Zero Discrimination Day (Wikimedia)

 

शून्य भेदभाव दिवस

विशेष दिन

Zero Discrimination Day: जानिए भेदभाव मिटाने वाले इस दिन की विशेषताएं

इसके लक्ष्य की पूर्ति करने का एकमात्र तरीका यह है कि सभी मानव एक साथ में रहे और अपने–अपने हिस्से की भूमिका अदा करें जो समाज उनसे चाहता हैं।

न्यूज़ग्राम डेस्क, Poornima Tyagi

न्यूजग्राम हिंदी: शून्य भेदभाव दिवस (Zero Discrimination Day) प्रत्येक वर्ष 1 मार्च को मनाया जाता हैं। संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय संगठन द्वारा मनाएं जाने वाले इस दिवस का लक्ष्य समाज को सभी प्रकार को असमाताओं और भेदभाव से छुटकारा दिलवाना हैं। इसके लक्ष्य की पूर्ति करने का एकमात्र तरीका यह है कि सभी मानव एक साथ में रहे और अपने–अपने हिस्से की भूमिका अदा करें जो समाज उनसे चाहता हैं।

इस बार का शून्य भेदभाव दिवस सभी से यह आह्वान करता है कि प्रत्येक मनुष्य लिंग, आयु, आय, विकलांगता, पेशे, स्वास्थ्य पदार्थ, यौन वरीयता, नस्लीय और जाति के आधार पर भेदभाव न करते हुए साथ में रहें।

भेदभाव कहीं से भी और किसी भी रूप में आ सकता हैं अर्थात भेदभाव जगह और इंसान आदि नहीं देखता। यह मनुष्य, जानवर किसी में भी हो सकता हैं।

इस भेदभाव को मिटाने के लिए ही 2013 में एक विचार जन्म लेता हैं और यूएनएड्स के प्रभारी मिशेल सिदीबे विश्व एड्स दिवस के मौके पर शून्य भेदभाव दिवस मनाने की शुरुआत करते हैं। इसके बाद अगले वर्ष यानी कि 2014 में पहली बार संयुक्त राष्ट्र द्वारा शून्य भेदभाव दिवस मनाया गया। इसके बाद 2015 में शून्य भेदभाव दिवस के दिन विरोध और धरने हो रहे है। विरोध कर रहे अर्मेनियाई अमेरिकियों का कहना था कि अर्मेनियाई नरसंहार में जो लोग मारे गए उन लोगों को याद किया जाएं।

PT

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