न्यूजग्राम हिंदी: क्या आपने कभी सोचा हैं कि प्राचीन हिंदू मंदिरों (Ancient Hindu Temples) में अधिकतर मूर्तियां कामुक या विलासी (Erotic) क्यों होती है? शायद ही आप मे से किसी ने ऐसा सोचा हो। आज के इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं कि प्राचीन मंदिरों में अधिकतर मूर्तियां विलासी क्यों होती है।
भारत के बहुत से मंदिरों में कामसूत्र (Kamasutra) से संबधित यौन मूर्तियों को कला के माध्यम से चित्रित किया गया है ये मूर्तियां नग्नता, बहुविवाह, बहुपतित्व, व्यभिचार और यहां तक कि समलैंगिक संबंधों की भी प्रशंसा करती हैं।
हम आपको ऐसी मूर्तियों के होने के तीन मुख्य कारण बताएंगे।
1) मंदिर ज्ञान केंद्र के रूप में: प्राचीन समय में एकमात्र इन्हीं मंदिरों के माध्यम से यौन शिक्षा दी जा सकती थी। नालंदा विश्वविद्यालय (Nalanda University) में भी बहुत सी नग्न और अर्ध–नग्न मूर्तियां देखने को मिल जाती हैं, इतना ही नहीं इस विश्वविद्यालय में यौन शिक्षा एक विषय के रूप में पढ़ाया जाता हैं।
2) हिंदू पुरुषार्थ (Hindu Purusharth):
हिंदू धर्म का प्रमुख उद्देश्य मनुष्य जीवन के निम्न चार लक्ष्यों की प्राप्ति था:
• मोक्ष यानी की मुक्ति
• इच्छा
• धन की प्राप्ति
• धर्म
3) संभोग एक लौकिक ऊर्जा (Cosmic Energy) के रूप में: जिस प्रकार संभोग को आज एक अश्लील रूप में देखा जाता हैं प्राचीन काल में इसके ठीक विपरीत इसे एक कलात्मक रूप में देखा जाता था जो आध्यात्मिक लौकिक ऊर्जा की ओर इशारा करता है। यह नई शुरुआत और नए जीवन के उद्भव को दर्शाता हैं।
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