बिहार के सहरसा (Saharsa) ज़िले में एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे राज्य को हिलाकर रख दिया है। यह कहानी सिर्फ एक हत्या की नहीं, बल्कि हमारे समाज में गहरे बैठे जातिगत पूर्वाग्रह और मान्यताओं की है। एक बेटी ने अपनी पसंद से शादी की, लेकिन यह फैसला उसके पिता को अच्छा नहीं लगा, उन्होंने अपने ही दामाद को गोली मार कर हत्या कर दी।
यह मामला 5 अगस्त का है। बिहार के दरभंगा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (डीएमसीएच) में बीएससी नर्सिंग पढ़ रहे 24 वर्षीय राहुल कुमार (Rahul Kumar) की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई। राहुल की मौत किसी अजनबी ने नहीं, बल्कि उनके ससुर प्रेम शंकर झा (Prem Shankar Jha) ने करवाई। वजह ? राहुल और उनकी बेटी अनुप्रिया का अंतरजातीय प्रेम विवाह (Inter-caste marriage) था। राहुल कुमार और अनुप्रिया की मुलाकात पढ़ाई के दौरान हुई थी। दोनों अलग-अलग जाति से थे, लेकिन प्यार की डोर ने इन्हें मजबूती से बांध दिया। कई सालों के रिश्ते के बाद दोनों ने शादी का फैसला किया। अनुप्रिया ने पिता से शादी की अनुमति मांगी, लेकिन प्रेम शंकर झा (Prem Shankar Jha) को यह रिश्ता मंज़ूर नहीं था। इसके बावजूद, अनुप्रिया और राहुल (Rahul Kumar) ने अपने प्यार को शादी में बदल दिया। यही कदम, पिता के गुस्से का कारण बन गया।
बताया जाता है कि घटना वाले दिन राहुल अपने कॉलेज के काम से डीएमसीएच आए हुए थे। तभी प्रेम शंकर झा ने मौके का फायदा उठाया और उन्हें गोली मार दी। अस्पताल में मौजूद लोग यह दृश्य देखकर सन्न रह गए। गोली लगते ही राहुल ज़मीन पर गिर पड़े और कुछ ही देर में उनकी मौत हो गई।
लोकल 18 की टीम जब प्रेम शंकर झा (Prem Shankar Jha) के घर पहुंची तो वहां सन्नाटा पसरा था। मुख्य दरवाजे पर ताला लटका हुआ था। परिवार का कोई भी सदस्य वहां मौजूद नहीं था। बताया गया कि हत्या के बाद से सभी लोग फरार हैं। प्रेम शंकर का मेडिकल स्टोर, जो घर के बगल में ही है, वह भी बंद पड़ा था। आसपास के लोगों से जब बातचीत करने की कोशिश हुई तो ज्यादातर ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।
हालांकि, कुछ स्थानीय लोगों ने नाम न बताने की शर्त पर अपनी राय रखी। उनका कहना था कि प्रेम शंकर झा और उनकी पत्नी का व्यवहार पहले हमेशा अच्छा रहा है। वो दोनों अपने काम से मतलब रखते थे। उनकी बेटी अनुप्रिया लंबे समय से बाहर पढ़ाई कर रही थी। प्रेम शंकर की पत्नी एक सरकारी स्कूल में अध्यापिका हैं। लोगों का यह भी मानना था कि अगर पिता को बेटी का फैसला पसंद नहीं था, तो उन्हें रिश्ता तोड़ लेना चाहिए था, लेकिन हत्या जैसा कदम बिल्कुल गलत है। किसी भी धर्म या समाज में इस तरह की हिंसा की इजाजत नहीं दी जाती।
समाज के कई लोग इस घटना को बेहद निंदनीय बता रहे हैं। उनका कहना है कि प्रेम विवाह करना एक कानूनी अधिकार है और इसे सम्मान मिलना चाहिए। परिवार की इज़्ज़त के नाम पर हिंसा करना किसी भी हाल में जायज़ नहीं है। कुछ लोगों का मानना है कि अगर बेटी का फैसला पसंद नहीं आया, तो कानूनी रास्ता अपनाया जा सकता था। लेकिन गुस्से में आकर किसी की जान ले लेना न सिर्फ अपराध है, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए गलत संदेश भी देता है।
इस घटना ने बिहार ही नहीं, बल्कि पूरे देश में अंतरजातीय विवाह (Inter-caste marriage) को लेकर बहस को फिर से तेज कर दिया है। भारत में प्रेम विवाह खासकर अलग जाति या अलग धर्म में शादी करना आज भी कई जगह सामाजिक विरोध का कारण बनता है। कई परिवार इसे अपने सम्मान का सवाल मानते हैं, और कभी-कभी ऐसे मामलों में ‘ऑनर किलिंग’ जैसी दुखद घटनाएं सामने आती हैं। भारतीय कानून में बालिक लड़का-लड़की को अपनी पसंद से शादी करने का पूरा अधिकार है। चाहे वो अलग जाति, धर्म या प्रदेश से हों। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट भी बार-बार कह चुके हैं कि ऐसे विवाह को सुरक्षा और सम्मान मिलना चाहिए। लेकिन ज़मीनी हकीकत यह है कि कानून के बावजूद, कई बार सामाजिक दबाव और पूर्वाग्रह इंसानों को अंधे गुस्से में ऐसे कदम उठाने पर मजबूर कर देते हैं।
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राहुल कुमार (Rahul Kumar) की हत्या ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं - क्या आज भी हमारे समाज में जाति, इंसान की जान से ज़्यादा अहम है? क्या प्यार करने की सज़ा मौत होनी चाहिए? कानून के होते हुए भी, ऐसे मामलों में पीड़ितों को सुरक्षा क्यों नहीं मिलती ?
राहुल को जानने वाले लोग कहते हैं कि वह पढ़ाई में अच्छा था और एक अच्छा इंसान भी। दोस्तों का कहना है कि वह अपने सपनों को पूरा करने और अपने परिवार के लिए बेहतर जिंदगी बनाने की कोशिश कर रहा था। लेकिन एक गोली ने उसकी पूरी जिंदगी खत्म कर दी। अनुप्रिया की स्थिति भी बेहद कठिन है। उसने अपने पिता और पति, दोनों को खो दिया। एक ओर उसका पति अब इस दुनिया में नहीं है, दूसरी ओर पिता (Prem Shankar Jha) हत्या के आरोप में फरार हैं। यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि बदलाव की जरूरत सिर्फ कानून में नहीं, बल्कि सोच में है। जाति, धर्म, भाषा जैसी दीवारें तोड़कर ही एक बेहतर समाज का निर्माण हो सकता है। हिंसा सिर्फ जख्म देती है, समाधान नहीं।
निष्कर्ष
राहुल की हत्या सिर्फ एक प्रेम कहानी का अंत नहीं, बल्कि एक दर्दनाक याद है कि हमारे समाज में प्यार करने वालों के लिए अभी भी राह आसान नहीं है। जब तक लोग पुराने पूर्वाग्रह छोड़कर नए विचार नहीं अपनाते, तब तक ऐसे हादसे होते रहेंगे। सवाल यह है, की क्या हम वाकई बदलना चाहते हैं, या फिर ऐसे ही खून के धब्बों से इतिहास के पन्ने रंगते रहेंगे ? [Rh/PS]