More Heat in Summers : गर्मी का सबसे अधिक असर दक्षिणी हिस्से, मध्य भारत, पूर्वी भारत और उत्तर-पश्चिमी मैदानी इलाकों पर पड़ेगा। (Wikimedia Commons) 
पर्यावरण

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने किया घोषणा, अब नॉर्थ इंडिया का तापमान होने वाला है हाई

भारत में इस वर्ष गर्मी के मौसम में औसत से अधिक गर्मी के दिन देखने को मिलेंगे। इस बार देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक तापमान दर्ज किए जाने की आशंका जताई गई है। गर्मी का सबसे अधिक असर दक्षिणी हिस्से, मध्य भारत, पूर्वी भारत और उत्तर-पश्चिमी मैदानी इलाकों पर पड़ेगा।

न्यूज़ग्राम डेस्क

More Heat in Summers : गर्मी आते ही इंसान हो या जानवर सबका हाल बेहाल हो जाता है। ऐसे में गर्मी आने से पहले ही भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने यह घोषणा की है कि भारत में इस वर्ष गर्मी के मौसम में औसत से अधिक गर्मी के दिन देखने को मिलेंगे। इस बार देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक तापमान दर्ज किए जाने की आशंका जताई गई है। गर्मी का सबसे अधिक असर दक्षिणी हिस्से, मध्य भारत, पूर्वी भारत और उत्तर-पश्चिमी मैदानी इलाकों पर पड़ेगा।

कौन से परेशानियों का करना पड़ेगा सामना

आईएमडी ने बताया कि पूर्व और उत्तर-पूर्व के कुछ हिस्सों और उत्तर-पश्चिम के कुछ हिस्सों को छोड़कर भारत के ज्यादातर जगहों में गर्मी ज्यादा ही रहेगी। अधिकतम और न्यूनतम तापमान सामान्य से ऊपर उठ जायेगा, जिससे लोगों में गर्मी से संबंधित बीमारियां हो सकती हैं। इसके अलावा कृषि उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हो सकता है, पानी की कमी हो सकती है, ऊर्जा की मांग बढ़ सकती है और इससे पारिस्थितिकी तंत्र तथा वायु गुणवत्ता भी प्रभावित होंगे।

आपको बता दें ऐसा अप्रैल के महीने से ही हो सकता है। भारत के उत्तर-पश्चिम मध्य, पूर्वी और उत्तर-पश्चिमी मैदानी इलाकों के कुछ हिस्सों में गर्मी की लहर ज्यादा लगने लगेगी और तपिश महसूस होनी शुरू हो जाएगी।

भारत में कम वर्षा और अधिक गर्मी का कारण अल नीनो है।(Wikimedia Commons)

क्यों बढ़ रहा है इतना तापमान

दरहसल, भारत में कम वर्षा और अधिक गर्मी का कारण अल नीनो है। भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में मध्यम अल नीनो स्थितियां अभी मौजूद हैं, जिसकी वजह से समुद्र की सतह के तापमान में लगातार बढोतरी हो रही है। समुद्र के ऊपर सतह की गर्मी समुद्र के ऊपर वायु प्रवाह को प्रभावित करता है। ऐसे में प्रशांत महासागर पृथ्वी के लगभग एक तिहाई हिस्से को कवर करता है, इसके फलस्वरूप तापमान में बदलाव और उसके बाद हवा के बहाव में बदलाव आता है।

यूएस नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन ने कहा कि इस साल की जनवरी 175 वर्षों में सबसे गर्म जनवरी थी। जबकि अगले साल के दौरान अल नीनो के कमजोर होने और ‘तटस्थ’ होने की संभावना है। कुछ मॉडलों ने मानसून के दौरान ला नीना की स्थिति विकसित होने की भी संभावना जताई है, जिससे पूरे दक्षिण एशिया में, विशेषकर भारत के उत्तर-पश्चिम और बांग्लादेश में वर्षा तेज हो सकती है।

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