History Of 15th September [Sora Ai] 
इतिहास

15 सितंबर: जानें इस दिन से जुड़ी कुछ खास घटनाएं

15 सितंबर का दिन इतिहास में कई कारणों से विशेष माना जाता है। यह सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि लोगों के जीवन, विचारों, संघर्ष और उपलब्धियों की कहानी बयाँ करता है।

न्यूज़ग्राम डेस्क

15 सितंबर का दिन इतिहास में कई कारणों से विशेष माना जाता है। यह सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि लोगों के जीवन, विचारों, संघर्ष और उपलब्धियों की कहानी बयाँ करता है। भारत में तथा दुनिया भर में इस दिन जन्म-वरुण व्यक्तित्वों का आगमन हुआ, महत्वपूर्ण संधियाँ हुईं, और विश्व स्तर पर लोकतंत्र, सामाजिक न्याय और नवाचार जैसे मूल्यों को बल मिला। हम इस दिन से जुड़े कुछ ऐसे ऐतिहासिक घटनाएँ जानेंगे, जो आज भी प्रेरणा देती हैं और हमें यह याद दिलाती हैं कि समय-समय पर छोटे-छोटे कदम भी भारी परिवर्तन ला सकते हैं। आइए जानते हैं 15 सितंबर (History Of 15th September) के दिन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं, उपलब्धियों और व्यक्तित्वों के बारे में।

15 सितम्बर 1861: इंजीनियर्स डे

Sir Mokshagundam Visvesvaraya [Wikimedia Commons]

15 सितम्बर 1861 को भारत के महान अभियंता और द्रष्टा सर मोक्शगुंडम विश्वेश्वरय्य (Sir Mokshagundam Visvesvaraya) का जन्म हुआ। उन्होंने भारत में आधुनिक इंजीनियरिंग के क्षेत्र को नई दिशा दी। कर्नाटक के कृष्णराज सागर बाँध और कई सिंचाई परियोजनाएँ उनकी प्रतिभा का परिणाम हैं। उनके योगदान के कारण उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया। भारत में उनके जन्मदिन को हर साल “इंजीनियर्स डे” ("Engineers Day") के रूप में मनाया जाता है। यह दिन इंजीनियरिंग के महत्व और देश की प्रगति में तकनीकी योगदान को याद करने का अवसर प्रदान करता है।

15 सितम्बर 1876: सरत चंद्र चट्टोपाध्याय का जन्म

Sarat Chandra Chattopadhyay [Wikimedia Coomons]

15 सितम्बर 1876 को बंगाल के प्रसिद्ध उपन्यासकार सरत चंद्र चट्टोपाध्याय (Sarat Chandra Chattopadhyay) का जन्म हुआ। वे अपनी कहानियों और उपन्यासों के माध्यम से समाज की सच्चाइयों और मानव भावनाओं को व्यक्त करने के लिए प्रसिद्ध हैं। उनके उपन्यास ‘देवदास’ (Devdas), ‘परिणीता’ और ‘चरित्रहीन’ (Parineeta and Charitrahin) आज भी पाठकों के बीच लोकप्रिय हैं। उन्होंने समाज की कुरीतियों, स्त्रियों की स्थिति और सामाजिक न्याय पर गहरा प्रकाश डाला। उनकी रचनाएँ सिर्फ साहित्यिक कृति नहीं बल्कि समाज सुधार का आईना भी मानी जाती हैं।

15 सितम्बर 1909: सी. एन. अन्नादुरई का जन्म

C. N. Annadurai [Wikimedia Commons]

15 सितम्बर 1909 को तमिलनाडु के प्रसिद्ध नेता और लेखक सी. एन. अन्नादुरई (C. N. Annadurai) (अन्ना) का जन्म हुआ। वे द्रविड़ आंदोलन (Dravidian Movement) के प्रमुख नेता थे और बाद में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने। उन्होंने राजनीति में सामाजिक न्याय, शिक्षा और तमिल संस्कृति के उत्थान के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए। अन्नादुरई एक कुशल लेखक और वक्ता भी थे। उनकी लोकप्रियता इतनी थी कि उन्हें “अन्ना” (Anna) यानी बड़े भाई के नाम से जाना जाने लगा। उनके विचारों ने तमिलनाडु की राजनीति को नई दिशा दी।

15 सितम्बर 1894: बैटल ऑफ प्यॉन्गयांग

Battle of Pyongyang [Wikimedia Commons]

15 सितम्बर 1894 को प्रथम चीन-जापान युद्ध (First Sino-Japanese War) में महत्वपूर्ण लड़ाई बैटल ऑफ प्यॉन्गयांग (Battle of Pyongyang) हुई। इस युद्ध में जापान ने चीन को बुरी तरह पराजित किया। यह जीत एशिया में जापान की बढ़ती शक्ति और आधुनिकीकरण का प्रतीक बनी। इस युद्ध ने चीन की कमजोरी को उजागर किया और एशिया की राजनीतिक संरचना बदल दी। जापान धीरे-धीरे एक बड़ी साम्राज्यवादी शक्ति के रूप में उभरा। यह घटना एशिया के इतिहास में निर्णायक मोड़ साबित हुई।

15 सितम्बर 1916: प्रथम विश्व युद्ध में पहली बार टैंक का प्रयोग

Battle of the Mon [Wikimedia Commons]

15 सितम्बर 1916 को प्रथम विश्व युद्ध (World War 1) के दौरान ब्रिटेन ने फ्रांस में चल रही बैटल ऑफ द सोम (Battle of the Mon) में पहली बार टैंक का प्रयोग किया। यह सैन्य तकनीक में बड़ा बदलाव था। टैंकों ने युद्ध की रणनीति को पूरी तरह बदल दिया और भविष्य में हर देश की सेनाओं के लिए यह मुख्य हथियार बन गए। इस प्रयोग ने दिखाया कि औद्योगिकीकरण और विज्ञान युद्धों की दिशा तय कर सकते हैं। इसने युद्ध को और भी विनाशकारी बना दिया।

15 सितम्बर 1963: बर्मिंघम चर्च बम धमाका

Birmingham Church Bombing [Wikimedia Commons]

15 सितम्बर 1963 को अमेरिका के अलबामा राज्य के बर्मिंघम (Alabama State Birmingham) शहर में नस्लीय हिंसा की एक भयानक घटना हुई। 16वीं स्ट्रीट बैपटिस्ट चर्च में हुए बम धमाके में चार अश्वेत बच्चियों की मौत हो गई। यह घटना अमेरिकी नागरिक अधिकार आंदोलन के इतिहास में एक काला अध्याय है। इस हमले ने नस्लवाद के खिलाफ संघर्ष को और मजबूत किया। मार्टिन लूथर किंग जूनियर जैसे नेताओं ने इस घटना को लोगों की चेतना जगाने और समानता के लिए संघर्ष तेज करने में इस्तेमाल किया।

15 सितम्बर 1959: दूरदर्शन की शुरुआत

Beginning of Doordarshan [Wikimedia Commons]

15 सितम्बर 1959 को भारत में दूरदर्शन की शुरुआत (Beginning of Doordarshan) हुई। यह शुरुआत प्रयोगात्मक प्रसारण के रूप में हुई थी, लेकिन धीरे-धीरे यह भारत का सबसे बड़ा टेलीविजन नेटवर्क (Television Network) बन गया। दूरदर्शन ने समाचार, शिक्षा, संस्कृति और मनोरंजन को घर-घर पहुँचाने में अहम भूमिका निभाई। यह माध्यम भारतीय समाज को जोड़ने और देश की एकता व विविधता को दर्शाने का सशक्त साधन बना। आज भले ही सैकड़ों चैनल मौजूद हैं, लेकिन दूरदर्शन का महत्व ऐतिहासिक और भावनात्मक दोनों स्तरों पर बना हुआ है।

15 सितम्बर 2008: लेहमन ब्रदर्स का दिवालियापन

lehman brothers [Wikimedia Commons]

15 सितम्बर 2008 को अमेरिका की मशहूर वित्तीय संस्था लेहमन ब्रदर्स (lehman brothers) ने दिवालियापन की घोषणा की। यह घटना वैश्विक आर्थिक मंदी (Global Financial Crisis) की सबसे बड़ी वजह बनी। इस संकट ने पूरी दुनिया के शेयर बाजारों और अर्थव्यवस्थाओं को हिला दिया। लाखों लोगों की नौकरियाँ चली गईं और बैंकिंग प्रणाली पर विश्वास डगमगा गया। इस घटना ने यह सिखाया कि बिना नियमन और अत्यधिक लालच पर आधारित आर्थिक नीतियाँ किस तरह पूरे विश्व को संकट में डाल सकती हैं।

अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस

International Day of Democracy [Pixabay]

संयुक्त राष्ट्र ने 15 सितम्बर को “अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस” (“International Day of Democracy”) घोषित किया है। इस दिन दुनिया भर में लोकतंत्र, मानवाधिकार और स्वतंत्रता के महत्व पर चर्चा की जाती है। यह दिन याद दिलाता है कि लोकतंत्र केवल सरकार की व्यवस्था नहीं, बल्कि नागरिकों की सक्रिय भागीदारी, समानता और न्याय की भावना पर आधारित है। अलग-अलग देशों में इस दिन सेमिनार, जागरूकता अभियान और कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यह दिवस हमें यह सोचने का अवसर देता है कि लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए हम क्या योगदान दे सकते हैं।

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