानी में डाल दिया। अब नासा और अन्य वैज्ञानिक संस्थानों के विशेषज्ञों ने इस रहस्यमय गड्ढे के पीछे की वजह का पता लगा लिया है। यह गड्ढा अंटार्कटिका के समुद्री बर्फ क्षेत्र में बना और इसे वैज्ञानिकों ने 'पोलिन्या' (Polynya) नाम दिया है। सबसे पहले नासा के वैज्ञानिकों ने सैटेलाइट इमेज में इस काले धब्बे को देखा, जो ‘माउड राइज’ नामक समुद्र के नीचे डूबे एक पठार के ऊपर बना हुआ था।

पोलिन्या क्या है

‘पोलिन्या’ एक ऐसा क्षेत्र होता है जहाँ समुद्र की सतह पर मौजूद बर्फ अचानक पिघल जाती है और वहाँ खुला समुद्री जल दिखने लगता है। पहली बार इसकी खोज 1970 के दशक में हुई थी जब वैज्ञानिकों ने अंटार्कटिका की सैटेलाइट तस्वीरों का अध्ययन किया था। उस समय 1974 से 1976 तक लगातार सर्दियों में यह गड्ढा दिखाई देता रहा। वैज्ञानिकों ने सोचा था कि यह हर साल होने वाली प्रक्रिया है, लेकिन बाद के वर्षों में यह घटना केवल कभी-कभार ही देखने को मिली।

वैज्ञानिकों के अनुसार, समुद्र के नीचे मौजूद माउड राइज नामक पहाड़ी संरचना समुद्री धाराओं को प्रभावित करती है। सर्दियों में अंटार्कटिका के वेडेल सागर में मौजूद 'वेडेल गाइर' नामक समुद्री धारा तेज़ी से घूमने लगती है। इससे समुद्र की गहराई में मौजूद नमकीन और गर्म पानी ऊपर की ओर उठता है। इस प्रक्रिया को 'अपवेलिंग' (Upwelling) कहा जाता है। जब यह गर्म पानी सतह पर पहुंचता है, तो वहां की बर्फ पिघलने लगती है और पोलिन्या बन जाता है।

सर्दियों में अंटार्कटिका के वेडेल सागर में मौजूद 'वेडेल गाइर' नामक समुद्री धारा तेज़ी से घूमने लगती है।

वैज्ञानिकों की रिपोर्ट के अनुसार, इस गड्ढे के बनने में केवल अपवेलिंग ही नहीं, बल्कि कई और प्राकृतिक कारक भी जिम्मेदार हैं। जैसे कि समुद्री तूफान, और 'एटमॉस्फेरिक रिवर' नामक वायुमंडलीय घटनाएं जो भारी मात्रा में गर्म और नम हवा को इस क्षेत्र में लाती हैं, जिससे बर्फ पिघलने की प्रक्रिया और तेज हो जाती है।

वैज्ञानिकों का मानना है कि यह घटना जलवायु परिवर्तन से जुड़ी हो सकती है और भविष्य में ऐसी घटनाएं बढ़ सकती हैं। पोलिन्या जैसी घटनाएं समुद्री बर्फ को कमजोर करती हैं, जिससे समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र और जलवायु संतुलन पर गहरा असर पड़ सकता है।

निष्कर्ष

अंटार्कटिका में बना यह विशाल गड्ढा वैज्ञानिकों के लिए एक चेतावनी है कि जलवायु परिवर्तन के कारण पृथ्वी पर अप्रत्याशित और खतरनाक घटनाएं तेजी से बढ़ सकती हैं। इस पर लगातार नजर रखना और समय रहते उपाय करना बेहद जरूरी है। [Rh/PS]

नागालैंड: अंगामी ट्राइब के कार्यक्रम में सिंधिया का अनोखा अंदाज, पारंपरिक धुनों पर डांस करते नजर आए

7 दिसंबर का इतिहास: कश्मीर में हिंसा से लेकर सशस्त्र सेना झंडा दिवस तक जानें क्या है ख़ास!

केबीसी में पहुंची भारतीय महिला क्रिकेट टीम, स्नेह राणा ने अमिताभ से की खास अपील

नोएडा : शेयर मार्केट में निवेश के नाम पर करोड़ों की ठगी के आरोप में 4 गिरफ्तार

कपिल शर्मा ने खुद को 'इंडियन आइडल का विजेता' किया घोषित, श्रेया घोषाल के साथ गाया 'आंधी' फिल्म का गाना