NOTA Vote: अगर चुनाव लड़ रहे सभी प्रत्याशी मतदाता के लिहाज से उपयुक्त नहीं हैं तो वह नोटा को अपना वोट दे सकता है। (Wikimedia Commons) 
अन्य

जब चुनाव में नोटा को मिले अधिक वोट तो क्या होगा? जानिए कब से हुई नोटा की शुरूआत

अगर चुनाव लड़ रहे सभी प्रत्याशी मतदाता के लिहाज से उपयुक्त नहीं हैं तो वह नोटा को अपना वोट दे सकता है। नोटा की शुरुआत करने का उद्देश्य नागरिकों को अपना असंतोष व्यक्त करने का मौका प्रदान करना था। नोटा का सबसे पहले इस्तेमाल 2013 में पांच राज्यों की विधानसभा चुनाव में किया गया था।

न्यूज़ग्राम डेस्क

NOTA Vote: जब भी आप वोट देने गए होंगे, तब आपने ईवीएम पर सभी चुनावी चिन्ह के साथ - साथ एक और भी विकल्प देखा होगा, जिसमें नोटा लिखा होता है। क्या आप जानते हैं यह नोटा का बटन हमेशा से नहीं था? दरअसल, 2013 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद देश में नोटा (उपरोक्त में से कोई नहीं) का इस्तेमाल शुरु हुआ था। अगर चुनाव लड़ रहे सभी प्रत्याशी मतदाता के लिहाज से उपयुक्त नहीं हैं तो वह नोटा को अपना वोट दे सकता है। नोटा की शुरुआत करने का उद्देश्य नागरिकों को अपना असंतोष व्यक्त करने का मौका प्रदान करना था। नोटा का सबसे पहले इस्तेमाल 2013 में पांच राज्यों की विधानसभा चुनाव में किया गया था। इसके बाद से सभी विधानसभा और लोकसभा चुनाव में मतदाताओं को यह विकल्प मिल रहा है।

सबसे पहले यहां हुआ नोटा का इस्तेमाल

2004 की एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 27 सिंतबर 2013 को नोटा का विकल्प उपलब्ध कराने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि वोट देने के अधिकार में वोट न देने का अधिकार यानी अस्वीकार करने का अधिकार भी शामिल है। भारत निर्वाचन आयोग ने 11 अक्टूबर 2013 से ईवीएम और मतपत्रों में नोटा का विकल्प उपलब्ध कराना शुरू किया था। 2013 में पहली बार नोटा का इस्तेमाल छत्तीसगढ़, मिजोरम, राजस्थान, मध्य प्रदेश और दिल्ली के विधानसभा चुनावों में किया गया था।

यदि नोटा को 100 फीसदी मत मिलते हैं तो उस निर्वाचन क्षेत्र में दोबारा चुनाव कराया जाएगा। (Wikimedia Commons)

नोटा को अधिक वोट मिले तो क्या होगा?

चुनाव आयोग के अनुसार, नोटा के मतों को गिना जाता है। मगर इन्हें रद्द मतों की श्रेणी में रखा जाता है। यदि नोटा को 100 फीसदी मत मिलते हैं तो उस निर्वाचन क्षेत्र में दोबारा चुनाव कराया जाएगा। अगर कोई प्रत्याशी एक भी वोट पाता है और बाकी मत नोटा को मिलते हैं तो वह प्रत्याशी विजेता माना जाएगा।

2019 लोकसभा चुनाव में कितने वोट मिले

2019 लोकसभा चुनाव में नोटा का वोट शेयर 1.06% था। जबकि बिहार में सबसे ज्यादा 2.0% नोटा का वोट शेयर था। सबसे कम नोटा का इस्तेमाल नागालैंड में किया गया। यहां नोटा का वोट शेयर कुल मतों का 0.20 फीसदी रहा। 2019 लोकसभा चुनाव में कुल 65,22,772 मत नोटा को पड़े।

एक Sparrow Man की कहानी, जिनकी मेहनत से बचा हजारों गोरैयों का परिवार!

भगवान जगन्नाथ का रथ खींचती हैं जो रस्सियाँ, उनके पीछे छिपा है एक आदिवासी समाज!

मोहम्मद शमी को कोर्ट से बड़ा झटका : पत्नी-बेटी को हर महीने देने होंगे 4 लाख रुपये !

जिसे घरों में काम करना पड़ा, आज उसकी कला को दुनिया सलाम करती है – कहानी दुलारी देवी की

सफलता की दौड़ या साइलेंट स्ट्रगल? कोरिया में डिप्रेशन की असली वजह