रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन के परिसर में क्रिसमस समारोह IANS
विशेष दिन

बेलूर मठ - रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन के परिसर में क्रिसमस समारोह

दिसंबर 1896 की एक सर्द रात में ऐतिहासिक रिकॉर्ड के अनुसार, स्वामी विवेकानंद अपने साथी भिक्षुओं से मानवता के लिए ईसा मसीह के जीवन और बलिदान के बारे में बात कर रहे थे

न्यूज़ग्राम डेस्क

दो साल के अंतराल के बाद, रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekanand) के सैकड़ों भक्त और अनुयायी पश्चिम बंगाल (West Bengal) के हावड़ा जिले में बेलूर मठ - रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन के परिसर में क्रिसमस समारोह में भाग लेने पहुंचे। शनिवार देर शाम जश्न मनाया गया।

क्रिसमस (Christmas) पारंपरिक रूप से बेलूर मठ में 'जीशु खृष्टो ओ मैरी मटर पूजो' के रूप में मनाया जाता है।

बेलूर मठ के स्वामीजी ने इसमें भाग लिया, इस घटना को श्री रामकृष्ण और स्वामी विवेकानंद द्वारा प्रचारित सर्व धर्म समानता के पाठ का सही प्रतिबिंब माना जाता है।

मिशन के अधिकारियों के अनुसार, कोविड-19 (Covid-19) महामारी के कारण पिछले दो वर्षों से यह आयोजन बंद दरवाजे में होता था। हालांकि, इस वर्ष स्थिति में सुधार के साथ उत्सव पूरे उत्साह के साथ भाग लेने वाले भक्तों और अनुयायियों के साथ अपने पुराने स्वरूप में मनाया गया।

इस आयोजन को जीसस क्राइस्ट और मदर मैरी की पूजा के रूप में चिह्न्ति किया जाता है, जिसमें स्वामीजी ने एक विशालकाय चित्र के सामने दीये, मोमबत्तियां और अगरबत्ती जलाकर और फूल और केक चढ़ाकर अनुष्ठान में भाग लिया।

दिसंबर 1896 की एक सर्द रात में ऐतिहासिक रिकॉर्ड के अनुसार, स्वामी विवेकानंद अपने साथी भिक्षुओं से मानवता के लिए ईसा मसीह के जीवन और बलिदान के बारे में बात कर रहे थे और उन्हें मानवता, मानव सेवा और एकता का मार्ग अपनाने का आह्वान किया। तभी से क्रिसमस का जश्न मनाया जाता है।

आईएएनएस/RS

मोहम्मद शमी को कोर्ट से बड़ा झटका : पत्नी-बेटी को हर महीने देने होंगे 4 लाख रुपये !

जिसे घरों में काम करना पड़ा, आज उसकी कला को दुनिया सलाम करती है – कहानी दुलारी देवी की

सफलता की दौड़ या साइलेंट स्ट्रगल? कोरिया में डिप्रेशन की असली वजह

जहां धरती के नीचे है खजाना, वहां ऊपर क्यों है गरीबी का राज? झारखंड की अनकही कहानी

'कैप्टन कूल' सिर्फ नाम नहीं, अब बनने जा रहा है ब्रांड!