कौन हैं मेट्रो मैन?
डॉ. ई. श्रीधरन (Dr. E. Sreedharan) को पूरा देश "मेट्रो मैन" कहता है। उन्होंने दिल्ली मेट्रो,(Delhi Metro) कोचि मेट्रो (Kochi Metro), जयपुर मेट्रो (Jaipur Metro) और कई बड़े प्रोजेक्ट समय पर पूरे किए। उनकी सबसे बड़ी खासियत यह थी कि वह काम हमेशा तय समय और बजट में ही खत्म करते थे।
प्रारंभिक जीवन
उनका जन्म 12 जून 1932 को केरल में हुआ। पढ़ाई पूरी करने के बाद वे भारतीय इंजीनियरिंग सेवा में शामिल हुए। यहीं से उनकी असली यात्रा शुरू हुई और धीरे-धीरे वे देश के सबसे भरोसेमंद इंजीनियर बन गए।
पाम्बन पुल की कहानी
1964 में एक बड़े तूफ़ान से पाम्बन रेल पुल बुरी तरह टूट गया था। सरकार को लगा कि पुल ठीक करने में छह महीने लगेंगे, लेकिन डॉ. श्रीधरन ने सिर्फ़ 46 दिन में इसे दोबारा बना दिया। इस तेज़ और शानदार काम के लिए उन्हें पूरे देश से सम्मान मिला।
कोंकण रेलवे की उपलब्धि
भारत (India) की सबसे कठिन रेलवे लाइन, कोंकण रेलवे (Konkor Rilway) का काम भी मेट्रो मैन (Metro Man) ने पूरा किया। यह रेल लाइन 760 किलोमीटर लंबी थी और इसमें 150 से ज़्यादा पुल और 90 से ज़्यादा सुरंगें बनानी पड़ीं। पहाड़, नदियाँ और जंगल जैसी मुश्किलें थीं, लेकिन उन्होंने सात साल में यह काम पूरा करके सबको चौंका दिया।
दिल्ली मेट्रो का सपना पूरा
दिल्ली मेट्रो उनकी सबसे बड़ी पहचान बनी। वे लगभग 17 साल तक दिल्ली मेट्रो (Delhi Metro) के मुखिया रहे। उनकी सख़्त मेहनत और साफ-सुथरे प्रबंधन की वजह से दिल्ली मेट्रो समय पर और तय बजट में पूरी हुई। इसी वजह से लोग उन्हें सच्चे अर्थों में "मेट्रो मैन" कहने लगे।
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पुरस्कार और सम्मान
मेट्रो मैन को उनकी उपलब्धियों के लिए देश और दुनिया भर में सम्मान मिला। भारत सरकार ने उन्हें 2001 में पद्म श्री (Padma Shri) और 2008 में पद्म विभूषण (Padma Vibhushan) दिया। फ़्रांस ने उन्हें 2005 में अपना सर्वोच्च सम्मान "लीजन ऑफ ऑनर" दिया। जापान (Japan) ने 2013 में "ऑर्डर ऑफ द राइजिंग सन" से नवाज़ा। टाइम मैगज़ीन ने भी उन्हें 2003 में "एशिया का हीरो" कहा।
राजनीति और आगे का जीवन
सेवानिवृत्ति के बाद भी मेट्रो मैन रुके नहीं। उन्होंने कोचि (Kochi), जयपुर (Jaipur) और लखनऊ (Lucknow) मेट्रो जैसी परियोजनाओं में सलाहकार बनकर योगदान दिया। 2021 में वे राजनीति में भी आए और बीजेपी (BJP) से जुड़े, लेकिन राजनीति में लंबे समय तक सक्रिय नहीं रहे।
निष्कर्ष
डॉ. ई. श्रीधरन (Dr. E. Sreedharan) यानी मेट्रो मैन ने यह साबित कर दिया कि अगर नीयत साफ़ हो और काम के प्रति ईमानदारी हो, तो कोई भी असंभव काम संभव बनाया जा सकता है। उन्होंने भारत के शहरों को नई पहचान दी और आने वाली पीढ़ियों को यह सीख दी कि अनुशासन और मेहनत से हर सपना पूरा किया जा सकता है। [Rh/BA]