26 नवंबर भारतीय लोकतंत्र के लिए एक बेहद ही महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन को राष्ट्रीय संविधान दिवस (National Constitution Day) के रूप में मनाया जाता है। क्योंकि 1949 में इसी दिन संविधान सभा (Constitution Assembly) द्वारा संविधान को अपनाया गया था। इस लेख में हम आपको एक ऐसे संविधान के बारे में बताएंगे जिससे आप शायद ही अवगत हो।
क्या पूर्ण परमात्मा का कोई संविधान है?
क्या आप "भगवान का संविधान" इस शब्द की कल्पना भी कर सकते है? लेकिन यह सच है कि पूर्ण परमेश्वर यानी कि भगवान (God) का भी एक संविधान है जिसका पालन सभी जीवधारियों को करना चाहिए क्योंकि यह उनका मूल कर्तव्य है। पूर्ण परमात्मा के संविधान का पालन न करने वाले व्यक्ति को सजा दी जाती है इसीलिए भगवान के सामने झूठ बोलने का जोखिम नहीं उठाना चाहिए। परमात्मा का संविधान काफी बड़ा है और इस संविधान के अनुसार ही हमारे पवित्र शास्त्रों को निर्धारित किया गया हैं। इस संविधान को समझाने के लिए या तो ईश्वर खुद आते हैं या फिर अपने किसी नुमाइंदे को दूत के रूप में पृथ्वी लोक पर भेज देते हैं और अपने संविधान से परिचित करवाते हैं।
इस वक्त संत रामपाल जी महाराज (Sant Rampal Ji Maharaj) को स्वयं पूर्ण परमात्मा के रूप में देखा जा सकता है
पूर्ण परमात्मा के संविधान की वह विधियां जिनके उल्लंघन पर भयंकर पाप लगता है:
• दहेज रिश्वत का लेनदेन इत्यादि
• मांस का सेवन
• व्यभिचार
• मदिरा का सेवन
• धूम्रपान
• चोरी डकैती
• शास्त्रों के विरुद्ध साधना
• जुआ खेलना
हमें देश के संविधान के साथ साथ परमात्मा के संविधान का पालन करना चाहिए।
राष्ट्रीय संविधान दिवस के उपलक्ष में पूर्ण संत रामपाल जी महाराज का संदेश:
संत रामपाल जी महाराज शराब, नशा, चोरी, रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार जैसी बुराइयों को छूना और इनसे दूर रहना बेहतर समझते हैं वह इन्हें महापाप मानते हैं। उनके अनुयायी भी उनकी इस बात से सहमत हैं।
(PT)