Russian Soyuz rocket: रूस का एक सोयूज रॉकेट तीन अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर 23 मार्च को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के लिए रवाना हो गया। (Wikimedia Commons) 
विज्ञान

रूस के सोयूज रॉकेट से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचे तीन नए अंतरिक्ष यात्री

सोयुज स्पेसक्राफ्ट को भारतीय समय के अनुसार 23 मार्च को शाम 6:26 बजे कजाकिस्तान के बैकोनूर कोस्मोड्रोम से लॉन्च किया गया था। पहले इसकी लॉन्चिंग 21 मार्च को होनी थी।

न्यूज़ग्राम डेस्क

Russian Soyuz rocket: रूस ने मॉस्को के कॉन्सर्ट हॉल पर हुए दो दशक के सबसे बड़े आतंकी हमले के बावजूद भी अंतरिक्ष के क्षेत्र में ऐसा कमाल कर दिया की पूरी दुनिया हैरान हो गई। रूस का एक सोयूज रॉकेट तीन अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर 23 मार्च को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के लिए रवाना हो गया। आपको बता दें कि नोवित्स्की, वासिलिव्स्काया और ओ'हारा को 6 अप्रैल को पृथ्वी पर वापस लौटना है। सोयुज स्पेसक्राफ्ट को भारतीय समय के अनुसार 23 मार्च को शाम 6:26 बजे कजाकिस्तान के बैकोनूर कोस्मोड्रोम से लॉन्च किया गया था। पहले इसकी लॉन्चिंग 21 मार्च को होनी थी। देश में इतने बड़े आतंकी हमले के बावजूद रूस ने अपने इस मिशन को अंजाम देकर दुनिया को यह संदेश दे दिया है कि उसका हौसला अभी भी कायम है।

सात मेंबर्स पहले से है स्पेस स्टेशन में मौजूद

नासा की एस्ट्रोनॉट लोरल ओ'हारा, जेनेट एप्स, मैथ्यू डोमिनिक, माइक बैरेट और जेनेट एप्स के साथ-साथ रूस के अंतरिक्ष यात्री ओलेग कोनोनेंको, निकोलाई चुब और अलेक्जेंडर ग्रीबेनकिन पहले से ही स्पेस स्टेशन पर रह रहे हैं और काम कर रहे हैं। साल 2011 तक नासा के स्पेस शटल से भी एस्ट्रोनॉट इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन जाते थे, लेकिन हादसों के बाद नासा को स्पेस शटल को रिटायर करना पड़ा था। इसके बाद 9 साल तक अमेरिका रूस के सोयुज स्पेसक्राफ्ट पर निर्भर हो गया था।

नोवित्स्की, वासिलिव्स्काया और ओ'हारा को 6 अप्रैल को पृथ्वी पर वापस लौटना है। (Wikimedia Commons)

400 किलोमीटर ऊपर है इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पृथ्वी से लगभग 400 किलोमीटर ऊपर है। ये अंतरिक्ष में मानव निर्मित सबसे बड़ी और चमकदार वस्तु है जिसे पृथ्वी से देखा जा सकता है। एस्ट्रोनॉट माइक्रो ग्रेवेटी इनवॉयरमेंट में कई तरह के एक्सपेरिमेंट करने के लिए वहां जाते हैं।

कैसा है इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन?

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन का आकार फुटबॉल मैदान के बराबर है। यह करीब 28,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से यह पृथ्वी के चक्कर लगाता है। पांच देशों की स्पेस एजेंसी अमेरिका की NASA, यूरोप की ESA, जापान की JAXA, रूस की ROSKOSMOS और कैनेडा की CSA का ये प्रोजेक्ट है।

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