कुछ दिन पहले ही भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) विदेश यात्रा पर टोबैगो और त्रिनिदाद (Tobago and Trinidad) पहुंचे जो वेस्ट इंडीज का हिस्सा है। यहां इनका स्वागत कैरिबियन राष्ट्र की प्रधान मंत्री कमला प्रसाद बिसेसर (Kamla Prasad Bissessar) के साथ अन्य मंत्रियों ने किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया और कुछ इस प्रकार से स्वागत किया गया की पोर्ट ऑफ स्पेन भारत और कैरेबियाई संस्कृति का एक खूबसूरत मंच लग रहा था। आपको बता दें कि त्रिनिदाद और टोबैगो (Tobago and Trinidad) ने मोदी जी को अपने देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भी देने का ऐलान किया है इसके पहले घाना ने भी अपने देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया था।
टोबैगो और त्रिनिदाद (Tobago and Trinidad), भारत से लगभग 14000 किलोमीटर की दूरी पर है और लगभग 13 लाख जनसंख्या वाले इन देशों में 40% आबादी हिंदू (Hindu) है। अचंभित बात तो यह है की इन 40% हिन्दू (Hindu) आबादी वाले देश में भोजपुरी मुख्य भाषा है। सवाल ये उठता है कि भारत से 14000 किलोमीटर दूर वेस्ट इंडीज में जाकर भोजपुरी बोलने वाले लोग या हिंदू (Hindu) आबादी इतनी अधिक मात्रा में कैसे बस गई? आइए इसके पीछे की पूरी कहानी जानतें हैं।
भोजपुरी चौताल से किया गया स्वागत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) जब त्रिनिदाद और टोबैगो (Tobago and Trinidad) पहुंचे तो उनके स्वागत में वहां के लोगों ने भोजपुरी चौताल भी गाया, जिसे सुनकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) काफी खुश हुए। चौताल में ढोलक, मंजीरा और तालबद्ध गीत शामिल थे, जो लोक-शादी या प्रसंगों में बजते हैं। यह स्वागत सिर्फ रस्म नहीं था, बल्कि 190 साल पुराना इतिहास फिर जीवित हुआ। आपको बता दें कि 1820–1960 में हिंदुस्तानों की ये बोली विवाह समारोहों में सुनाई देती रही।
बाद में इसका रोमांच बढ़ा जब Chutney music बना, जहाँ भोजपुरी और पश्चिमी रिदम ने मिलकर जन्माया दहेज: ‘Kaise Bani’, ‘Nana & Nani’ जैसे गीत आज भी बजते हैं। मोदी जी ने बताया कि वहां के 40% आबादी हिंदू (Hindu) है जो उत्तर प्रदेश और बिहार से यहां आकर बसे हैं। मोदी जी ने वहां के छठवीं पीढ़ी को ओसीआई कार्ड देने का भी ऐलान किया।
क्या है Mini India का इतिहास?
टोबैगो और त्रिनिदाद (Tobago and Trinidad) की जनसंख्या, कल्चर खासकर भाषा और हिंदू धर्म का प्रचलन देखकर इसे मिनी इंडिया (Mini India) कहा गया। टोबैगो और त्रिनिदाद में रहने वाली लगभग 40% आबादी हिंदी भाषा (Hindi Language) बोलती है और हिंदू धर्म फॉलो करतें है, लेकिन इन जगहों पर अचानक से हिंदू आबादी नहीं बढ़ी बल्कि इसका इतिहास लगभग 1800 साल पुराना है। 19वीं सदी के बीच, जब इंग्लिश गुलामी खत्म हुई, ब्रिटिशों ने अपने कामों के लिए भारत से मजदूर बुलाए। लगभग 1845–1917 के बीच 94,000 लोग काम की तलाश में और अंग्रेजों के दबाव के कारण त्रिनिदाद और टोबैगो (Tobago and Trinidad) गए। आपको बता दें कि इनमें से आधे आगरा, अवध से थे। ये मजदूर ज्यादातर भोजपुरी बोलते थे इसलिए इनकी बोलचाल की भाषा बनी भोजपुरी।
इन लोगों ने भारत से दूर अपनी नई पहचान बनाने में कामयाबी हासिल की। त्रिनिदाद में इन हिंदी और भोजपुरी बोलने वालों की बोली विकसित हुई, आज इन्हें ही Trinidadian Hindustani कहते हैं, जिसमें गुज़रन हुई भोजपुरी-आवधी सांस्कृतिक मिठास है। इसे Caribbean Hindustani भी कहा जाता है, जो अब भी समुदाय के लोक-सांस्कृतिक समारोहों में सुनाई देती है।
भारतीय संस्कृति और नियमों को करतें है फॉलो
त्रिनिदाद और टोबैगो (Tobago and Trinidad) के भारतीय मूल के लोग आज भी भारत के कई पारंपरिक नियमों और रिवाजों को पूरी श्रद्धा से निभाते हैं। वे रामायण और भगवद गीता का पाठ करते हैं, हवन-पूजन की परंपरा को मानते हैं और शादी-ब्याह जैसे संस्कार पूरी वैदिक विधि से संपन्न करते हैं। वहां होली, दिवाली, छठ पूजा, रामलीला और दशहरा जैसे प्रमुख भारतीय त्योहार बड़े उत्साह के साथ मनाए जाते हैं। महिलाएं आज भी साड़ी, बिंदी, चूड़ी, सिंदूर और मंगलसूत्र पहनती हैं, और पुरुष पारंपरिक अवसरों पर धोती-कुर्ता पहनते हैं।
भोजन में भी पूड़ी, सब्ज़ी, दाल-चावल, खीर, हलवा और अचार जैसे पारंपरिक व्यंजन आम हैं। संगीत में भोजपुरी चौताल, भजन और चटनी म्यूज़िक जैसे लोकगीतों का चलन है, जिसमें मंजीरा, ढोलक और हारमोनियम जैसे वाद्ययंत्रों का उपयोग होता है। इतना ही नहीं, वहां की जनसंख्या का बड़ा हिस्सा अब भी कैरेबियन हिंदुस्तानी या टूटी-फूटी भोजपुरी बोलता है, जो भारत से उनका गहरा भावनात्मक जुड़ाव दर्शाता है।
Also Read: ‘स्काई बुरियल’: एक ऐसा अंतिम संस्कार जो आत्मा को स्वर्ग भेजता है?
त्रिनिदाद–टोबैगो (Tobago and Trinidad)का Mini India दर्शाता है कि भारतीयता सिर्फ जगह नहीं, विचार, संस्कृति और भाषा है, जो विदेश में भी 25 पीढ़ी तक फैलती है। जब मोदी वहां गए, तिरंगा नहीं भोजपुरी की धुन सुनाई दी। [Rh/SP]