सुप्रीम कोर्ट:-सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में गैर विभाजित हिंदू परिवार या जॉइंट फैमिली की प्रॉपर्टी को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया। [Pixabay] 
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कौन बेच सकता है हिंदू परिवार की प्रॉपर्टी को? सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को ज़रूर जानना चाहिए

सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रकार का जजमेंट एक याचिकाकरता जो 1996 में दर्ज की गई थी उसके आधार पर किया। 31 जुलाई 2023 को सबसे पहले मद्रास हाई कोर्ट ने इस विषय पर अपना फैसला दिया था।

Sarita Prasad

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में गैर विभाजित हिंदू परिवार या जॉइंट फैमिली की प्रॉपर्टी को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि अगर उसे परिवार का कर्ता चाहे तो वह ज्वाइंट प्रॉपर्टी को बेच या गिरवी रख सकता है। इसके लिए उसे परिवार के किसी भी सदस्य से अनुमति लेने की भी आवश्यकता नहीं है। कोर्ट ने कहा कि अगर रिश्तेदारी कोई नाबालिक है तब भी कर्ता बिना परमिशन दिए प्रॉपर्टी के संबंध में फैसला ले सकता है। पर अब सवाल यह है की कर्ता कौन है? जिसे कोर्ट ने हिंदू जॉइंट फैमिली के मामले में इतने अधिकार दे दिए? आईए समझते हैं।

कर्ता कौन?

आपको बता दें कि गैर विभाजित हिंदू परिवार में यह अधिकार जन्म से ही प्राप्त होता है परिवार का सबसे वरिष्ठ पुरुष कर्ता होता है। अगर सबसे वरिष्ठ पुरुष की मौत हो जाती है तो उसके बाद जो सबसे वरिष्ठ पुरुष होता है वह अपने आप करता बन जाता है हालांकि कुछ मामलों में इस बिल द्वारा घोषित किया जाता है।

कर्ता खुद किसी को नॉमिनेट कर सकता है

जैसा कि हमने बताया कि कुछ मामलों में यह जन्मसिद्ध अधिकार नहीं रह जाता ऐसा तब होता है जब मौजूद कर्ता अपने बाद किसी और को खुद से ही कर्ता के लिए नॉमिनेट कर देता है। ऐसा वह अपनी बिल में कर सकता है। इसके अलावा अगर परिवार चाहे तो वह सर्वसम्मति किसी एक को कर्ता घोषित कर सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रकार का जजमेंट एक याचिकाकरता जो 1996 में दर्ज की गई थी उसके आधार पर किया [Wikimedia Comment]

कई बार कोर्ट भी किसी हिंदू कानून के आधार पर कर्ता नियुक्त करता है। हालांकि ऐसे मामले बहुत कम होते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रकार का जजमेंट एक याचिकाकरता जो 1996 में दर्ज की गई थी उसके आधार पर किया। 31 जुलाई 2023 को सबसे पहले मद्रास हाई कोर्ट ने इस विषय पर अपना फैसला दिया था। दरअसल याचिकाकरता का दावा था कि उनके पिता द्वारा एक प्रॉपर्टी को गिरवी रखा गया जो की जॉइंट फैमिली की प्रॉपर्टी थी हालांकि याचिका करता ने यह भी बताया कि उनके पिता परिवार के कर्ता थे। इस पर मद्रास हाई कोर्ट ने भी फैसला दिया था कि करता प्रॉपर्टी को लेकर फैसला ले सकता है और इसके लिए किसी से पूछने की जरूरत नहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में मद्रास हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ जाने से मना कर दिया।

उतराधिकारी कब दावा कर सकतें है

इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि ऐसे कर्ता द्वारा किसी प्रॉपर्टी गिरवी रखे जाने के मामले में समान उत्तराधिकारी तभी दावा कर सकता है जब कुछ गैर कानूनी हुआ हो।

कोर्ट भी किसी हिंदू कानून के आधार पर कर्ता नियुक्त करता है। [Wikimedia Commons]

कोर्ट ने कहा कि मौजूदा मामले में ऐसा कुछ नहीं दिखाई देता। बता दे कि परिवार के दो हिस्से होते हैं पहले सदस्य इसमें परिवार का हर व्यक्ति शामिल होता है बाप बेटा बहन मां आदि वही समान उत्तराधिकार में केवल पुरुष सदस्यों को ही गिना जाता है इसमें जैसे की परदादी-दादा पिता व पुत्र शामिल है।

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