शिक्षा, एक ऐसा शब्द है जो किसी भी देश को संपन्न बनाने के लिए अकेला ही काफी है। बिना शिक्षा के देश के भविष्य की कल्पना करना नामुमकिन है। आज हम आपको एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बताएंगे जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में ऐसी क्रांति लाई की जिसके बाद भारत की छवि ही बदल गई। तो चलिए आपको मिलवाते हैं यह कैसे शख्स से जिन्होंने आईआईटी और यूजीसी की स्थापना करवाई थी।
स्वतंत्रता सेनानी लेखक पत्रकार राजनीतिज्ञ शिक्षाविद और भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अब्दुल कलाम आजाद ने शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐसी क्रांति ला दी की जिसकी कल्पना करना मुश्किल था लेकिन इस मुश्किल कौन होने मुमकिन कर दिखाया। जब देश आजाद हुआ तो उसे वक्त की शिक्षा मंत्रालय मानव संसाधन विकास मंत्रालय अब्दुल कलाम गुलाम मुहम्मदिन खैरूद्दीन को मौलाना अब्दुल कलाम के नाम से जाना जाता था उन्होंने संभाला। शिक्षा के क्षेत्र में मौलाना आजाद के समर्पण को ध्यान में रखते हुए 2008 को मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने उनकी जयंती को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया था। आजाद को 1992 में मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित भी किया गया था।
मौलाना आजाद महिलाओं की शिक्षा की पुरजोर वकालत करते थे। उन्होंने आधुनिक शिक्षा प्रणाली पर जोर दिया और अंग्रेजी भाषा पर जोर देने को भी कहा हालांकि उनका मानना था कि प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में ही दी जानी चाहिए। शिक्षा मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान पहले इंडियन इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी यानी आईआईटी, स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग(UGC) की स्थापना की गई थी। इसके अलावा उन्होंने संगीत नाटक अकादमी ललित कला अकादमी साहित्य अकादमी के साथ-साथ भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद सहित प्रमुख सांस्कृतिक साहित्यिक ऐकडेमिया भी स्थापित की। मौलाना अब्दुल कलाम आजाद ने 22 फरवरी 1958 को अपनी आखिरी सांस से ली थी।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अहम योगदान देने वाले मौलाना अब्दुल कलाम आजाद का जन्म 11 नवंबर 1888 को मक्का सऊदी अरब में हुआ था।
उन्होंने 12 साल की उम्र में नैरंग आलम पत्रिका शुरू की थी। और 13 की उम्र में उन्होंने साहित्य का आलोचना पर लेख लिखे थे जिनके लिए उन्होंने एक जानकारी शेयर और बुद्धिजीवी के तौर पर खूब तारीफ भी पटोरी थी। उन्होंने 1912 में ब्रिटिश नीतियों की आलोचना करने के लिए उर्दू में एक साप्ताहिक पत्रिका अल हिलाल शुरू की थी। हल हिलाल पर प्रतिबंध लगाने के बाद उन्होंने एक और साप्ताहिक पत्रिका अल बगह शुरु की। कलाम ने भारत की शिक्षा संरचना को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी कलाम ने देश में शिक्षा के राज्य में सुधार का सपना देखा और उन्होंने इसे पूरा करने का प्रयास भी किया था।