New Toll Collection System: फरवरी में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने संसद में कहा कि सरकार 2024 चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लागू होने से पहले वैश्विक नेविगेशन उपग्रह प्रणाली पर आधारित एक नई राजमार्ग टोल संग्रह प्रणाली लागू करने की योजना बना रही है। इस टेक्नोलॉजी को लागू करने वाले भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के एक अधिकारी ने बताया कि दिल्ली और गुरुग्राम में टेस्टिंग हो चुकी है और बेंगलुरु में जल्द ट्रायल शुरू किया जाएगा।
अभी इस प्रणाली का लागू होना संभव नहीं है लेकिन चुनावों के बाद इस साल हम इसे जरूर लागू होता देख सकते हैं, तो आइए जानते हैं की कैसा होगा नया टोल सिस्टम, और क्या अब फास्टटैग खत्म हो जाएंगे या कारों में कोई नया डिवाइस लगाना पड़ेगा।
राष्ट्रीय राजमार्गों पर नए जीपीएस-आधारित टोल संग्रह प्रणाली के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए एक सलाहकार नियुक्त किया है। प्रस्तावित प्रणाली मौजूदा FASTag प्रणाली के साथ ही काम करेगी, जिसमें एक पायलट कार्यक्रम शुरू किया जाएगा। इसका उद्देश राजमार्गों पर मोटर चालकों से तय की गई सटीक शुल्क लेना है, जिससे यातायात की भीड़ कम होगी और टोल संग्रह प्रक्रिया सुव्यवस्थित होगी।
अगर ये प्रणाली पूरे भारत में लागू हो जाता है तो वाहनों पर फास्ट टैग लगाए रखने का कोई औचित्य नहीं रह जाएगा। तब वाहनों में एक नया डिवाइस लगाया जाएगा, जिसे ऑन-बोर्ड यूनिट या ट्रैकिंग डिवाइस कहा जाता है,ये सिस्टम आपके वाहन की पोजिशन की 10 मीटर की सटीकता के साथ काम करता है, जो लगातार इंडियन सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम गगन से जुड़ा होगा।
देश के सभी राष्ट्रीय राजमार्गों की पूरी लंबाई की स्थितियों को डिजिटल इमेज प्रोसेसिंग की मदद से लॉग इन करना होगा और हर राजमार्ग की टोल दर साफ्टवेयर के जरिए दर्ज किया जाएगा। यदि वाहन किसी भी राजमार्ग से गुजरेगा, तो उसमें अपने आप वाहन में लगा डिवाइस आपके उतने पैसे काट देगा।इस सिस्टम को लागू करने के लिए हाई-वे पर अतिरिक्त तौर पर सीसीटीवी कैमरों के साथ गैन्ट्री या मेहराब लगे लगवाएं जायेंगे। जो वाहन की उच्च सुरक्षा पंजीकरण प्लेट की एक छवि कैप्चर करेगा।